गुरुवार सुबह भी प्लांट पूरी तरह ठप था। कर्मचारी व श्रमिक आक्रोशित थे और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। प्रबंधन ने भी प्रशासन से संपर्क करते हुए एहतियातन पुलिस बल तैनात कर रखा था। बाद में एसडीएम पीएस त्रिपाठी पहुंचे और प्रबंधन व श्रमिकों के बीच समझौता हो सका। उसके बाद श्रमिक व कर्मचारी काम पर लौटे।
उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को चालू प्लांट में साइक्लॉन सफाई का काम चल रहा था। दस से ज्यादा श्रमिकों को लगाया गया था। शाम चार बजे एक श्रमिक ने हवा का प्रेशर मारा, ताकि डस्ट बाहर हो जाए। इसके बाद अचानक जोरदार आवाज के साथ धमाका हुआ और प्री-हीटर ब्लास्ट हो गया। जिसमें दो साजन सिंह, सूरत राम श्रमिक गंभीर रूप से झुलस गए, अन्य को आंशिक चोट आई थी।
इस घटना के बाद से श्रमिक भड़क गए और कामकाज बंद कर दिया था। उनकी मांग थी कि घायल श्रमिकों के इलाज का पूरा खर्चा कंपनी उठाए। जब तक वे स्वस्थ होकर ड्यूटी पर नहीं आ जाते, कंपनी उन्हें प्रतिमाह २० हजार रुपए वेतन दे और घायल कर्मचारियों को स्थाई किया जाए।
प्रबंधन इलाज कराने को तैयार था, लेकिन अन्य मांगों को लेकर बात नहीं बन रही थी। कारण था कि घायल श्रमिक ठेका कंपनी के हैं। इसी बात को लेकर गुरुवार को भी विवाद बना रहा। माना जा रहा था कि हंगामा बढ़ सकता है, लिहाजा पुलिस बल तैनात किया गया।
दोपहर 12 बजे एसडीएम पीएस त्रिपाठी पहुंचे। उनकी उपस्थिति में तय हुआ कि कंपनी इलाज का पूरा खर्चा उठाएगी, श्रमिक के स्वस्थ होने तक प्रति माह १० हजार रुपए वेतन देगी। स्थाई करने को लेकर भविष्य में विचार करने का आश्वासन दिया गया।
इंड्रस्ट्रीज एंड हेल्थ सेफ्टी विभाग की टीम पहुंची हादसे के दो दिन बाद इंडस्ट्रीज एंड हेल्थ सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम जेपी सीमेंट पहुंची। उसने घटना के कारणों की जांच की, स्थिति का आकलन किया। कर्मचारी व अधिकारियों से पूछताछ की। साथ ही प्रबंधन से टेक्निकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।