जिला अस्पताल के चिकित्सक प्रमुख सचिव का भी आदेश मानने तैयार नहीं है। प्रबंधन के जिम्मेदार भी मनमानी पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। लापरवाही का आलम यह है कि जनरल ओपीडी में चिकित्सक नहीं बैठ रहे हैं। ग्रामीण अंचल से आने वाले मरीजों को इलाज की बजाए इंतजार नसीब हो रहा है। रोजाना बडी संख्या में पीडित बिना इलाज लौट रहे हैं।
बता दें 21 अप्रेल से जनरल ओपीडी चालू करने के निर्देश दिए गए थे। नयी ओपीडी में फीवर क्लीनिक शुरु हो जाने के कारण सभी विभागों को नये सिरे से पुरानी ओपीडी में कक्ष आबंटित किए गए थे। लेकिन चिकित्सक पुरानी ओपीडी में बैठने ही तैयार नहीं है।
हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं सीएस, सीएमएचओ
जिला अस्पताल में एकाएक यह स्थिति नहीं बनी है बल्कि अनलॉक के पहले से ही ओपीडी के संचालन में लापरवाही बरती जा रही है। एक दो विभागों को छोड़ दें तो किसी भी विभाग के चिकित्सक संक्रमण फैलने के बाद ओपीडी में नहीं आ रहे हैं। इसकी जानकारी सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया, सीएस डॉ प्रमोद पाठक सहित अन्य को भी है। लेकिन संरक्षण के चलते सभी मौन साधे हुए हैं।
जिला अस्पताल में एकाएक यह स्थिति नहीं बनी है बल्कि अनलॉक के पहले से ही ओपीडी के संचालन में लापरवाही बरती जा रही है। एक दो विभागों को छोड़ दें तो किसी भी विभाग के चिकित्सक संक्रमण फैलने के बाद ओपीडी में नहीं आ रहे हैं। इसकी जानकारी सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया, सीएस डॉ प्रमोद पाठक सहित अन्य को भी है। लेकिन संरक्षण के चलते सभी मौन साधे हुए हैं।
गरीब तबके के मरीज परेशान जिला अस्पताल के चिकित्सकों की मनमानी का सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब तबके के पीडितों को भुगतना पड रहा है, जो निजी हॉस्टिल का शुल्क देकर इलाज कराने में सक्षम नहीं है। उन्हें चिकित्सकों की मनमानी के चलते जिला अस्पताल में भी इलाज नहीं मिल पा रहा है।
ओपीडी में आए मरीजों ने कहा सोहावल निवासी विशाल कुमार वर्माको इमरजेंसी में बैठे चिकित्सक ने इंजेक्शन का परामर्श दिया, लेकिन हॉस्पिटल में इंजेक्शन नहीं था। सतना निवासी महेंद्र ने बताया, पैर मे तकलीपफ है लेकिन हड्डी रोग विभाग के चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। तीन दिनों से अस्पताल का चक्कर लगा रहे है।