ऐसे चलती है क्लास- 03 पालियों में होती है पढ़ाई- 650 बच्चे पहली पाली में- 500 बच्चे दूसरी पाली में- 400 बच्चे तीसरी पाली में पढ़ते हैं- 23 साल से संवार रहे भविष्य
satna teacher Alok singh: 1550 children coaching free of cost super 30
सुरेश मिश्रा@सतना। गरीब बच्चों को शिक्षित कर नई राह प्रदान करने का जुनून देखना है तो आलोक सर (Alok singh satna) की कोचिंग क्लास देख आइए। बाहर साइकिल और क्लास रूम में बच्चों की भीड़ देख आपको लगेगा कि किसी कॉलेज में आ गए हैं। पर, ऐसा नहीं है। आलोक सर (Alok singh satna) रूपहले पर्दे पर धमाल मचा रही फिल्म (Super 30) ”सुपर 30′ के ‘आनंद कुमार’ सर को भी मात दे रहे हैं। ये 1550 बच्चों को फ्री में कोचिंग दे रहे हैं। यह सिलसिला करीब 23 साल से चल रहा है।
Patrika IMAGE CREDIT: Patrika बकौल आलोक सिंह (Alok singh satna), उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले वरिष्ठ कवि ओमशंकर त्रिपाठी ने जीवन की दिशा बदल दी। उनके कई शिष्य आज अच्छी-अच्छी जगहों पर हैं। यही सोचकर मैंने भी उनकी राह पर चलने का संकल्प लिया। 28 साल की नौकरी में पहले 23 साल स्कूल में ही बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया। कुछ समय के लिए विचलित हुआ और पैसे लेने लगा, लेकिन जल्द ही गलती का अहसास हो गया। तब प्रण लिया कि जब तक गले से आवाज निकलेगी तब तक बच्चों को मुफ्त में पढ़ाऊंगा।
Patrika IMAGE CREDIT: Patrikaकौन हैं आलोक सर 5 जून 1968 को सतना शहर से 10 किमी. दूर मरौंहा गांव के क्षत्रिय परिवार में आलोक सिंह का जन्म हुआ था। पिता रामनरेश सिंह कृषक थे। आलोक सिंह इतने प्रतिभावान थे कि पिता ने पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूली शिक्षा कानपुर के नवाबगंज स्थित एक निजी विद्यालय में हुई। इसके बाद सतना के डिग्री कॉलेज से बीएससी और फिजिक्स से एमएससी की। सन् 1992 में लेक्चरर पद पर भर्ती हुए। इनके एक बेटा, एक बेटी है। बेटा आदित्य बेंगलुरु के साउथ इंडियन बैंक में पीओ के पद पर है। बिटिया अमूल्या सिंह 11वीं की छात्रा है। वह इंदौर में रहकर संगीत की पढ़ाई कर रही है।
क्लास के सुपर 5 बच्चे आलोक सिंह कहते हैं कि 12वीं तक ही बच्चों को पढ़ाता हूं। इसके बाद किसी भी बच्चे से संपर्क में नहीं रहता। बच्चे तो ग्रेजुएशन के बाद कामयाब होते हैं। अभी गुरु पूर्णिमा के दिन आए कुछ पुराने छात्रों ने 5 बच्चों के बारे में बताया। 12वीं तक मेरी कोचिंग में पढ़ा एक छात्र उदयभान एमपीपीएससी क्वॉलिफाई कर डीएसपी है। मयंक पयासी आईआईटी और एनडीए में चयनित होने के बाद इंदौर में यूपीएससी की तैयारी कर रहा। प्रभात श्रीवास्तव, अंकुश नामदेव और आदित्य त्रिपाठी 12वीं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाए। अब दिल्ली से बीएससी के साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे है।
पसीने से तर पर हौसला नहीं होता कम कोचिंग क्लास में बच्चों की इस तरह भीड़ उमड़ती है कि हर कोई पसीने से सराबोर हो जाता है। एक हाल में 500 से 600 बच्चे बैठते हैं। ऐसे में गर्मी के कारण एक भी मिनट रुकना किसी चुनौती से कम नहीं। फिर भी बच्चों के प्रेम के आगे पसीने से पस्त शिक्षक का हौसला कम नहीं होता।
फिजिक्स की पढ़ाई करने वाला हर छात्र आलोक सर को जानता है। सर के पढ़ाए ज्यादातर छात्र टॉप करते हैं। अपने सीनियरों से कोचिंग के बारे में जानकारी मिली तो सर से ही पढऩे की ठानी। बृजेश मिश्रा, मारुतिनगर, कक्षा 12वीं
सर सैकड़ों की भीड़ में भी सभी बच्चों पर नजर रखते हैं। किसी से कभी भी कोई सूत्र पूछ लेते हैं। इसलिए पहले ही घर से रिवीजन करके आते हैं। जो चीजें डिस्कस नहीं हो पातीं वह सर से पूछते हैं। रमाशंकर द्विवेदी, धवारी, कक्षा 12वीं
स्कूलों के शिक्षक खुद मार्गदर्शित करते हैं कि अगर फिजिक्स पढऩा है तो सिर्फ आलोक सर से पढ़ो। अच्छी कोचिंग के साथ नि:शुल्क पढ़ाई भी हो जाती है। इसलिए माता-पिता भी मना नहीं करते। सावरीन बानो, कक्षा 12वीं
आगे बैठने के लिए सुबह ही कोचिंग संस्थान में आ जाती हूं। क्योंकि, टॉप फ्लोर में छात्राओं की लाइन लगती है। लड़कियां पहले आती हैं बाद में लड़के चढ़ते हैं। अनुशासन ही सर की सबसे बड़ी पढ़ाई है। अनामिका सिंह, कक्षा 12वीं