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गर्मी में ठसाठस चल रही 175 ट्रेनें, लम्बी दूरी की गाड़ियों में पैर रखने की जगह तक नहीं

locationसतनाPublished: Apr 08, 2018 03:26:35 pm

Submitted by:

suresh mishra

रोजाना पौने दो सौ ट्रेन, एक पैर पर लटकते-झटकते जानलेवा सफर, मई-जून में यात्रा के लिए आरक्षण के लिए भी मारामारी

satna to mumbai superfast train

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सतना। स्टेशन से रोजाना करीब पौने दो सौ ट्रेनें गुजरने के बावजूद यात्री गेट पर लटककर यात्रा करने को मजबूर हैं। आलम यह है कि सतना से ट्रेन में चढ़े यात्री को मुंबई तक के सफर में बैठने को जगह नहीं मिल रही। वहीं स्लीपर क्लास में रिजर्वेशन कराने के बाद भी यात्रियों का सफर कम चुनौतीपूर्ण नहीं हैं। जनरल डिब्बे में नहीं चढ़ पाने वाले यात्री स्लीपर में बैठने व खड़े होने की जगह तलाश रहे हैं। पत्रिका ने शनिवार को स्टेशन में ट्रेन व भीड़ का जायजा लिया।
दोपहर करीब पौने एक बजे पटना से चलकर मुम्बई जाने वाली राजेंद्रनगर- लोकमान्य तिलक ट्रेन प्लेटफॉर्म एक पर आकर खड़ी हुई। ट्रेन खड़ी होने के बाद यात्री बैठने के लिए नहीं बल्कि खड़े होने की जगह तलाशते एक-दूसरे से गुत्थमगुत्था होते रहे। इस दौरान जिसे जहां जगह मिली वह चढ़ गया। करीब १५ मिनट बाद ट्रेन जब रवाना हुई तो जनरल डिब्बे के यात्री गेट के बाहर लटकते दिखे। इन दिनों सतना स्टेशन में यह नजारा आम है। लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। रेलवे के अनुसार भीड़ को देखते हुए एक दर्जन स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन भीड़ कम नहीं हो रही।
महिला कोच हो या विकलांग डिब्बा, जहां मिले जगह घुसो
भीड़ का आलम यह है कि ट्रेन के एसी कोच छोड़ लोगों को जहां भी जगह मिलती है वहां घुस रहे हैं। शनिवार को स्टेशन में राजेंद्र नगर-लोकमान्य तिलक ट्रेन में जब यात्रियों को जनरल कोच व स्पीपर में खड़े होने की भी जगह नहीं बची तो कई लोग महिला कोच की ओर भागे। यह कोच पहले से ही महिला यात्रियों से फुल था, बावजूद दो दर्जन लोग इसमें सवार हो गए। महिला कोच में घुसे सतना के राजकुमार दुबे ने बताया कि जबलपुर तक जाना है, कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं है।
सीट छोडऩे से अच्छा है कि प्यासे बैठो
सतना से गुजरने वाली ट्रेन में जनरल कोच में मौजूद उन सवारियों की आफत हो जाती है जो सीट पर बैठे होते हैं। इन सवारियों को शौचालय जाने से लेकर स्टेशन में पानी भरना भी दूभर हो जाता है। जनरल कोच में पटना से सवार होकर मुम्बई जा रहे यात्री ऋषि कुमार ने बताया कि पानी खत्म हो चुका है, लेकिन सीट छोड़कर प्लेटफॉर्म तक जाने की हिम्मत ही नहीं है एेसे में या तो प्यास सहनी पड़ेगी।
आरक्षण की मांग तिगुनी
गर्मी की छुट्टियों व आगामी लगन के चलते यात्री ट्रेनों में भारी भीड़ हो रही है। रेलवे की कमाई व भीड़ का यह पीक सीजन होता है। हालत यह है कि लोगों को ट्रेनों में पैर रखने की जगह भी नहीं मिल रही है। ऐसे में वे गेट पर लटककर सफर करने को मजबूर हैं। इसके अलावा लंबी दूरी के यात्री आरक्षण के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इस दौरान तत्काल के माध्यम से टिकट खोज रहे हैं। कुछ ट्रेनें तो नो रूम की स्थिति में हैं। बताया गया कि पूरा अप्रैल माह व मई-जून में आरक्षित टिकटों की मारामारी जारी रहेगी, डाउन साइट में यात्रा के लिए तीन दर्जन ट्रेने होने के बाद भी लोगों को मई के टिकट नहीं मिल रहे।
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