सतना

सावन का पहला सोमवार: बिरसिंहपुर में उमड़ी भक्तों की आस्था, 4 बजे भोर से लगी थी लंबी लाइन

– सावन का पहला सोमवार: गैवीनाथ धाम में मिलता है मनचाहा वरदान – बिरसिंहपुर में उमड़ी भक्तों की आस्था, 4 बजे भोर से लगी थी लंबी लाइन- यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है- जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किमी. दूर स्थित गैवीनाथ मंदिर है- इसका वर्णन पदम पुराण के पाताल खंड में मिलता है

सतनाJul 22, 2019 / 01:43 pm

suresh mishra

Savan Gavinath Dham first monday 2019 : gives boon and blessings

सतना। जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किमी. दूर स्थित गैवीनाथ मंदिर है। यह विंध्यभर में आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। इसका वर्णन पदम पुराण के पाताल खंड में मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान शिव को प्रिय सावन मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो गई है।
इस बार सावन की कुल अवधि 30 दिनों की है, जिसमें कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। इस दृष्टि से भक्त 30 दिनों तक भगवान शिव की उपासना का शुभ अवसर मिलेगा। वहीं सावन के तीसरे सोमवार को तीन शुभ संयोग बन रहे हैं जिसे धर्म शास्त्र के जानकार विशेष शुभफलदायी बता रहे हैं।
मंदिर के पुजारी की मानें तो सावन मास में विंध्यभर से भक्त पहुंचते है। वैसे तो हर सोमवार को हजारों भक्त पहुंचकर गैवीनाथ की पूजाकर मन्नत मांगते है। लेकिन सावन मास के सोमवार को गैवीनाथ की पूजा का अपना एक अलग महत्व है। गैवीनाथ का प्रताप है कि यहां पर आने वाले हर एक भक्त की मनों कामना पूर्ण होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में शिव की आराधना से भगवान भक्तों पर प्रसन्न होते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं। कर्मकांड के जानकारों का कहना है कि इस बार सावन में कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। जिसमें भगवान शिव की उपासना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।
 

ये है मंदिर का इतिहास
बिरसिंहपुर में गैवीनाथ धाम है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। इसका इतिहास बड़ा ही निराला है। कहते हैं कि 316 वर्ष पहले मुगल शासक औरंगजेब ने देवपुर नगरी में हमला किया था। उसी दौरान गैवीनाथ धाम के शिवलिंग को तोडऩे का प्रयास किया। उसकी सेना ने जैसे ही शिवलिंग पर वार किया, मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। औरंगजेब सहित पूरी सेना को जान बचाकर भागना पड़ा था। बताते हैं कि शिवलिंग के ऊपर 5 टांकिया (लोहे की छेनी-हथौड़े से वार) लगवाई थी। पहली टांकी से दूध, दूसरी टांकी से शहद, तीसरी टांकी से खून, चौथी टांकी से गंगाजल, पांचवीं टांकी से भंवर (मधुमक्खी) निकली थी। उसके बाद औरंगजेब व सेना को भागना पड़ा था। तब से खंडित शिवलिंग की पूजा होते आ रही है।
सुबह 4 बजे से लगी जलाभिषेक के लिए लाइन
बता दें कि, बिरसिंहपुर के शिवमंदिर में सतना, रीवा, पन्ना, सीधी, चित्रकूट, बांदा सहित आसपास के ग्रामीण सोमवार की अल सुबह 4 बजे से ही लाइन में लग गए। शुरुआती दौर पर श्रद्धालु जलाभिषेक कर बारी-बारी से आते-जाते रहे। लेकिन 10 बजे के बाद भीड़ बढऩे लगी। हर एक भक्त भोले के जयकारों को लगाते हुए आगे बढ रहा था।
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