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MP के रेलवे स्टेशनों में दिख रही महाराष्ट्र की चित्रकला, लोककला सहेजने यहां-यहां लगाई गई पेंटिंग

locationसतनाPublished: Apr 17, 2018 04:06:23 pm

Submitted by:

suresh mishra

प्लेटफॉर्म, वेटिंग हाल और टिकट काउंटर की दीवारों पर वरली पेंटिंग, रेलवे ने बनवाई महाराष्ट्र की चित्रकारी, लोककला सहेजने का बना प्लेटफार्म

satna railway station live status

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सतना। यदि आपकी दिलचस्पी लोक कलाओं में है तो आपने सतना स्टेशन में एक नई अनुभूति पाई होगी। यहां की दीवारें महाराष्ट्र की ‘शान’ कही जाने वाली वरली चित्रकला से सजाई गई हैं। तेजी से आधुनिक हो रहे सतना जंक्शन में पारम्परिक चित्रकला का यह तड़का परिसर की सुंदरता में चार-चांद लगाने के साथ ही लोककला को सहेजने का भी प्लेटफॉर्म बन गया है।
दरअसल, पश्चिम मध्य रेल के सभी ए कटेगरी वाले स्टेशनों में चित्रकारी कराई गई है। इसमें सतना को भी शामिल किया गया था। पेंटिंग का काम जबलपुर के कलाकारों से कराया गया जिन्हें वरली पेंटिंग में महारथ हासिल है।
एक लाख खर्च, 5 साल की गारंटी

एडीइएन राजेश पटेल ने बताया, बीते साल जीएम मीट के बाद डीआरएम ने सतना स्टेशन में वॉल पेंटिंग कराने का निर्देश दिया था। मंडल में पेंटिंग कराने के लिए सिर्फ एक लाख का बजट बचा था। पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार विजय वंशकार ने बताया कि वरली पेंटिंग की गुणवत्ता बेजोड़ होती है। पानी पडऩे के बाद भी यह खराब नहीं होती।
क्या है वरली चित्रकला
महाराष्ट्र के थाणे जिले के आसपास दामु और तालासेरि तालुके में रहने वाली वर्ली नामक आदिवासी जनजाति के नाम पर ही इस पारंपरिक कला को वरली पेंटिंग कहा जाता है। भित्ति चित्र की यह शैली महाराष्ट्र की इसी जनजाति की परंपराओं और रीति-रिवाजों से जुड़ी है। महाराष्ट्र का यह सहयाद्री पर्वतमालाओं के बीच स्थित है। फसल के सीजन व शादी के अवसर पर स्त्रियां अपने घर के मुख्यद्वार और घर की बाहरी दीवारों को मिट्टी और गोबर से लीप कर उस पर कोयले के पाउडर में बरगद या पीपल के पेड़ के तने से निकाले गए गोंद को मिलाकर पहले काले रंग की पृष्ठभूमि तैयार करती हैं।
चावल के आटे से सुंदर आकृतियां उकेरी

गोंद का इस्तेमाल रंग को पक्का करने के लिए किया जाता है। फिर उस पर गेरु और चावल के आटे से सुंदर आकृतियां उकेरी जाती हैं। इन आकृतियों को बनाने के लिए बांस से बनी बारीक कूची का इस्तेमाल किया जाता है। वक्त के साथ चित्रकला की इस पारंपरिक शैली में काफी बदलाव भी आया है। सिर्फ घर की दीवारों पर चावल के पेस्ट या गेरु से बनाए जाने वाले ये चित्र अब कागज और कैनवस पर भी बनाए जाने लगे हैं।
त्रिकोण आकृति में ढले आदमी और जानवर
प्लेटफॉर्म 1 में निर्माणाधीन लिफ्ट, वेटिंग हाल, इलेक्ट्रानिक डिस्प्ले और रिजर्वेशन काउंटर के बाहर बनी पेंटिंग हूबहू जबलपुर, पुणे, भोपाल सहित अन्य बड़े शहरों के स्टेशन में बनी हुई हैं। स्टेशन में 10 मार्च से 10 अप्रैल तक प्लेटफॉर्म एक, वेटिंग हाल, टिकट काउंटर हाल व अन्य जगहों पर 40 वाल पेंटिंग तैयार की गई हैं। इनमें से करीब 10 ऑयल पेंटिंग हैं।सतना सेक्शन में रीवा व मैहर में भी वरली पेंटिंग बनाई गई हैं। स्टेशन में एलइडी व रंगीन लाइट में रात के वक्त यह पेंटिंग और आकर्षक हो जाती हैं।
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