कहने को राज्य सरकार हमेशा यह एलान करती रही है कि पुरानी जगह पर बसे लोगों को पट्टा मुहैया करवाया जाएगा, लेकिन यह फरमान यहां बेमानी साबित हुआ है। इसके साथ ही ७० फीसदी यहां की आबादी बुनियादी सुविधा से जूझ रही है।
एक मुक्तिधाम भी नसीब नहीं
महावीर वार्ड के रहवासियों को एक मुक्तिधाम भी नसीब नहीं है। कई बार निगम प्रशासन व पार्षद को लिखित आवेदन देने के बाद भी इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया। चेतावनी देते हुए लोागों ने कहा है कि यदि 15 दिनों के अंदर मुक्तिधाम का निर्माण कार्य शुरू नहीं होता तो संतोषी माता चौराहे के पास सड़क पर अनशन करेंगे। स्थानीय रहवासियों का आरोप है की स्मार्ट सिटी के नाम पर यहां की जनता के साथ अन्याय किया गया है।
महावीर वार्ड के रहवासियों को एक मुक्तिधाम भी नसीब नहीं है। कई बार निगम प्रशासन व पार्षद को लिखित आवेदन देने के बाद भी इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया। चेतावनी देते हुए लोागों ने कहा है कि यदि 15 दिनों के अंदर मुक्तिधाम का निर्माण कार्य शुरू नहीं होता तो संतोषी माता चौराहे के पास सड़क पर अनशन करेंगे। स्थानीय रहवासियों का आरोप है की स्मार्ट सिटी के नाम पर यहां की जनता के साथ अन्याय किया गया है।
हाउसिंग बोर्ड के जानलेवा गड्ढे
घूरडांग में ही हाउसिंग बोर्ड एमआइजी, एचआइजी के कई मकानों का निर्माण कार्य करवा चुका है। सीवर लाइन बिछाने के नाम पर साल भर से गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया। जिससे कई बार स्थानीय रहवासी हादसे का शिकार भी हो चुके हैं। विभाग में शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
घूरडांग में ही हाउसिंग बोर्ड एमआइजी, एचआइजी के कई मकानों का निर्माण कार्य करवा चुका है। सीवर लाइन बिछाने के नाम पर साल भर से गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया। जिससे कई बार स्थानीय रहवासी हादसे का शिकार भी हो चुके हैं। विभाग में शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
जहरीला हो गया कुएं का पानी
वायु प्रदूषण के चादर में घिरे वार्ड क्रमांक 11 घूरडांग की तबीयत नासाज है। सुबह तो ठीक जैसे ही रात होती है। क्षेत्र में लगी सीमेंट फैक्ट्री धुआं उगलने लगती है। रात को लोग बाहर कपडे़ फैलाकर रखते हैं तो सुबह सीमेंट जैसे चादर की तरह फैली हुई दिखाई देती है। अब इसका गहरा असर यहां देखने को मिला है। जहां पीने का पानी भी खारा हो चुका है। पहले जिस कुएं में लोग पानी भरने के लिए आते थे वहां अब कोई नहीं जाता।
वायु प्रदूषण के चादर में घिरे वार्ड क्रमांक 11 घूरडांग की तबीयत नासाज है। सुबह तो ठीक जैसे ही रात होती है। क्षेत्र में लगी सीमेंट फैक्ट्री धुआं उगलने लगती है। रात को लोग बाहर कपडे़ फैलाकर रखते हैं तो सुबह सीमेंट जैसे चादर की तरह फैली हुई दिखाई देती है। अब इसका गहरा असर यहां देखने को मिला है। जहां पीने का पानी भी खारा हो चुका है। पहले जिस कुएं में लोग पानी भरने के लिए आते थे वहां अब कोई नहीं जाता।
निजी खर्च से बनवाई नाली
नगर निगम द्वारा इस वार्ड में नाली का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया। जिसके चलते कई लोग अपने घर के सामने निजी खर्च से नाली का निर्माण कार्य करवाने में भलाई समझी। जबकि एेसे ही एक सड़क में निगम प्रशासन ने दोहरा चरित्र अपनाते हुये दोनों ओर सड़क का निर्माण कार्य करवाकर बीच में छोड़ दिया।
नगर निगम द्वारा इस वार्ड में नाली का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया। जिसके चलते कई लोग अपने घर के सामने निजी खर्च से नाली का निर्माण कार्य करवाने में भलाई समझी। जबकि एेसे ही एक सड़क में निगम प्रशासन ने दोहरा चरित्र अपनाते हुये दोनों ओर सड़क का निर्माण कार्य करवाकर बीच में छोड़ दिया।
फैक्ट फाइल
वार्ड का नाम: महावीर
जनसंख्या 7160
अजा संख्या 1116
अजजा संख्या 460
