जिस सड़क की मरम्मत 7 करोड़ में हो जाती, पर 21 करोड़ सालाना खर्च, ये है सतना-मैहर मार्ग पर टोल वसूली की हकीकत
एमपीआरडीसी अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध, ठेका कंपनी को लाभ देने के लिए जनहित दरकिनार

सतना। सतना-मैहर मार्ग के तिघरा मोड पर नए टोल चालू करने, मैहर-उमरिया मार्ग पर भदनदपुर में टोल चालू करने को लेकर इन दिनों विवाद चल रहा है। सतना ट्रांसपोर्ट यूनियन, विंध्य चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने टोल टैक्स के विरोध में मोर्चा खोल रखा है। जिला प्रशासन, एमपीआरडीसी और स्थानीय जनप्रतिनिधि पर्दे के पीछे से ठेका कंपनी त्रिरुपति बिल्डकॉन को लाभ पहुंचाने में लगे हुए हैं। किसी को अपने निजी लाभ के आगे जनहित दिखाई नहीं दे रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि ठेका कंपनी की आड़ में करोड़ों का लाभ छिपा है।
जिस कंपनी को सड़क मरम्मत करने लिए 7-8 करोड़ का खर्च आ रहा है। उसे 21 करोड़ से ज्यादा वसूली की अनुमति दी गई। अब इससे भी मन नहीं भरा, तो अधिकारियों ने लीकेज के नाम पर दो अतिरिक्त टोल लगवा दिए। इस गणित को 141 किमी के सतना-मैहर-उमरिया मार्ग को छोटे खंडों में बांटना होगा। एमपीआरडीसी से सतना-मैहर के करीब 35 किमी दूरी के लिए 235 रुपए टोल तय कर रखा है।
प्रतिवर्ष 3-4 करोड़ का खर्चा
अगर, इस दूरी के मरम्मत की बात करें तो प्रतिवर्ष 3-4 करोड़ का खर्चा आता है। अगर, पूरी डामर निकालकर शत-प्रतिशत बीटी रिन्युअल कराया जाता तो 5-7 करोड़ की लागत आएगी। इसे समझना भी आसान है। हाल ही में एमपीआरडीसी ने सतना-मझगवां मार्ग (42 किमी) के बीटी रिन्युअल के लिए 8.8 करोड़ का टेंडर निकाला है। यानी सतना-मैहर के 35 किमी के मरम्मत की कीमत इससे ज्यादा नहीं हो सकती। फिर भी ठेका कंपनी को 15 करोड़ तक सलाना वसूली की अनुमति दी गई है। इस तरह प्रति ट्रक 235 रुपए की दर भी कम होनी चाहिए थी।
लीकेज के नाम पर दूसरी सड़क से वसूली
ठेका कंपनी त्रिरुपति बिल्डकॉन को एमपीआरडीसी ने सड़क के लीकेज रोकने के नाम पर अतिरिक्त दो टोल लगाने की अनुमति दी है। लेकिन, इसके आड़ में बड़ा खेल चल रहा है। एमपीआरडीसी के अधिकारी उन सड़कों के वाहनों से वसूली करा रहे हैं, जिसे बनाया ही नहीं है और न ही वो टोल के दायरे में आती है। सतना के तिघरा मोड़ पर टोल लगाकर बाइपास के गुजरने वाले वाहनों का लीकेज रोका जा रहा है। जबकि मैहर मार्ग पर वाहन 500 मीटर चलते हैं। यानी करीब 8 किमी गुजरने के लिए कोई टोल नहीं, लेकिन 500 मीटर गुजरने के लिए 235 रुपए प्रति ट्रक वसूली। इसी तरह भदनपुर में टोल लगाकर भटूरा मार्ग के वाहनों से वसूली चल रही है। इन दोनों टोल से प्रतिदिन 2.5-3 लाख रुपए तक की वसूली की जा रही।
विशेष परिस्थिति का दुरुपयोग
ऐसी अनुमति देने का काम केवल विशेष परिस्थिति में किया जाता है। लेकिन, सतना-मैहर-उमरिया मार्ग के मामले में विशेषाधिकार का दुरुपयोग किया गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि मलेशिया कंपनी ने सड़क बनाई थी, जिसका टोल वसूली वर्ष 2017 में पूरा हो गया। कंपनी ने करीब 20 साल तक दो टोल के माध्मय से वसूली की। अब त्रिरूपति बिल्डकॉन को अनुमति दी गई, जिसके तहत मरम्मत करो और टोल वसूलो का खेल है। यानी निर्माण एजेंसी को केवल दो टोल लगाने की अनुमति, देखरेख करने वाली ठेका कपंनी को चार टोल लगाने की अनुमति। इस विशेषाधिकार को समझा जा सकता है।
ऐसे समझें 21 करोड़ का गणित
अगर, एमपीआरडीसी के सर्वे की मानें तो सतना-मैहर मार्ग पर प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा वाहनों का दबाव है। हालांकि इस पर केवल कॉमर्शियल वाहनों से टैक्स लिया जाता है, निजी वाहनों को छूट प्रदान है। लिहाजा आंकड़ा 20 फीसदी वाहनों पर आ जाता है। जानकार बताते हैं कि सतना-मैहर मार्ग पर प्रतिदिन औसतन 3 हजार से ज्यादा ट्रक गुजरते हैं। अन्य वाहनों का अलग है। ऐसे में ट्रकों से प्रतिदिन 7 लाख से ज्यादा का कलेक्शन होता है। इस तरह सालभर में 21 करोड़ से ज्यादा की वसूली का खेल है।
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