इस बार सावन की कुल अवधि 30 दिनों की है, जिसमें कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। इस दृष्टि से भक्त 30 दिनों तक भगवान शिव की उपासना का शुभ अवसर मिलेगा। वहीं सावन के तीसरे सोमवार को तीन शुभ संयोग बन रहे हैं जिसे धर्म शास्त्र के जानकार विशेष शुभफलदायी बता रहे हैं।
ये है मंदिर का इतिहास
बिरसिंहपुर में गैवीनाथ धाम है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। इसका इतिहास बड़ा ही निराला है। कहते हैं कि 316 वर्ष पहले मुगल शासक औरंगजेब ने देवपुर नगरी में हमला किया था। उसी दौरान गैवीनाथ धाम के शिवलिंग को तोडऩे का प्रयास किया। उसकी सेना ने जैसे ही शिवलिंग पर वार किया, मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। औरंगजेब सहित पूरी सेना को जान बचाकर भागना पड़ा था। बताते हैं कि शिवलिंग के ऊपर 5 टांकिया (लोहे की छेनी-हथौड़े से वार) लगवाई थी। पहली टांकी से दूध, दूसरी टांकी से शहद, तीसरी टांकी से खून, चौथी टांकी से गंगाजल, पांचवीं टांकी से भंवर (मधुमक्खी) निकली थी। उसके बाद औरंगजेब व सेना को भागना पड़ा था। तब से खंडित शिवलिंग की पूजा होते आ रही है।
बिरसिंहपुर में गैवीनाथ धाम है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। इसका इतिहास बड़ा ही निराला है। कहते हैं कि 316 वर्ष पहले मुगल शासक औरंगजेब ने देवपुर नगरी में हमला किया था। उसी दौरान गैवीनाथ धाम के शिवलिंग को तोडऩे का प्रयास किया। उसकी सेना ने जैसे ही शिवलिंग पर वार किया, मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। औरंगजेब सहित पूरी सेना को जान बचाकर भागना पड़ा था। बताते हैं कि शिवलिंग के ऊपर 5 टांकिया (लोहे की छेनी-हथौड़े से वार) लगवाई थी। पहली टांकी से दूध, दूसरी टांकी से शहद, तीसरी टांकी से खून, चौथी टांकी से गंगाजल, पांचवीं टांकी से भंवर (मधुमक्खी) निकली थी। उसके बाद औरंगजेब व सेना को भागना पड़ा था। तब से खंडित शिवलिंग की पूजा होते आ रही है।
सुबह 4 बजे से लगी जलाभिषेक के लिए लाइन
बता दें कि, बिरसिंहपुर के शिवमंदिर में सतना, रीवा, पन्ना, सीधी, चित्रकूट, बांदा सहित आसपास के ग्रामीण सोमवार की अल सुबह 4 बजे से ही लाइन में लग गए। शुरुआती दौर पर श्रद्धालु जलाभिषेक कर बारी-बारी से आते-जाते रहे। लेकिन 10 बजे के बाद भीड़ बढऩे लगी। हर एक भक्त भोले के जयकारों को लगाते हुए आगे बढ रहा था।
बता दें कि, बिरसिंहपुर के शिवमंदिर में सतना, रीवा, पन्ना, सीधी, चित्रकूट, बांदा सहित आसपास के ग्रामीण सोमवार की अल सुबह 4 बजे से ही लाइन में लग गए। शुरुआती दौर पर श्रद्धालु जलाभिषेक कर बारी-बारी से आते-जाते रहे। लेकिन 10 बजे के बाद भीड़ बढऩे लगी। हर एक भक्त भोले के जयकारों को लगाते हुए आगे बढ रहा था।