इसी बीच 28 सितंबर को सुबह 9 बजे राकेश की लाश बड़कोनिया मंदिर के पास कुएं मिली। नागौद थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच मर्ग कायम किया। राकेश की खोपड़ी और कान के पीछे, सिर के अन्य भाग और गर्दन में धारदार हथियार से चोट के निशान मिले। रिपोर्ट में मस्तिष्क में चोट लगने से मौत होना बताया गया। जिस कुएं के पास राकेश की लाश मिली उसके पास आरोपी राजा का गोदाम और सामने दुकान है। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। कुछ दिन बाद हत्याकांड में खात्मा लगा दिया। मां राधा ने एसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने शिकायत दर्ज कराई। लेकिन मां के दर्द को किसी ने नहीं समझा, उसकी शिकायत को दरकिनार कर दिया गया।
विचारण के दौरान काका -बूट हाउस बस स्टेण्ड नागौद के संचालक राजा उर्फ राजेश सिंधी, पुष्पेंद्र और महफूज निवासी गोपाल टोला नागौद के खिलाफ जुर्म प्रमाणित होना पाया गया। कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को भादवि की धारा 302 के तहत आजीवन करावास, धारा 120 बी के तहत आजीवन कारावास, धारा 201 के तहत 7 वर्ष का सश्रम कारावास सहित ढाई-ढाई लाख रुपए का जुर्माना लगाया। मां को पांच लाख रुपए देने के आदेश दिए। यह भी कहा कि अपील होने की दशा में अपील न्यायालय के अदेशानुसार राशि देय होगी।
एसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों की अनसुनी के बाद मां ने कलेजे के टुकड़े के हत्यारों को सजा दिलाने की ठानी। उसने जेएमएफसी कोर्ट नागौद में परिवाद दायर किया। कोर्ट ने जांच के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120 बी, 201 के तहत अपराध का संज्ञान लिया। कोर्ट ने मां को पांच लाख रुपए देने के आदेश हैं।