सतना

बिना आश्रय शुल्क जमा कराए नक्शे पास, MP के इस नगर निगम को लगी करोड़ों की चपत

निगमायुक्त के निरीक्षण से खुली नक्शा शाखा की पोल, छह सदस्यों की कमेटी करेगी जांच

सतनाAug 31, 2018 / 01:12 pm

suresh mishra

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सतना। नगर निगम के इंजीनियरों ने बिल्डरों के साथ मिलीभगत कर बिना आश्रय शुल्क जमा कराए ही बहुमंजिला इमारतों का नक्शा पास कर दिया। इससे निगम प्रशासन को करोड़ों रुपए के राजस्व की क्षति हुई है। इसकी पोल गुरुवार को तब खुली जब निगमायुक्त ने शहर में खड़ी बहुमंजिला इमारतों का निरीक्षण कर उनके द्वारा जमा कराए आश्रय शुल्क की जानकारी ली। निगमायुक्त की प्रारंभिक जांच में नगर निगम का महाघोटाला सामने आया है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने निगम इंजीनियरों की पांच सदस्यीय जांच टीम गठित की है, जो बिल्डरों की बहुमंजिला इमारतों की जांच करके यह पता लगाएगी कि इनमें कमजोर वर्ग के लिए 15 फीसदी आवास आरक्षित किए गए हैं या नहीं। निगमायुक्त ने निरीक्षण के बाद जांच में शहर के रसूखदारों की 17 बिल्डिंग को शामिल किया है। जांच टीम 15 दिन में आश्रय शुल्क घोटाले की जांच कर रिपोर्ट निगमायुक्त को सौंपेगी।
जांच के दायरे में ये इमारत
निगमायुक्त ने गुरुवार को भरहुत नगर रीवा रोड एवं पतेरी स्थित एक दर्जन बहुमंजिला इमारतों का मौके पर जाकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद जिन इमारतों की जांच के निर्देश दिए गए हैं उनमें भरहुत नगर स्थित पलाश पे्ररणा, गोविंदम, जीवन ज्योति कालोनी स्थित कुशवाहा बिल्डिंग, हंश बिलास, मुनीम टावर, बिरला रोड मंडी मोड़ स्थित मनसुख पटेल की बिल्डिंग, भरहुत नगर स्थित एसआरबीएच बिल्डिंग, रिद्धी-सिद्धी अपार्टमेंट, कृष्णम बिल्डिंग सहित शहर के रसूखदारों की दो दर्जन इमारतें शामिल हैं।
नपेगी इंजीनियरों की गर्दन
निगमायुक्त ने प्रारंभिक जांच में माना कि बिल्डरों ने निर्माण शाखा के इंजीनियरों से मिलीभगत कर बिना शुल्क जमा कराए अवैध रूप से रिहायशी कॉलोनियों का निर्माण किया है। इससे निगम को राजस्व की हानि हुई है। जांच के बाद यदि इसमें नक्शा शाखा के अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
क्या है आश्रय शुल्क
शहर के अंदर कॉलोनियों का निर्माण करने वाले कॉलोनाइजरों को कॉलोनी में 15 फीसदी आवास कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। यदि कोई कॉलोनाइजर एेसा नहीं करता तो उसे नक्शा पास कराते समय जमीन और निर्माण की कुल लागत की 5 फीसदी राशि निगम के कोष में जमा करना अनिवार्य है। बिल्डर द्वारा जमा कराई गई इस राशि को आश्रय शुल्क कहा जाता है। इस राशि का उपयोग निगम प्रशासन कमजोर वर्ग के लिए आवास बनाने एवं दलित बस्तियों के विकास में खर्च करता है।
यह कमेटी करेगी जांच
निगमायुक्त प्रवीण सिंह ने बहुमंजिला इमारतों की जांच के लिए इंजीनियरों की 6 सदस्यीय जांच टीम गठित की है। इसमें निगम के कार्यपालन यंत्री योगेश तिवारी, नागेन्द्र सिंह, अरुण तिवारी, सहायक यंत्री आरपी सिंह तथा दो उपयंत्री को शामिल किया गया है। जांच टीम 15 दिन में बिना आश्रय शुल्क जमा कराए अवैध रूप से विकसित 17 बहुमंजिला इमारतों की जांच कर रिपोर्ट निगमायुक्त को सौंपेगी।
बिना एनओसी पास कर दिया नक्शा
शासन के नियमानुसार, बिल्डर को रिहायशी कॉलोनी व बहुमंजिला बिल्डिंग बनाने से पहले टॉउन एण्ड कंट्री प्लॉनिंग से बिल्डिंग का नक्शा पास कराना चाहिए। इसके बाद नगर निगम प्रशासन बिल्डिंग निर्माण की लागत के आधार पर आश्रय शुल्क जमा कराकर उन्हें निर्माण की अनुमति देगा। लेकिन शहर की ज्यादातर बहुमंजिला इमारतें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से एनओसी लिए ही बगैर ही नगर निगम में नक्शा स्वीकृति के लिए आवेदन दिया। नक्शा शाखा के अधिकारियों ने आंख बंदकर नियम विरुद्ध तरीके से बिल्डिंग बनाने का नक्शा पास कर दिया। नक्शा शाखा के अधिकारियों की इस मनमानी से निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व क्षति हुई है।
शहर में बिना आश्रय शुल्क जमा कराए अवैध रूप से बिल्डिंग बनाने की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। गुरुवार को मौके पर जामकर बहुमंजिला इमारतों का जायजा लिया। शिकायत सही पाई गईं। अवैध रूप से बनाई गई इमारतों की जांच के लिए इंजीनियरों की टीम गठित कर दी है। जांच रिपोर्ट मिलने पर जो दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रवीण सिंह, आयुक्त, नगर पालिक निगम सतना

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