सतना

शहीद परमवीर चक्र विजेता की पत्नी ने बोली ऐसी बात, सुनकर आपका सीना हो जाएगा 56 इंच

गर्व की बात: शहीद के परिजन के सम्मान से जवानों को मिलता है अदम्य साहस, 1965 की जंग में पाकिस्तान के 7 टैंक उड़ाने वाले शहीद की पत्नी ने कहा

सतनाMay 09, 2018 / 05:22 pm

suresh mishra

Shaheed Abdul Hamid: param vir chakra winners stories in hindi

सतना। साल 1965 में भारत-पाक जंग के दौरान दुश्मन देश के छक्के छुड़ाने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी मंगलवार को पुणे से गाजीपुर लौटते वक्त थोड़े समय के लिए सतना में रुकीं। वे पुणे में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में हिस्सा लेकर वापस अपने गृहनगर गाजीपुर यूपी जा रही थीं। एलटीटी-वाराणसी सुपरफास्ट से रात करीब साढ़े 8 बजे सतना पहुंची शहीद की पत्नी रसूलन बीबी का इस दौरान आरपीएफ निरीक्षक मान सिंह व जीआरपी स्टाफ द्वारा स्टेशन में फूलों का गुलदस्ता भेंट कर हाल-चाल जाना गया।
शहीद की पत्नी के साथ सफर कर रहे उनके पोते जमील आलम ने बताया कि 5 मई को पुणे में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रसूलन बीबी को यशोदा पुरस्कार से सम्मानित किया है। पत्रिका से बातचीत के दौरान 95 वर्षीय रसूलन बीबी ने कहा कि शहीदों के परिजन का जब देश में कहीं सम्मान होता है तो सरहद पर खड़े जवान का साहस और बढ़ जाता है। जवान को यह जानकार बहुत खुशी होती है कि देशवासी शहीदों के परिवार को कितना स्नेह देते हैं।
हर वक्त साथ रहते हैं पोते
भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में तैनात अब्दुल हमीद पाकिस्तान के ७ टैंकरों को उड़ाने के बाद शहीद हो गए थे। 32 वर्ष की आयु में जब उनकी शहादत हुई थी तब उनकी पत्नी रसूलन बीबी 28 साल की थीं। रेलवे में बतौर स्पेशल चेकिंग निरीक्षक के रूप में पदस्थ इनके पोते जमील आलम ने बताया कि देश के किसी भी हिस्से में शहीदों के कार्यक्रम में जब दादी को बुलाया जाता है तो वो जाने से नहीं चूकतीं। उनके साथ अक्सर रिजवान और आलम होते हैं।
अमेरिका ने की थी समीक्षा
बता दें कि, पाकिस्तान के अमेरिकन पैटन टैंकों के आगे महज खिलौना, गन माउंटेड जीप के हाथों शिकस्त से हतप्रभ अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों ने तब आनन-फानन में पैटन टैंकों के डिजायन में बदलाव की समीक्षा की थी। पैटन टैंक के डिजायन में बदलाव की समीक्षा के दौरान इन विशेषज्ञों के केन्द्र में गन माउंटेड जीप तो थी मगर, वो आज तक अब्दुल हमीद जैसे भारतीय जाबांज की राष्ट्रभक्ति और उनके हौसले को नहीं समझ पाए।
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