4.3 करोड़ से बनी ओपन जेल में प्रदेश के 25 बंदी खुली हवा में परिजनों के साथ रह सकेंगे। 10 साल से ज्यादा की सजा काट चुके बंदियों के लिए गुरुवार रात राहत भरी रही। मनपंसद का खाना और सुबह नौकरी में जाना अब इनका रूटीन बनेगा। सुबह से शाम 6 बजे तक ये शहर में रहेंगे। इस दौरान वे नौकरी या रोजगार कर सकते हैं।
छह बंदी सेंट्रल जेल से ओपन जेल गार्ड की वर्दी पहनकर पंहुचे, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे अब अपनी मेहनत से काम कर परिवार का पालन पोषण करेंगे। इन्हें मकान, बिजली, पानी मुफ्त मिलेगा। बाकी भोजन से लेकर बच्चों की पढ़ाई का खर्च खुद वहन करना होगा। कलेक्टर दर से इन्हें 281 रुपए प्रतिदिन मानदेय नौकरी करने वाले संस्थान से दिलाया जाएगा।
11 बंदियों के परिजन गुरुवार दोपहर सतना पहुंचे, बाकि का परिवार एक-दो दिन में आएगा। उसके बाद सर्वसुविधा युक्त बस्ती होगी। सागर, ग्वालियर, छतरपुर, जबलपुर व सतना जेल के बंदी परिजनों के साथ एक ही परिसर में अलग भवनों में रहेंगे।
जीपी ताम्रकार, जेल अधीक्षक फैक्ट फाइल
– नाम- आेपन जेल
– परिसर- 3 एकड़
– मकान- 25, दो कमरे, लैट-बाथ, किचन
– सुविधा- मकान, पानी, बिजली, रोजगार
– प्रोजेक्ट लागत- 4.25 करोड़
– सतना बंदी- 08
– शुभारंभ- 31 मई 2018