यहां स्थित देवी के आशीर्वाद से जहां भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं वहीं कहा जाता है कि एक निर्धारित वक्त पर यहां कोई भी नहीं रुकता।
सतना। यह मंदिर अतिप्राचीन है। दूर पहाड़ पर स्थित है होने के साथ ही कई रोचक कथाएं भी यहां से जुड़ी हैं। यहां स्थित देवी के आशीर्वाद से जहां भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं वहीं कहा जाता है कि एक निर्धारित वक्त पर यहां कोई भी नहीं रुकता। उस वक्त से पहले ही सभी मंदिर से नीचे उतर आते हैं। मंदिर के पुजारी भी इस निर्धारित वक्त में इस अद्भुत दैविय स्थान पर नहीं रहते।
बताया जाता है कि मैहर में मा शारदा के इस मंदिर में रात 2 बजे से 5 बजे के बीच कोई भी नहीं ठहरता। यहां तक की अपना जीवन माता की भक्ति में लगाने वाले भक्त भी इस दौरान यहां नहीं रहते। क्षेत्रीय लोग इस संबंध में बताते हैं कि रात 2 से 5 बजे के बीच यदि कोई यहां रुकता है तो उसकी मौत तक हो जाती है।
कहते हैं कि कई बार यहां पहले कुछ लोगों ने रुक कर इसका कारण जानने का प्रयास किया, लेकिन इससे पहले की सुबह हो पाती। वे दुनिया से जा चुके थे। बुजुर्गों की इस संबंध में मान्यता है कि रात 2 से 5 बजे के बीच देवी के महान भक्त आल्हा-ऊदल यहां पूजन के लिए आते हैं। जब सुबह पुजारी मंदिर के द्वार खोलते हैं तो वहां देवी का पूजन किया हुआ आज भी हर रोज मिलता है।
यह मान्यता बरसों पुरानी है, जिस पर बरसों से अमल किया जा रहा है। कहते हैं कि आल्हा-ऊदल को देवी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था। जिसकी वजह से वे अब भी उनकी भक्ति करने यहां प्रतिदिन आते हैं। यही वजह से कि रात के वक्त मंदिर में कोई नहीं ठहरता। जिसने भी अब तक इन्हें देखने का प्रयास किया वह जीवित नहीं बचा।