जैन दंपती ने बताया, विगत चार से पत्रिका पढ़ रहे हैं। वे ओडिशा के राउरकेला स्टील प्लॉट में डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में पदस्थ थे। रिटायर होने के बाद 2014 में सतना शिफ्ट हुए। तभी से पत्रिका के नियमित पाठक हैं।
निष्पक्ष संपादकीय
वे पत्रिका की संपादकीय को लेकर कहते हैं, मैं हमेशा अखबारों की संपादकीय पढ़ते रहा हूं। लगातार संपादकीय पढऩे से समझ में आने लगता है कि अखबार किस विचारधारा का है और किसका समर्थक है। लेकिन, पत्रिका के साथ ऐसा नहीं। हर मुद्दे पर निष्पक्षता के साथ संपादकीय प्रकाशित होती है। किसी पार्टी या विचारधारा का समर्थक अखबार नहीं लगता है।
वे पत्रिका की संपादकीय को लेकर कहते हैं, मैं हमेशा अखबारों की संपादकीय पढ़ते रहा हूं। लगातार संपादकीय पढऩे से समझ में आने लगता है कि अखबार किस विचारधारा का है और किसका समर्थक है। लेकिन, पत्रिका के साथ ऐसा नहीं। हर मुद्दे पर निष्पक्षता के साथ संपादकीय प्रकाशित होती है। किसी पार्टी या विचारधारा का समर्थक अखबार नहीं लगता है।
सरोकार के रूप में जिम्मेदारी
जैन दंपती पत्रिका के सामाजिक सरोकार की तारीफ भी करते हैं। वे कहते हैं कि अक्सर कुछ न कुछ सामाजिक सरोकार को लेकर अखबार प्रयास करता है। अमृतम जलम्, चेंजमेकर्स, मुझसे दोस्ती करोगे जैसे कई कार्यक्रम प्रभावित करते हैं। पत्रिका ने सरकारी स्कूलों में अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से एक दिन की क्लास लगाई थी। जो बेहतरीन प्रयास था, इससे बच्चों को मोटिवेशन मिलेगा।
जैन दंपती पत्रिका के सामाजिक सरोकार की तारीफ भी करते हैं। वे कहते हैं कि अक्सर कुछ न कुछ सामाजिक सरोकार को लेकर अखबार प्रयास करता है। अमृतम जलम्, चेंजमेकर्स, मुझसे दोस्ती करोगे जैसे कई कार्यक्रम प्रभावित करते हैं। पत्रिका ने सरकारी स्कूलों में अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से एक दिन की क्लास लगाई थी। जो बेहतरीन प्रयास था, इससे बच्चों को मोटिवेशन मिलेगा।
मुहिम के कायल
जैन दंपती पत्रिका की मुहिम का कायल है। वे कहते हैं, यह अखबार हर मुहिम को अंजाम तक पहुंचाता है। अगर, कुछ गलत है तो सत्ता पक्ष से टकराने से नहीं डरता। मप्र, छग व राजस्थान में बार-बार पत्रिका ने साबित किया है। ‘जब तक काला, तब तक ताला’ मुहिम बेहतरीन रही। इसने साबित किया कि कलम की ताकत क्या होती है?
जैन दंपती पत्रिका की मुहिम का कायल है। वे कहते हैं, यह अखबार हर मुहिम को अंजाम तक पहुंचाता है। अगर, कुछ गलत है तो सत्ता पक्ष से टकराने से नहीं डरता। मप्र, छग व राजस्थान में बार-बार पत्रिका ने साबित किया है। ‘जब तक काला, तब तक ताला’ मुहिम बेहतरीन रही। इसने साबित किया कि कलम की ताकत क्या होती है?
नेशनल कंटेंट बेहतर
जैन दंपती कहते हैं, पत्रिका का नेशनल कंटेंट बेहतर है। खबरों की संख्या ज्यादा होती है। उसके तथ्य भी अन्य अखबारों से बेहतर हैं। स्टेट कंटेंट भी ज्यादा होता है। हर रविवार जैकेट के रूप में सार्थक सामग्री प्रस्तुत की जाती है।
जैन दंपती कहते हैं, पत्रिका का नेशनल कंटेंट बेहतर है। खबरों की संख्या ज्यादा होती है। उसके तथ्य भी अन्य अखबारों से बेहतर हैं। स्टेट कंटेंट भी ज्यादा होता है। हर रविवार जैकेट के रूप में सार्थक सामग्री प्रस्तुत की जाती है।