नईबस्ती के रहवासी लगभग आधे घंटे तक सड़क पर बैठे रहे। इससे नीमी रोड पर जाम लग गया। इस दौरान नईबस्ती सड़क से गुजर रहे कलेटर भी जाम में फंस गए। सड़क पर भीड़ देखकर कलेटर सतेंद्र सिंह कार से उतर कर लोगों के बीच पहुंचे और सड़क जाम करने का कारण पूछा। भीड़ का नेतृत्व कर रहे अनिल दुबे ने कलेटर को बताया कि उनकी बस्ती में
अधिकांश गरीब परिवारों के घर में शौचालय नहीं है। निगम की टीम खुले में शौच जाने पर लोगों को पत्थर मरती है। इसलिए बस्ती में एक सार्वजनिक शौचालय बनवाया जाए। कलेटर ने एक सप्ताह के अंदर बस्ती में सार्वजनिक शौचालय बनवाने का आश्वासन दिया। तब कहीं जाकर लोग सड़क से हटे।
२० फीसदी घरों में शौचालय नहीं
अगले सप्ताह खुले में शौच मुत शहर का सर्वे करने ओडीएफ की टीम पहुंचने वाली है। लेकिन शहर ओडीएफ परीक्षा पास करने के लिए कितना तैयार है इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि नईबस्ती की मलिन बस्तियों के २० फीसदी घरों में आज भी शौचालय नहीं है। वह लोटा लेकर खुले में जाने को मजबूर है। घर में शौचालय न होने की जानकारी देते हुए महिलाओं ने कहा कि घर में शौचालय बनवाने निगम १३०० रुपए मांग रहा है। उनके पास १३ रुपए नहीं हैं। इसलिए उनकी बस्ती में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जाए।
अधिकांश गरीब परिवारों के घर में शौचालय नहीं है। निगम की टीम खुले में शौच जाने पर लोगों को पत्थर मरती है। इसलिए बस्ती में एक सार्वजनिक शौचालय बनवाया जाए। कलेटर ने एक सप्ताह के अंदर बस्ती में सार्वजनिक शौचालय बनवाने का आश्वासन दिया। तब कहीं जाकर लोग सड़क से हटे।
२० फीसदी घरों में शौचालय नहीं
अगले सप्ताह खुले में शौच मुत शहर का सर्वे करने ओडीएफ की टीम पहुंचने वाली है। लेकिन शहर ओडीएफ परीक्षा पास करने के लिए कितना तैयार है इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि नईबस्ती की मलिन बस्तियों के २० फीसदी घरों में आज भी शौचालय नहीं है। वह लोटा लेकर खुले में जाने को मजबूर है। घर में शौचालय न होने की जानकारी देते हुए महिलाओं ने कहा कि घर में शौचालय बनवाने निगम १३०० रुपए मांग रहा है। उनके पास १३ रुपए नहीं हैं। इसलिए उनकी बस्ती में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जाए।