पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने बनी थी परिषद प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये 2016 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन नीति तैयार करते हुए जिला स्तर पर जिला पर्यटन संवर्धन परिषद का गठन किया गया था। जिसके तहत प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में साधारण सभा की बैठकों का प्रावधान किया गया था। इसका उद्देश्य था कि जिले के पर्यटन स्थलों को विकसित करते हुए जिले में पर्यटन गतिविधियों में इजाफा करना और इससे रोजगार के अवसर के साथ ही लोगों के लिये अच्छे पिकनिक स्पाट तैयार करना था।
यह है बैठक का प्रारूप साधारण सभा की बैठक वर्ष में एक बार आवश्यक रूप से होनी थी जिसमें एक तिहाई सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य की गई है। इसके अलावा कार्यकारिणी समिति की बैठक वर्ष में चार बार हर तीन माह के अंतराल में होगी जिसमें एक तिहाई सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। लेकिन ये बैठकें हुई हो ऐसा आज तक जिले में नजर नहीं आया। कम से कम साधारण सभा की बैठक तो आज तक एक बार भी नहीं हुई है। और अगर हुई भी होगी तो वह कागजों में खानापूर्ति कर ली गई होगी।
परसमनिया पठार, बाणसागर जलाशय में व्यापक संभावनाएं सतना जिले में धार्मिक पर्यटन स्थल चित्रकूट और मैहर को अगर छोड़ दिया जाए तो परसमनिया पठार, बाणसागर जलाशय, बकिया बराज सहित सरभंगा और इसके आसपास के स्थलों में पर्यटन गतिविधियों की तमाम संभावनाएं हैं। परसमनिया पठार तो सतना जिले का सबसे शानदार पर्यटक स्थल बन सकता है और वाइट टाइगर सफारी क्षेत्र से भी ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता है। यहां रात्रि विश्राम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों के विकास की तमाम बातें कहीं थी। इसी तरह बाणसागर जलाशय में स्टीमर और वाटर स्पोट्र्स की तमाम संभावनाएं है। सरभंगा और इससे लगे इलाके में घने जंगलों के बीच तमाम ऐसे स्थल है जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। लेकिन डीटीपीसी की बैठक नहीं होने से यह सभी मामले ठंडे बस्ते में पड़े हैं।