बाल कल्याण समिति अध्यक्ष शैला तिवारी ने कहा कि जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा कराई गई जांच से स्पष्ट हो गया कि सभी पांच नवजातों पुलिस को जानकारी देकर परिजनों के सुपुर्द किया गया। किसी भी नवजात को अज्ञात हाथों में या दान नहीं दिया गया है। एक नवजात (जिसे डिस्चार्ज होने के बाद अज्ञात हाथों में सौंपा गया) की रिकवरी के प्रयास किए जाएंगे। सबसे पहले नवजात के परिजनों से संपर्क किया जाएगा। सफलता नहीं मिलने पर मामला पुलिस को सौंपा जाएगा।
कलेक्टर ने एक नवजात को डिस्चार्ज होने के बाद अज्ञात हाथों में सौंपे जाने के मामले को गंभीरता से लिया है। जांच पुलिस से कराने की बात कही। कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने बताया कि नवजात की रिकवरी के लिए अलग से प्रयास किए जाएंगे। इसकी जांच पुलिस द्वारा कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिस महिला का बच्ची पैदा होने का ऑडियो वायरल किया गया है वह नाबालिग नहीं बल्कि विवाहिता है। उसके नवजात को 2 अगस्त को दोपहर 3.15 बजे परिजनों के सुपुर्द किया गया था। केसशीट में नवजात को प्राप्त करने संबंधी परिजनों से हस्ताक्षर भी कराए गए।
जांच रिपोर्ट की मानें तो जिला अस्पताल में 1 जनवरी 18 से लेकर 10 अगस्त 18 तक ( दुष्कर्म पीडि़ता और नाबालिग) युवतियों द्वारा प्रसव का पहला मामला 21 मई को सामने आया। नवजात को एसएनसीयू से 25 मई को मातृ-छाया को सौंपा गया। दूसरा मामला 14 जुलाई को सामने आया। नवजात को एसएनसीयू से 28 जुलाई को डिस्चार्ज कर परिजनों को सौंपा गया। तीसरा मामला 31 जुलाई को सामने आया। यह नवजात एसएनसीयू में भर्ती है। पांचवां मामला विवाहित महिला (शिकायत में होने के कारण उल्लेख ) का है, जिसके नवजात को परिजनों के हवाले किया गया।