जेल के अंदर विशेष सेल का मतलब सीधेतौर पर काल कोठरी से होता है। वहां कुख्यात व शातिर कैदियों को रखा जाता है। सेल का आकार 6 बाई 6 फीट का होता है। दरवाजा बंद होने के बाद सेल के अंदर हवा तो दूर की बात है, सेल में बंद व्यक्ति रोशनी को भी तरस जाता है। केवल एक ईंट के बराबर दीवार में छेंद होता है, ताकि कमरे से गैस पास हो सके। बंद कैदी को सेल के अंदर पूरी दिनचर्या करनी होती है। उसे निकाला नहीं जा सकता। यानी भोजन से लेकर अन्य क्रिया उस 6 बाई 6 के कमरे में ही करना होता है।
मेडिकल परीक्षण के बाद सतना पुलिस ने प्रदीप सिंह को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गौरव प्रज्ञानंद की कोर्ट में पेश किया। वहां पुलिस ने अतिरिक्त रिमांड की मांग नहीं की। पुलिस ने स्पष्ट कर दिया कि उसकी पूछताछ पूरी हो गई है। लिहाजा, जेल भेज दिया जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 6 जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
पुलिस मामले को तकनीकी आधार पर आगे बढ़ा रही है। इसी तारतम्य में पुलिस साक्ष्य के तौर पर डीएनए की जांच भी चाहती है। लिहाजा जिला अस्पताल में पुलिस ने ब्लड सैंपल लेने को कहा। इसके बाद डॉ सीएम तिवारी ने प्रदीप सिंह का ब्लड सैंपल लिया और जांच के लिए भेज दिया गया।
प्रदीप के मामले में पुलिस की जमकर किरकिरी हुई। प्रदीप के प्रति पुलिसिया रवैया नरम ही रहा। मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल पहुंची पुलिस की जमकर किरकिरी हुई। डॉक्टर व जांच में देरी होते देख पुलिस प्रदीप को लेकर वाहन में बैठी रहा। वहां बकायदा एसी चलाकर एक घंटे तक राहत देने का प्रयास किया गया।
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने शाम 6.05 बजे प्रदीप को जेल दाखिला कराया। सूचना पर अधीक्षक एनपी सिंह भी पहुंचे। प्रदीप गेट के पास चुपचाप बैठा रहा। औपचारिकता पूरी करने के बाद फाइल जेल अधीक्षक के पास पहुंची। उन्होंने प्रदीप को विशेष सेल में डालने का आदेश दिया। करीब पौने आठ बजे प्रदीप को जेलकर्मियों ने विशेष सेल में डाल दिया।
प्रदीप सिंह को कोर्ट में पेश करने से पहले सोमवार की दोपहर पुलिस ने जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया। बताया जाता है कि डॉ पूजा गुप्ता ने प्रदीप सिंह का चेकअप किया। सब कुछ सामान्य पाया गया। प्रदीप अपनी तबीयत खराब होने की बात करता रहा पर डॉक्टर ने जांच के बाद सामान्य पाया और उसकी एक न सुनी।