एससी एसटी एक्ट के तहत जिले की विशेष न्यायालय में 31 दिसंबर 2017 तक 339 प्रकरणों की सुनवाई हुई। इनमें से एक साल में कुल 54 प्रकरणों को निराकृत किया गया। 20 प्रकरण में आरोपियों को सजा हुई और 27 प्रकरण पर दोष सिद्ध न होने से आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। चार प्रकरणों में पीडि़त ने राजीनामा कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिला पुलिस की ओर से बीते एक साल में एससी एसटी एक्ट के मामले दर्ज कर विशेष न्यायालय में चालान पेश किए। इनमें से मात्र दो प्रकरण में ही आरोपियों पर दोष सिद्ध हो पाया। अन्य कोर्ट में विचाराधीन हैं।
थाने में दर्ज 72 फीसदी शिकायत झूठी मिलीं
बीते एक साल में एससी-एसटी एक्ट के तहत आजाक थाने में मारपीट व जाति -सूचक शब्द कहकर अपमानित करने की 51 शिकायतें की गईं। इनकी जांच में 72 फीसदी शिकायतें झूठी पाईं गईं। जांच के बाद पुलिस ने खारिज कर दिया। मात्र चार शिकायतों पर एससी एसटी एक्ट का मामला पंजीबद्ध किया गया।
बीते एक साल में एससी-एसटी एक्ट के तहत आजाक थाने में मारपीट व जाति -सूचक शब्द कहकर अपमानित करने की 51 शिकायतें की गईं। इनकी जांच में 72 फीसदी शिकायतें झूठी पाईं गईं। जांच के बाद पुलिस ने खारिज कर दिया। मात्र चार शिकायतों पर एससी एसटी एक्ट का मामला पंजीबद्ध किया गया।
प्रकरण झूठे, फिर भी मिली राहत राशि
अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का उत्पीडऩ होने पर सरकार की ओर से एक से आठ लाख रुपए तक राहत राशि देने का प्रावधान किया गया है। दी जाने वाली राहत राशि की 25 से 50 फीसदी राशि थाने में प्राथमिकी दर्ज होते ही पीडि़त को प्रदान की जाती है। बाद में कोर्ट में आरोप सिद्ध नहीं होने पर भी राहत राशि वापस नहीं ली जाती। इससे शासन को हर साल 1.50 करोड़ से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। मारपीट की शिकायत पर पीडि़त को 25 से 75 हजार, बलात्कार जैसे गंभीर आरोप पर दो से चार लाख रुपए तक राहत राशि मिल जाती है।
अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का उत्पीडऩ होने पर सरकार की ओर से एक से आठ लाख रुपए तक राहत राशि देने का प्रावधान किया गया है। दी जाने वाली राहत राशि की 25 से 50 फीसदी राशि थाने में प्राथमिकी दर्ज होते ही पीडि़त को प्रदान की जाती है। बाद में कोर्ट में आरोप सिद्ध नहीं होने पर भी राहत राशि वापस नहीं ली जाती। इससे शासन को हर साल 1.50 करोड़ से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। मारपीट की शिकायत पर पीडि़त को 25 से 75 हजार, बलात्कार जैसे गंभीर आरोप पर दो से चार लाख रुपए तक राहत राशि मिल जाती है।
एससी/एसटी एक्ट दी जाने वाली राहत राशि
– हत्या 8,25,000
– सामूहिक बलात्कार 8,25,000
– बलात्कार 4,00,000
– लज्जा भंग 2,00,000
– मारपीट अपमान 1,00,000
– एक वर्ष में एससी-एसटी के तहत दी राहत राशि अनुसूचित जाति
– राहत का प्रकार पीडि़त संख्या स्वीकृत राशि
– हत्या 03 16,25,000
– बलात्कार 16 37,70,000
– लज्जा भंग 16 21,50,000
– अन्य अपराध 87 65,40,000
– हत्या 8,25,000
– सामूहिक बलात्कार 8,25,000
– बलात्कार 4,00,000
– लज्जा भंग 2,00,000
– मारपीट अपमान 1,00,000
– एक वर्ष में एससी-एसटी के तहत दी राहत राशि अनुसूचित जाति
– राहत का प्रकार पीडि़त संख्या स्वीकृत राशि
– हत्या 03 16,25,000
– बलात्कार 16 37,70,000
– लज्जा भंग 16 21,50,000
– अन्य अपराध 87 65,40,000
जनजाति
– हत्या 01 8,25,000
– बलात्कार 05 12,00,000
– लज्जा भंग 04 5,50,000
– अन्य अपराध 27 19,17,500 हकीकत
– पूर्व से लंबित प्रकरण 258
– 2017 में दर्ज प्रकरण 112
– एससी एसटी प्रकरण 340
– निराकृत प्रकरण 54
– मामले में सजा 20
– मामले दोषमुक्त 27
– राजीनामा 05
– थाने में दर्ज शिकायत 51
– निराकृत 49
– अपराध कायम 04
– शिकायत खारिज 33
– हत्या 01 8,25,000
– बलात्कार 05 12,00,000
– लज्जा भंग 04 5,50,000
– अन्य अपराध 27 19,17,500 हकीकत
– पूर्व से लंबित प्रकरण 258
– 2017 में दर्ज प्रकरण 112
– एससी एसटी प्रकरण 340
– निराकृत प्रकरण 54
– मामले में सजा 20
– मामले दोषमुक्त 27
– राजीनामा 05
– थाने में दर्ज शिकायत 51
– निराकृत 49
– अपराध कायम 04
– शिकायत खारिज 33