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सतगुरु कृपा से ही ब्रह्म का बोध संभव

locationसतनाPublished: May 05, 2019 10:06:38 pm

Submitted by:

Jyoti Gupta

संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सप्ताहिक सत्संग
 

satsang organized at Sant Nirankari Satsanga Bhawan

satsang organized at Sant Nirankari Satsanga Bhawan

सतना. नवीन संत निरंकारी सत्संग भवन कृष्ण नगर में सत्संग का आयोजन किया गया। महात्मा जगदीश शिवानी ने कहा कि शहंशाह बाबा अवतार सिंह ने अवतार वाणी के पद के माध्यम से ब्रह्म और माया के विषय में समझाया है कि यह शरीर ब्रह्म नहीं है। यह शरीर तो पांच तत्वों का पुतला मात्र है। महात्मा ने कहा, जो कृछ भी दृश्य हमंे दिखते हैं वह माया है, जो कुछ भी बुद्धि से समझ में आए वह माया है। प्रति क्षण बदलने वाली भी माया ही है। उन्होंने कहा, माया आती है और जाती है रूप बदलती है रंग बदलती है और नष्ट हो जाती है। जबकि ब्रह्म अटल है, वह अखंड है। यह मन बुद्धि व समझ के परे का विषय है। इसे मन व बुद्धि से पाया नहीं जा सकता। सतगुरु की कृपा से ही इंसान को ब्रह्म का बोध प्राप्त होता है। अगली कड़ी में महात्मा ने कहा, माया के विषय में सतगुरु बाबा हरदेव महाराज समझाते थे कि हर वह वस्तु व कारण जो हमें सत्संग से दूर करें, अलग करे वह माया है। कठोपनिषद में समझाया गया है कि यह परमात्मा शरीर रहित होकर भी शरीरों में विद्वमान हैं। निरंकार परम ब्रह्म परमात्मा को मन में बसा कर जो जीवन जिया जाता है प्रेम से भरपूर होता है। ईश्वर निरंकार परम ब्रह्म परमात्मा ही सभी सुखों का प्रेम का परम स्रोत है। परमात्मा के अहसास में व्यतीत किया गया हर पल हर क्षण आनंद से भरपूर होता है। ऐसा जीवन सरल होता है।
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