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satna: रामखेलावन बने सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष, भाजपा ने बनाई हैट्रिक

locationसतनाPublished: Jul 30, 2022 02:31:26 pm

Submitted by:

Ramashankar Sharma

भाजपा समर्थित रामखेलावन जिपं अध्यक्ष व सुष्मिता उपाध्यक्ष निर्वाचितकांग्रेस का संयुक्त विपक्ष का फार्मूला हुआ फेल

रामखेलावन बने सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष, भाजपा ने बनाई हैट्रिक

satna: ramkhelawan became zp president, BJP made hat-trick

सतना. जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा समर्थित रामखेलावन कोल ने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी विमला कोल को 8 मतों से परास्त करते हुए अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। इसी तरह से भाजपा खेमे की ही सुष्मिता सिंह ने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी राजेश परौहा को 6 मतों से पराजित कर जिपं उपाध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। इस तरह से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा है।
अध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिये जिला पंचायत के सभी 26 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया। अध्यक्ष पद के लिये भाजपा समर्थित रामखेलावन कोल (वार्ड नंबर 17 से सदस्य) ने पर्चा दाखिल किया तो उपाध्यक्ष पद के लिये कांग्रेस खेमे से विमला कोल (वार्ड नंबर 7 से सदस्य) ने पर्चा दाखिल किया। मतदान उपरांत जब पारिणाम घोषित हुए तो रामखेलावन को 17 वोट और विमला को 9 वोट मिले। हालांकि इन परिणामों भाजपा खेमे के लिये चौंकाने वाले थे। इन्होंने 21 वोट अपने पक्ष में मिलने का अनुमान लगा रखा था। वहीं कांग्रेस खेमा भी अपने 11 वोटों का दावा कर रहा था उसे महज 9 वोट मिले थे। इस तरह 8 वोटों के अंतर से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित होने वाले रामखेलावन को पीठासीन अधिकारी अनुराग वर्मा ने प्रमाण-पत्र प्रदान किया।
उपाध्यक्ष में भाजपा को अध्यक्ष से एक वोट कम मिला

उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिये भाजपा ने वार्ड 14 से जिपं सदस्य सुष्मिता सिंह परिहार का पर्चा दाखिल करवाया तो कांग्रेस ने वार्ड 9 से जिपं सदस्य राजेश परौहा को मैदान में उतारा। मतदान के बाद जब परिणाम सामने आए तो सुष्मिता को 16 वोट और राजेश को 10 वोट मिले। इस तरह अध्यक्ष पद के लिये भाजपा समर्थित प्रत्याशी को मिले वोटों से एक वोट कम भाजपा समर्थित उपाध्यक्ष प्रत्याशी को मिला। इस पर माना गया कि अध्यक्ष में भाजपा को वोट दाने वाले एक भाजपा सदस्य ने कांग्रेस के पक्ष में क्रास वोटिंग कर दी है।
अपने सदस्यों को साथ लेकर पहुंचे नेता

जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिये निर्वाचन के ठीक पहले तक सदस्यों की लॉबिंग की जाती रही। भाजपा खेमे का नेतृत्व सांसद गणेश सिंह, मंत्री रामखेलावन पटेल और पूर्व जिपं अध्यक्ष गगनेन्द्र सिंह कर रहे थे। ये सभी जिला पंचायत तक अपने खेमे के सदस्यों को लेकर पहुंचे। दूसरी ओर कांग्रेस खेमे का नेतृत्व विधायक सतना सिद्धार्थ कुशवाहा और जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा कर रहे थे। इनके नेतृत्व में 11 सदस्य जिला पंचायत तक प्रथम सम्मिलन के लिये पहुंचे। हालांकि 11 सदस्यों को लेकर आने वाली कांग्रेस किसी भी पद के लिये अपने दावे के पूरे वोट नहीं पा सकी।
रामखेलावन बने सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष, भाजपा ने बनाई हैट्रिक
IMAGE CREDIT: patrika
उपाध्यक्ष प्रत्याशी चयन के लिए यह थी पर्दे के पीछे की कहानी

