खास मौके की तलाश
सोनिया, प्रियंका और मोहिना कहती हैं कि खूबसूरत लम्हों को बार-बार कैद करने के मौके नहीं मिलते। न ही बार-बार एेसे मौके मिलते। इसलिए उन्हंे खास मौके की हमेशा तलाश रहती है। बर्थडे पार्टी, पिकनिक, वीकेंड, फैमिली पार्टी एेसे खास मौके का तो हमंे खास इंतजार रहता है। हम सभी जमकर सेल्फी क्लिक करते हैं। फेसबुक, वाट्सऐप प्रोफाइल में यूज करते हैं। स्टेटस पर लगाते हैं। लोगों को सेल्फी पसंद आती है, लाइक कमेंट भी मिलते हैं।
सोनिया, प्रियंका और मोहिना कहती हैं कि खूबसूरत लम्हों को बार-बार कैद करने के मौके नहीं मिलते। न ही बार-बार एेसे मौके मिलते। इसलिए उन्हंे खास मौके की हमेशा तलाश रहती है। बर्थडे पार्टी, पिकनिक, वीकेंड, फैमिली पार्टी एेसे खास मौके का तो हमंे खास इंतजार रहता है। हम सभी जमकर सेल्फी क्लिक करते हैं। फेसबुक, वाट्सऐप प्रोफाइल में यूज करते हैं। स्टेटस पर लगाते हैं। लोगों को सेल्फी पसंद आती है, लाइक कमेंट भी मिलते हैं।
अच्छा लगता है भूमिका वर्मा कहती हैं कि जरूरी नहीं कि सेल्फी अच्छे मूड पर मिल जाए, बल्कि इससे इंटरटेनमेंट होता है और अच्छा लगता है। सेल्फी के चक्कर में हम खुद को अपडेट रखते हैं। अच्छी फोटो आती है तो मन को भी अच्छा लगता है। वे कहती हैं कि सेल्फी खुशी का पैमाना तय करती है। दिल दिमाग अच्छा रहे, तो उसका एक्सप्रेशन आपके चेहरे पर नजर आते हैं और उस मौके को कोई भी तुरंत कैप्चर करना चाहता है, इसमें सेल्फी मदद करती है।
हो सकती है मेंटल प्रॉब्लम
सॉइकोलॉजिस्ट डॉ. संगीता जैन कहती हैं कि इन दिनों युवाओं में सेल्फी लेने का क्रेज दिनोंदिन बढ़ रहा है। पब्लिक गैदरिंग हो या कोई प्राइवेट ऑकेजन हर कोई एक-दूसरे के साथ सेल्फी लेते नजर आता है। सेल्फी के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने कई मेंटल और फि जिकल डिसीज को जन्म दिया है। फ ोटो पसंद नहीं आने पर युवा डिप्रेशन में चले जाते हैं।
सॉइकोलॉजिस्ट डॉ. संगीता जैन कहती हैं कि इन दिनों युवाओं में सेल्फी लेने का क्रेज दिनोंदिन बढ़ रहा है। पब्लिक गैदरिंग हो या कोई प्राइवेट ऑकेजन हर कोई एक-दूसरे के साथ सेल्फी लेते नजर आता है। सेल्फी के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने कई मेंटल और फि जिकल डिसीज को जन्म दिया है। फ ोटो पसंद नहीं आने पर युवा डिप्रेशन में चले जाते हैं।