मतदाता 5060
पुरुष 2829
महिला 2231 निगम प्रशासन के कार्य से संतुष्ट हंू। वार्ड में जो खामियां हैं उन्हे भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा। पानी की समस्या जरूर है।
मीरा सिंह, पार्षद
वार्ड का नाम: महावीर
जनसंख्या 7160
अजा संख्या 1116
अजजा संख्या 460
मतदाता 5060
पुरुष 2829
महिला 2231 निगम प्रशासन के कार्य से संतुष्ट हंू। वार्ड में जो खामियां हैं उन्हे भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा। पानी की समस्या जरूर है।
मीरा सिंह, पार्षद
वार्ड की मुख्य समस्या पेयजल है। पेयजल के लिए दूसरे इलाके जाना पड़ता है। वार्ड पार्षद महिला हंै जिस कारण समस्याओं पर ध्यान नहीं दे पाती हैं।
शिवकुमार तिवारी मुक्तिधाम न होने से वार्ड में किसी के यहां गमी होने पर दूसरे इलाके अंतिम संस्कार को जाना पड़ता है। राजनीति के चलते मुक्ति धाम निर्माण का काम नहीं हो पा रहा है।
कौशलेन्द्र द्विवेदी
शिवकुमार तिवारी मुक्तिधाम न होने से वार्ड में किसी के यहां गमी होने पर दूसरे इलाके अंतिम संस्कार को जाना पड़ता है। राजनीति के चलते मुक्ति धाम निर्माण का काम नहीं हो पा रहा है।
कौशलेन्द्र द्विवेदी
नालियों की सफाई होती नहीं है। सफाई कर्मी किसी की सुनते नहीं है। कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता है। पेयजल के सभी स्रोत सूख गये हैं।
जयभान त्रिपाठी कई इलाकों में सड़क है नहीं जिस कारण पैदल चलना मुश्किल हो गया है। सड़क को लेकर कई बार शिकायत भी की गई लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पप्पू शुक्ला
जयभान त्रिपाठी कई इलाकों में सड़क है नहीं जिस कारण पैदल चलना मुश्किल हो गया है। सड़क को लेकर कई बार शिकायत भी की गई लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पप्पू शुक्ला
रोड लाइट दिन में जलती है और रात को बंद रहती है। कई बार तो वार्ड के लोगों ने मिलकर भी समस्याओं के लिए वार्ड पार्षद से मिल चुके हंै, ध्यान नहीं दिया गया।
महेन्द्र सिंह
महेन्द्र सिंह
पेयजल की समस्या हर वर्ष बढ़ती चली जा रही है। कुएं का पानी काला हो गया है। किसी काम नहीं आता है। पानी की टंकी न होने से इलाके में दिक्कत है।
सियाराम मिश्रा वार्ड में कई इलाके में जल स्त्रोत नहीं हैं जिस कारण पहले हर रोज टैंकर आता था, लेकिन इन दिनों टैंकर से भी पेयजल नहीं मिल रहा है। इससे परेशानी और अधिक बढ़ गई है।
उमेश प्रसाद त्रिपाठी
सियाराम मिश्रा वार्ड में कई इलाके में जल स्त्रोत नहीं हैं जिस कारण पहले हर रोज टैंकर आता था, लेकिन इन दिनों टैंकर से भी पेयजल नहीं मिल रहा है। इससे परेशानी और अधिक बढ़ गई है।
उमेश प्रसाद त्रिपाठी
नालियों की सफाई होती नहीं है। समस्याओं को सुना नहीं जाता है। जब पार्षद से कहा जाता है तो उनका कहना रहता है कि मैं महिला हूं क्या कर सकती हूं।
एसके त्रिपाठी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं जिस कारण आम जनता परेशान है। सड़क पूरी तरह खराब है। नालियों का निर्माण सही तरीके से नहीं किया गया है।
हीरालाल सोनकर
एसके त्रिपाठी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं जिस कारण आम जनता परेशान है। सड़क पूरी तरह खराब है। नालियों का निर्माण सही तरीके से नहीं किया गया है।
हीरालाल सोनकर
पेयजल की नया कनेक्शन लेने के बाद भी पानी नहीं मिल रहा है। कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। पेयजल समस्या का निदान नहीं हुआ।
शिवम सिंह बघेल वार्ड में एक मुक्तिधाम का निर्माण होना चाहिए। वहीं आम जनता को पेयजल के लिए काफी परेशान होना पड़ता है। कई बार तो आम जनता को खरीदकर पानी से गुजारा करना पड़ता है।
चिदानन्द ओझा
शिवम सिंह बघेल वार्ड में एक मुक्तिधाम का निर्माण होना चाहिए। वहीं आम जनता को पेयजल के लिए काफी परेशान होना पड़ता है। कई बार तो आम जनता को खरीदकर पानी से गुजारा करना पड़ता है।
चिदानन्द ओझा