हड़बड़ाए सरपंच पहुंचे स्कूल पत्रिका में ग्राम पंचायत बेला के सामुदायिक भवन में सरस्वती स्कूल संचालित होने की खबर उजागर होते ही दूसरे दिन मंगलवार को सरपंच प्रभात सिंह आनन फानन में विद्यालय पहुंचे और प्रधानाचार्य को एक दिन में ही भवन खाली करने के निर्देश दिए हैं। उधर पत्रिका की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि खुद सरपंच प्रभात सिंह भी विद्यालय प्रबंधन से सामुदायिक भवन का किराया वसूल रहे थे। यहां के प्रधानाचार्य ने बताया कि यह भवन काफी पहले से किराए से संचालित था। वे तबादले में जब यहां आए हैं उसके पहले से इस भवन में स्कूल का संचालन हो रहा था। अभी तक उपसरपंच को किराया दिया जा रहा था, लेकिन पिछले दो माह से सरपंच को यह राशि दी जा रही थी। इसके समर्थन में उन्होंने बकायदा रजिस्टर में किराया लिये जाने का सरपंच का लेख और हस्ताक्षर भी दिखाया है।
कुछ और विद्यालय सामने आए
कुछ और विद्यालय सामने आए
बेला के बाद जनपद पंचायत अमरपाटन के ग्राम पंचायत पाल के सामुदायिक भवन में भी सरस्वती विद्यालय संचालित होने का मामला सामने आया है। इसी तरह से बरती (छिबौरा) में जिला पंचायत की अधोसंरचना मद से बनी दुकानों में भी सरस्वती विद्यालय लगने का मामला सामने आया है। बताया गया है कि इसकी शिकायत जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में भी की गई थी लेकिन वहां मामला दबा दिया गया था।
कैसे मिली मान्यता
कैसे मिली मान्यता
शासकीय भवनों में निजी विद्यालय संचालित किए जाने का मामला सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग भी सवालों के घेरे में आ गया है। सवाल यह खड़ा हुआ है कि ऐसे विद्यालयों को मान्यता कैसे मिल गई। साथ ही आरोप लग रहे हैं कि जिम्मेदारों ने बिना भौतिक परीक्षण किए ही मान्यता के संस्तुति कर दी और इन्हें मान्यता दे दी गई। अगर मौका मुआयना किया गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती।
जिपं सीईओ ने दिखाई गंभीरता
जिपं सीईओ ने दिखाई गंभीरता
इस मामले को जिपं सीईओ ने गंभीरता से लेते हुए जनपद सीईओ से इस मामले का प्रतिवेदन तलब किया है और निजी विद्यालय को खाली कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कई शासकीय भवनों में निजी विद्यालय संचालित होने की जानकारी मिलने पर जिपं सीईओ ने सभी पंचायतों से इस आशय के प्रमाण पत्र तलब किए हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद जहां ऐसे शासकीय भवनों में विद्यालय संचालित पाए जाएंगे वहां संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रमाण-पत्र मिलने के बाद अगर कहीं निजी विद्यालय शासकीय भवन में संचालित पाया जाएगा तो फिर संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर लिये जाने की बात सामने आई है।