रेलवे स्टेशन में यात्रियों को खान-पान सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रेलवे द्वारा दो ठेकेदारों को खान-पान स्टॉलों का ठेका दिया गया है। उसमें करीब डेढ़ दर्जन वेंडरों को खाद्य सामग्री बेचने के लिए वैध किया गया है। इसके अलावा जो भी वेंडर वहां पर खाद्य सामग्री बेचता है वह अवैध रूप से खाद्य सामग्री बेच रहा है। ट्रेन के आने पर अवैध वेंडर स्टेशन में आ जाते हैं। इनकी संख्या करीब दो दर्जन है। कई बार वैध और अवैध वेंडरों के बीच मारपीट भी हो चुकी है।
रेलवे स्टेशन में अधिकारियों की शह पर जहां अवैध वेंडर मनमानी कर समोसा, चाय-पानी आदि खाद्य सामग्री बेच रहे हैं, वहीं वैध वेंडर कई बार यूनीफॉर्म तक नहीं पहनते। बताया जाता है कि बाहर की टीम व डीआरएम-एडीआरएम के निरीक्षण के दौरान ही वेंडर लकदक यूनीफॉर्म, कैप व ग्लब्ज में नजर आते हैं। रेलवे स्टेशन में खाद्य सामग्री बेचे जाने के लिए वेंडर का मेडिकल कार्ड व पहचान पत्र कार्ड भी बनाया जाता है। जीआरपी द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन भी वेंडरों का किया जाता है।
सतना जंक्शन से रोजाना पौने दो सौ ट्रेनें गुजरती हैं। इसके चलते गाडि़यों से लेकर सभी प्लेटफॉर्मों में हर वक्त हजारों की संख्या में यात्री मौजूद होते हैं। अवैध वेंडर यात्रियों को मनमाने दाम पर सामान बेचकर रोजाना हजारों की कमाई करते हैं। 5 की चाय 10 में व 15 का पानी 25 में लेना यात्रियों की मजबूरी होती है। आमतौर पर जब स्टेशन में ट्रेन नहीं रहती है तो उस समय अवैध वेंडर कम ही दिखाई देते हैं। लेकिन जैसे ही ट्रेन आकर खड़ी होती है दो दर्जन से अधिक अवैध वेंडर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाते हैं।
मान सिंह, निरीक्षक आरपीएफ