निगमायुक्त प्रवीण सिंह अढ़ायच को बताया गया कि एनीकट से पानी फिल्टर प्लांट में लाया जाता है। इसके बाद इसे फिल्टर किया जाता है। इस फिल्टर पानी का परीक्षण करने के उपरांत टेस्टिंग में सफल होने पर शहर में सप्लाई की जाती है। इस पर निगमायुक्त टेस्टिंग लैब देखने पहुंच गए। यहां उन्होंने पाया कि टेस्टिंग के उपकरण अस्त-व्यस्त हालत में हैं। टेस्टिंग में प्रयुक्त होने वाले कैमिकल भी सही स्थिति में नहीं है। टेस्टिंग रिपोर्ट रजिस्टर चेक किया तो पाया कि टेस्टिंग रिपोर्ट भी काल्पनिक तरीके से दर्ज है। टेस्टिंग मशीन में धूल जमी थी। इससे साबित हो रहा था कि इनका उपयोग नहीं हो रहा है।
फिल्टर प्लांट में पानी की दो बार टेस्टिंग की जाती है। पहली बार जब एनीकट से रॉ वाटर आता है तो उसकी टेस्टिंग होती है। इसके बाद फिल्टर वाटर की जांच होती है। इस जांच में रिपोर्ट सही मिलने पर ही पानी शहर में सप्लाई किया जाता है।
निगमायुक्त की पूछताछ में पता चला कि कर्मचारी नियमित परीक्षण न कर सप्ताह में कभी परीक्षण कर लेते हैं और उसी के अनुरूप आंकड़े आगे मनमानी दर्ज कर देते हैं। यह देख वे भड़क गए। आनन फानन में टेस्टिंग में तैनात कर्मचारी राजेश मिश्रा और सौखीलाल नामदेव को तलब किया। आने पर कर्मचारी से सुबह की गई टेस्ट रिपोर्ट मांगी और अपने सामने पानी टेस्ट करने कहा। लेकिन कर्मचारी टेस्ट करने में असफल रहे।
ईई पीएचई के पहुंचने पर निगमायुक्त ने कहा कि फिल्टर प्लांट में तैनात इन कर्मचारियों का प्रशासनिक नियंत्रण आपके पास है। जनस्वास्थ्य से जुड़े इस संवेदनशील मामले में ऐसे नाकारा लोगों की ड्यूटी लगा कर आप हद दर्जे की लापरवाही कर रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों की दो-दो वेतनवृद्धि रोकिये और कार्रवाई पश्चात मुझे अवगत कराएं। साथ ही निर्देश दिए कि कर्मचारियों को पानी टेस्टिंग की पूरी पद्धति सिखाएं और नियमित टेस्ट की व्यवस्था करें। दोबारा ऐसी लारवाही मिलने मामला पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
फिल्टर प्लांट के निरीक्षण के बाद निगमायुक्त अढ़ायच उतैली स्थित निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास के निरीक्षण में भी गए। यहां उन्होंने आवासों की जानकारी ली और कार्य की प्रगति पूछी। इस दौरान निर्माण कार्य से जुड़े अन्य मसलों पर भी जानकारी प्राप्त की। पहला निरीक्षण सामान्य जानकारी के लिए बताया जा रहा है।
बताया गया कि लोकस्वास्थ्य से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे के मामले में इइ पीएचई को भी नोटिस जारी होगी। नियमानुसार इस मसले पर उनकी भी प्राथमिक जिम्मेदारी होती है कि वे फिल्टर प्लांट का औचक निरीक्षण कर यहां होने वाली पानी की टेस्टिंग की जानकारी लें। माना जा रहा है कि इस मामले में आगे निगम के जिम्मेदार लोगों की भी क्लास ली जा सकती है।
प्रवीण सिंह अढ़ायच, निगमायुक्त