भाजपा किसी भी स्थिति में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अपने पाले में लाना चाह रही थी। इसके लिये सांसद गणेश सिंह ने पूरी कमान संभाल रखी थी। फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा उन्होंने अपने कंधे पर ले रखा था और इनका साथ दे रहे थे राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल और पूर्व जिपं अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिये अंतिम प्लानिंग की शुरुआत 27 जुलाई से हुई थी। इस दौरान यह परख लिया गया था कि कितने सदस्य भाजपा के खेमे में आ सकते हैं और कितने नहीं। इस दौरान यह भी नजर रखी गई कि कौन सदस्य किस खेमे से अपने लिये ताकत लगा रहा है। हालांकि अध्यक्ष के लिये उतना जोर नहीं था जितना की उपाध्यक्ष के लिये। मतदान के एक दिन पहले हुई अंतिम बैठक में जब प्रत्याशी चयन के निर्णय पर बात की गई तो यह बताया गया कि पार्टी चाहती है कि उपाध्यक्ष सामान्य वर्ग से हो। लिहाजा अन्य वर्ग के दावेदारों को समझा कर स्थिति स्पष्ट कर दी गई। इसके बाद यह पाया गया कि 6 ब्राह्मण और 2 क्षत्रिय वर्ग से सदस्य दावेदार हो सकते हैं। बैठक में पहले बात आई कि ब्राह्मण को उपाध्यक्ष का दावेदार बनाया जाए। इस पर तीन नाम तय किये गये। जिसमें हरीशकांत, श्रीधर और राजेश परौहा शामिल थे। हरीशकांत जो इस दौरान मौजूद थे उन्होंने खुद को बतौर दावेदार प्रस्तुत किया। लेकिन सांसद सहित अन्य निर्णायकों ने यह कहा कि अध्यक्ष भी अमरपाटन विधानसभा का है ऐसे में एक ही विधानसभा से दो दावेदार उचित नहीं रहेंगे। श्रीधर कांग्रेस खेमे के थे लिहाजा उन पर विचार नहीं किया गया। राजेश परौहा पर विचार शुरू हुआ लेकिन बैठक में यह बताया गया कि वे अपनी लॉबिंग अलग कर रहे हैं और कांग्रेस खेमे के भी टच में हैं। ऐसे में बाद में कही वे पाला न बदल दें। इसके बाद सर्व सम्मति से वे भी दौड़ से बाहर हो गए। इसके बाद क्षत्रिय वर्ग के दावेदारों पर विचार किया। सांसद ने वहीं मौजूद पंकज सिंह से बात की। उनकी पत्नी सुष्मिता जिपं सदस्य निर्वाचित हुई थीं। पंकज ने कहा कि अगर आपका आदेश होगा तो लड़ूगा नहीं कहेंगे तो नहीं लड़ूगा। हालांकि इस दौरान हरीश ने कुछ आपत्ति जताई। हालांकि निर्णायक सदस्यों ने इस पर ज्यादा तव्वजो नहीं दी। लेकिन यह तय किया गया कि शुक्रवार को पर्यवेक्षक उमाशंकर गुप्ता आ रहे हैं। उनसे चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि इस दौरान तक पंकज अपनी व्यक्तिगत लॉबिंग शुरू कर चुके थे। सुबह पर्यवेक्षक उमाशंकर गुप्ता से चर्चा के बाद यह तय किया गया कि पंकज सिंह की पत्नी सुष्मिता को पार्टी अपना प्रत्याशी बनाएगी। इसके बाद सभी सदस्यों को सूचित करने के बाद सदस्यों को लेकर नेता जिला पंचायत पहुंचे।
अध्यक्ष का जिम्मा सांसद और मंत्री ने खुद लिया

उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिये सदस्यों को जोड़ने का जिम्मा दावेदार के खुद के कंधे पर था लेकिन अध्यक्ष के लिये सांसद और मंत्री ने खुद यह जिम्मेदारी उठाई। दोनों ने पूरी व्यूह रचना के बाद मतदान के पहले तक अध्यक्ष पद के लिये 21 सदस्यों को भाजपा के पाले में वोटिंग के लिये मनाने राजी कर लिया। उधर उपाध्यक्ष के लिये 17 वोट जुटाने की बात पंकज सिंह की ओर कही गई।
क्रास वोटिंग से भाजपा को झटका

जब अध्यक्ष पद का निर्वाचन हुआ तो 21 वोटों की आस लगाए बैठी भाजपा तब चौंक गई जब उनके उम्मीदवार को 17 वोट मिले। विश्वास इतना ज्यादा था कि मतगणना के दौरान दोबारा मतपत्रों को देखा गया। इसके बाद यह पाया गया कि भाजपा समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में वोटिंग का आश्वासन देने वाले जिन 4 लोगों ने क्रास वोटिंग की है उनमें दो भाजपा के अपने सदस्य भी हैं। शेष दो विपक्षी दल के माने गये। इसी तरह से उपाध्यक्ष के लिये 17 सदस्यों का दावा किया गया था। लेकिन 16 वोट ही मिले। इसमें पाया गया कि मैहर क्षेत्र का एक भाजपा समर्थित सदस्य गैर भाजपा खेमे के राजेश के पक्ष में चला गया। हालांकि जीत भाजपा की ही हुई थी लिहाजा इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया गया।
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नव निर्वाचित अध्यक्ष की सादगी ने मनमोहा

जिला पंचायत अध्यक्ष का ओहदा ग्रामीण विकास में काफी बड़ा होता है। अब तक इस पद पर निर्वाचित होने वाले कद्दावर चेहरे ही रहे हैं और उनका अपना जलवा हुआ करता था। लेकिन नव निर्वाचित अध्यक्ष राखेलावन जो कि सेवा निवृत्त शिक्षक हैं उनमें गुरुता आज भी नजर आई। कहीं पर उनमें दंभ नहीं रहा। जब निर्वाचन प्रमाण पत्र मिल रहा था तो उन्होंने इसे भी इसे झुककर गुरुतर अंदाज में लिया। इसकी सभी ने प्रशंसा की।
परंपरा भी नहीं भूले

