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देशभक्ति का जज्बा ऐसा…सूबेदार सिंह की तीन पीढ़ियां कर रहीं देश की सेवा

locationसतनाPublished: Jan 25, 2020 01:43:49 pm

Submitted by:

suresh mishra

नाम सूबेदार सिंह, पद आर्मी में सूबेदार मेजर और स्टार लगाने वाले सखा एपीजे अब्दुल कलाम

Republic day: 3 generations of Subedar Singh are serving the country

Republic day: 3 generations of Subedar Singh are serving the country

सुरेश मिश्रा@सतना. नाम सूबेदार सिंह। पद आर्मी में सूबेदार मेजर। पदोन्नति पर स्टार लगाने वाले सखा एपीजे अब्दुल कलाम। देशभक्ति का जज्बा ऐसा कि सूबेदार सिंह की तीन पीढिय़ां देश की सेवा में तत्पर हैं। यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं बल्कि जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर चूंद गांव के सूबेदार सिंह की कहानी है। सूबेदार सिंह का जन्म तत्कालीन रीवा सियासत के घुड़सवार और चूंद गांव के निवासी अभिलाष सिंह ठाकुर बाबा के घर 1936 में हुआ।
वे दो भाई थे। 1952 के आसपास सूबेदार सिंह सेना में भर्ती हो गए, जबकि उनका छोटा भाई जिलेदार सिंह पुलिस में भर्ती हो गया। वर्तमान में सूबेदार की तीन पीढिय़ां देश की सेवा कर रही हैं। सूबेदार सिंह आर्मी में सूबेदार मेजर पद से रिटायर्ड हो चुके हैं जबकि उनका बेटा कुलदीप सिंह आर्मी में इंजीनियर और पोता रोशन सिंह आर्मी में हवलदार है।
1971 में हुई थी कलाम से दोस्ती
चूंद गांव में रहने वाले 84 वर्षीय सूबेदार सिंह बताते हैं, 1971 में मैं और एपीजे अब्दुल कलाम हैदराबाद स्थित डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) में मिसाइल परीक्षण का कार्य करते थे। उस समय कलाम सेना में सूबेदार हुआ करते थे। मैं नायब सूबेदार पद पर था। हम दोनों में गहरी मित्रता थी। कुछ दिनों बाद मैं सूबेदार मेजर बना तो मेरे कंधे पर स्टार लगाने वाले सखा एपीजे अब्दुल कलाम ही थे। फिर मैं सेना में ही रह गया और वे मिसाइल परीक्षण करते-करते वैज्ञानिक बनने के बाद देश के राष्ट्रपति बने और अमर हो गए। उस दौरान कलामजी जूता-चप्पल बिल्कुल नहीं पहनते थे। वे अकसर भोजन की जगह फल-फूल खा लेते थे। पूछने पर बोलते कि भोजन करने से आलस्य आती है। हमको देखने के बाद अकसर बघेली में बात करने की कोशिश करते थे। अंग्रेजी का उपयोग कम करते थे।
तीन बेटे आर्मी में, कमरे को बना लिया म्यूजियम
सूबेदार सिंह के बेटे धर्मेंद्र सिंह ने पत्रिका को बताया, हम चार भाई हैं। बड़े भाई कुलदीप सिंह सेना में हैं। दूसरे नंबर पर मैं गांव में खेती-किसानी करता हूं। छोटे भाई राकेश सिंह आर्मी के आमर्ड कोर में और चौथे नंबर के भाई विनय सिंह आर्मी के एएससी में पदस्थ हैं। पिताजी अकसर एपीजे अब्दुल कलाम और अपनी दोस्ती का जिक्र करते हैं। आज भी घर में एपीजे अब्दुल कलाम के प्रसंशा पत्र सहित मेडल और फोटो सहेज कर रखे हैं। अपने कमरे को उन्होंने म्यूजियम बना लिया है।
सैनिकों की नर्सरी है चूंद गांव
कोटर से सात किमी. दूर स्थित चूंद गांव सैनिकों की नर्सरी है। 3500 की आबादी वाले गांव में 400 से ज्यादा युवा सेना में भर्ती होकर देशसेवा कर रहे हैं। हकीकत ऐसी है कि गांव के हर घर से एक युवक फौज में है। चूंद के महेश सिंह बताते हैं कि चूंद और कुआं गांव से पांच-छह जवान शहीद हो चुके हैं। कुछ जवान गोली लगने और बम से घायल होकर विकलांग हो चुके है फिर भी देश प्रेम का जज्बा कम नहीं हुआ। गांव की महिलाएं आज भी अपने बच्चों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करती है।

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