दरअसल बाईपास में रेलवे लाइन पर आरओबी का निर्माण पूरा नहीं होने से पूरा बाईपास यातायात के लिए उपयुक्त नहीं है। अभी सोहावल मोड़ से चित्रकूट सड़क बगहा तक बाईपास मार्ग और दूसरे हिस्से में बन चुके सतना-बदखर से रीवा-बेला तक मार्ग पर यातायात चालू है।
आरओबी की लंबाई एक मीटर कम बताया गया कि आरओबी के नीचे से रेलवे की पन्ना लाइन जाना है, जिसका अर्थवर्क पूरा हो गया है। पुल बन जाने पर एनएच व रेलवे के अधिकारियों को होश आया कि रेल विद्युतीकरण के हिसाब से आरओबी की लंबाई एक मीटर कम है। उसके बाद रेलवे व एनएच विभाग में करीब छह माह तक गतिरोध बना रहा। बाद में नई डिजाइन तैयार करा कर काम शुरू हुआ तब तक बाइपास प्रोजेक्ट एक साल और पीछे चला गया। इस लापरवाही पर किसी पर जिम्मेदारी नहीं डाली गई और न ही कोई कार्रवाई की हुई।
नो-एंट्री से मिलेगी मुक्ति सतना-बेला राष्ट्रीय राजमार्ग आने वाले भविष्य में व्यावसायिक जगत के लिए लाइफलाइन बनेगा। सीमेंट कंपनियों एवं अन्य व्यावसायिक संस्थानों के औद्योगिक वाहन एवं भारवाहक वाहनों को नो एंट्री खुलने का इंतजार नहीं करना होगा। सतना-बदखर होते हुए यह वाहन रीवा, प्रयागराज की ओर जा सकेंगे। उधर सोहावल मोड़ से बगहा चित्रकूट रोड तक बाईपास की सुविधा से नागौद, छतरपुर की तरफ से आने वाले वाहन बिना शहर में प्रवेश किए चित्रकूट, बांदा, प्रयागराज, कानपुर की ओर जा सकेंगे।
इस तरह पिछड़ा प्रोजेक्ट सबसे पहले वर्ष 2011-12 में बाईपास का काम शुरू हुआ, लेकिन ठेकेदार ने बीच में काम छोड़ दिया। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से इस मार्ग के लिए ईपीसी मोड पर दोबारा टेण्डर किया गया। इसके तहत 2016-17 में श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर में फिर से काम शुरू किया गया। 2019-20 इसे पूरा होना था, लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते काम में देरी हुई। फिर आरओबी के कारण एक साल और लग गए।