शहीद की पत्नी के साथ सफर कर रहे उनके पोते जमील आलम ने बताया कि 5 मई को पुणे में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रसूलन बीबी को यशोदा पुरस्कार से सम्मानित किया है। पत्रिका से बातचीत के दौरान 95 वर्षीय रसूलन बीबी ने कहा कि शहीदों के परिजन का जब देश में कहीं सम्मान होता है तो सरहद पर खड़े जवान का साहस और बढ़ जाता है। जवान को यह जानकार बहुत खुशी होती है कि देशवासी शहीदों के परिवार को कितना स्नेह देते हैं।
हर वक्त साथ रहते हैं पोते
भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में तैनात अब्दुल हमीद पाकिस्तान के ७ टैंकरों को उड़ाने के बाद शहीद हो गए थे। 32 वर्ष की आयु में जब उनकी शहादत हुई थी तब उनकी पत्नी रसूलन बीबी 28 साल की थीं। रेलवे में बतौर स्पेशल चेकिंग निरीक्षक के रूप में पदस्थ इनके पोते जमील आलम ने बताया कि देश के किसी भी हिस्से में शहीदों के कार्यक्रम में जब दादी को बुलाया जाता है तो वो जाने से नहीं चूकतीं। उनके साथ अक्सर रिजवान और आलम होते हैं।
भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में तैनात अब्दुल हमीद पाकिस्तान के ७ टैंकरों को उड़ाने के बाद शहीद हो गए थे। 32 वर्ष की आयु में जब उनकी शहादत हुई थी तब उनकी पत्नी रसूलन बीबी 28 साल की थीं। रेलवे में बतौर स्पेशल चेकिंग निरीक्षक के रूप में पदस्थ इनके पोते जमील आलम ने बताया कि देश के किसी भी हिस्से में शहीदों के कार्यक्रम में जब दादी को बुलाया जाता है तो वो जाने से नहीं चूकतीं। उनके साथ अक्सर रिजवान और आलम होते हैं।
अमेरिका ने की थी समीक्षा
बता दें कि, पाकिस्तान के अमेरिकन पैटन टैंकों के आगे महज खिलौना, गन माउंटेड जीप के हाथों शिकस्त से हतप्रभ अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों ने तब आनन-फानन में पैटन टैंकों के डिजायन में बदलाव की समीक्षा की थी। पैटन टैंक के डिजायन में बदलाव की समीक्षा के दौरान इन विशेषज्ञों के केन्द्र में गन माउंटेड जीप तो थी मगर, वो आज तक अब्दुल हमीद जैसे भारतीय जाबांज की राष्ट्रभक्ति और उनके हौसले को नहीं समझ पाए।
बता दें कि, पाकिस्तान के अमेरिकन पैटन टैंकों के आगे महज खिलौना, गन माउंटेड जीप के हाथों शिकस्त से हतप्रभ अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों ने तब आनन-फानन में पैटन टैंकों के डिजायन में बदलाव की समीक्षा की थी। पैटन टैंक के डिजायन में बदलाव की समीक्षा के दौरान इन विशेषज्ञों के केन्द्र में गन माउंटेड जीप तो थी मगर, वो आज तक अब्दुल हमीद जैसे भारतीय जाबांज की राष्ट्रभक्ति और उनके हौसले को नहीं समझ पाए।