अध्यक्ष अपने निर्वाचन के बाद जब बाहर पहुंचे तो उन्होंने विन्ध्य की परंपरानुसार लोगों के पांव छूने का क्रम भी शुरू कर दिया। लेकिन सभी ने उन्हें झुकने के साथ ही रोक लिया। तब अध्यक्ष ने अपने अंदाज में ही कहा कि सभी के आशीर्वाद से यहां पहुंचे हैं। अब कैसे आशीर्वाद न लें। हालांकि उनसे कम उम्र नेताओं ने उन्हें पिता तुल्य बताते हुए बीच में रोक कर गले लगाया।-
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उपाध्यक्ष आगे और अध्यक्ष कर दिये गये पीछे

अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का जब जुलूस निकला तो इसमें अप्रत्याशित तौर पर उपाध्यक्ष आगे खड़ी हुई थी और इनके बगल में न हो कर अध्यक्ष पीछे की कतार में कर दिये गये थे। इनका चेहरा कद्दावर चेहरों के पीछे छिपा हुआ था। अमूमन जुलूस में अध्यक्ष प्रभावी तौर पर आगे ही रहते हैं। लिहाजा यह दृश्य चर्चा का विषय बना रहा। बाजार में चर्चा यह रही कि आरक्षित कोटे की वजह से अध्यक्ष सीधे साधे हैं और उपाध्यक्ष का पद थैली मैनेजमेंट का रहा है। इसलिए ये सब हो रहा है। सामान्य अध्यक्ष होता तो उपाध्यक्ष इस तरह आगे नहीं हो पातीं।
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महेन्द्र पहुंचे व्हील चेयर में

जिपं सदस्य महेन्द्र सिंह पिथैपुर का कुछ दिन पहले रोड एक्सीडेंट हो गया था। जिसमें उनके पांव में गंभीर चोट आई थी और पांव में प्लास्टर बंधा था। इसके बाद भी वे वोट देने पहुंचे। व्हील चेयर से वे जिला पंचायत के सभागार तक पहुंचे और खुद ही अपना वोट भी डाला।
काफिले में पहुंचे जिपं सदस्य

निर्वाचन के लिये सद्स्यों को भाजपा और कांग्रेस पूरी माहौल बनाने वाले अंदाज में लेकर पहुंचे। भाजपा जहां अपने सदस्यों को एसी वैन में लेकर पहुंची थी। इनके साथ आगे आगे भाजपा पर्यवेक्षक उमाशंकर गुप्ता, सांसद, मंत्री, जिलाध्यक्ष, पूर्व जिपं अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं के वाहन थे। वहीं कांग्रेस के सभी सदस्य सिविल लाइन तिराहे स्थित होटल भरहुत में इक्कठा हुए और यहां से एक साथ काफिले में विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के नेतृत्व में मतदान के लिये निकले। इनका भी काफिला लंबा चौड़ा था।
तलाशी के बाद अंदर प्रवेश

जिला पंचायत भवन के काफी पहले पुलिस ने वैरिकेटिंग लगा रखी थी। इसके बाद जिला पंचायत भवन के मुख्य द्वार पर भी सख्त पहरा था। सदस्यों के अलावा किसी अन्य को अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। अंदर जाने से पहले सदस्यों की भी तलाशी ली जा रही थी।
—// अध्यक्ष रामखेलावन कोल से सीथी बात //—

प्रश्न- आप शिक्षक रहे हैं। अमूमन नेताओं के बारे में माना जाता है कि वे कहते है लेकिन करते नहीं है। आपका क्या नजरिया होगा?
उत्तर – मैं शिक्षा पेशे से हूं। जो कहूंगा वहीं करूंगा। मेरी प्राथमिकता का क्षेत्र शिक्षा ही होगा।

प्रश्न – शिक्षा में प्राथमिकता निर्माण या एकेडमिक रहेगा?

उत्तर- मेरा फोकस शैक्षणिक गतिविधियों पर होगा। शैक्षणिक गुणवत्ता और विद्यार्थी हितों के लिये काम करूंगा। पठन पाठन प्राथमिकता होगा। शिक्षा ही सबसे बड़ा धन।
प्रश्न – जिला पंचायत को लेकर क्या कहेंगे?

उत्तर – मैं बहुत राजनीतिक नहीं हूं। जिला पंचायत के जितने भी क्षेत्र है सभी के लिये विकास परक गतिविधियों पर ध्यान देंगे।

प्रश्न – जीत संख्या बल पर थी या धन बल पर
उत्तर- पूरी तरह से संख्या बल पर थी। खर्च के नाम पर सिर्फ डीजल पेट्रोल लगा है।

प्रश्न – रिमोट से काम करेंगे या स्व विवेक से?

उत्तर – पूरी तरह स्व विवेक से काम करेंगे। सभी सदस्यों को साथ लेकर उनके उचित सुझावों के साथ आगे बढ़ेंगे।
प्रश्न – जीत का श्रेय किसे देंगे?

उत्तर – जीत का श्रेय जनता जनार्दन का है। उसके बाद मंत्री, सांसद सहित सभी नेताओं और सदस्यों का सहयोग रहा।

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