अभिभावक प्रागेन्द्र बागरी ने बताया कि, उनके बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ रहे है। सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले इस स्कूल में शाम चार बजे तक छोटे बच्चों की क्लास लग रही है। लेकिन, क्लास रूम में गर्मी से बचने के कोई खास इंतजाम नहीं है। सिर्फ पंखे लगे हैं ले भी गरम हवा छोड़ते है। ऐसे में छोटे बच्चे जब स्कूल से लौटते हैं तो उनकी हालत खराब रहती है। जिला प्रशासन को चाहिए कि, बढ़े तापमान को देखते विद्यालयों को एक शिफ्ट में करें विद्यालय की टाइमिंग सुबह से 12 बजे तक की जाए।
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चिकित्सकों ने सेहत को बताया प्रतिकूल
मेडिसिन विशेषज्ञों ने भी इस गर्मी को छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूल बताया है। डॉ. नारेन्द्र शर्मा ने बताया कि, छोटे बच्चे जब क्लास रूम में होते हैं तो बाल सुलभ स्थितियों के कारण लगातार पानी नहीं पीते हैं। इससे गर्मी में पानी की कमी हो सकती है। साथ ही अगर कूलर का इंतजाम नहीं होता है तो क्लास के पंखों की हवा भी संवेदनशील बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी वजह यह है कि गर्मी में वातावरण में आता कम होने से हवा में नमी बिल्कुल कम हो जाती है जो संवेदनशील त्वचा को छुलसा देती है। इससे त्वचा में दाने भी आने लगते हैं। वहीं, डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो सकती है।
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