ये है मामला
जानकारी के अनुसार, एसटीएफ ईकाई जबलपुर को शस्त्र शाखा में फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट देने जो जानकारी नोटशीट पर तैयार की थी और उसे अपर कलेक्टर के अनुमोदन के बाद डिस्पैच क्रमांक 65/ 26-3-2019 नंबर देकर डाक से भेजने का निर्णय लिया। अब उसे बदलने की तैयारी की जा रही है। पहले जो पत्र दिया था उसमें जांच टीम मूलचंद वर्मा तत्कालीन अपर कलेक्टर, सपना त्रिपाठी तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर, दिलीप पाण्डेय तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सहित लिपिकीय स्टाफ बाल्मीक शुक्ला, शारदा पाण्डेय और रामभइया शर्मा की जांच रिपोर्ट शामिल थी।
जानकारी के अनुसार, एसटीएफ ईकाई जबलपुर को शस्त्र शाखा में फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट देने जो जानकारी नोटशीट पर तैयार की थी और उसे अपर कलेक्टर के अनुमोदन के बाद डिस्पैच क्रमांक 65/ 26-3-2019 नंबर देकर डाक से भेजने का निर्णय लिया। अब उसे बदलने की तैयारी की जा रही है। पहले जो पत्र दिया था उसमें जांच टीम मूलचंद वर्मा तत्कालीन अपर कलेक्टर, सपना त्रिपाठी तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर, दिलीप पाण्डेय तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सहित लिपिकीय स्टाफ बाल्मीक शुक्ला, शारदा पाण्डेय और रामभइया शर्मा की जांच रिपोर्ट शामिल थी।
इस रिपोर्ट में शस्त्र अनुज्ञप्ति की सीमा क्षेत्र में वृद्धि से संबंधित 92 में नियम विरुद्ध 88, अतिरिक्त शस्त्र दर्ज करने के 55 में नियम विरुद्ध मिले 42, बिना एनओसी अन्य जगह स्वीकृ त शस्त्र अनुज्ञप्तियों के 60 में नियम विरुद्ध 56, कारतूस की संख्या में वृद्धि के 60 में नियम विरुद्ध 56, निरस्तगी आदेश की शस्त्र अनुज्ञप्ति पंजी में प्रविष्टि के 2 में नियम विरुद्ध मिले 2 प्रकरण, अवधि वृद्धि की नस्ती पर बिना अनुमति पंजी में प्रविष्टि दर्ज करने के नियम विरुद्ध 5 प्रकरण, पंजी में शस्त्र क्रय उपरांत निरीक्षण नस्ती में टीप अंकित न होने के 10 में नियम विरुद्ध मिले 7, अनुज्ञप्तिधारी का संबंधित जिले में थाने निवास न करने के बाद भी थाना क्षेत्र से शस्त्र लाइसेंस जारी करने के 9 में नियम विरुद्ध मिले 8 की जानकारी थी। इसमें लिखा गया था कि कुल 297 शस्त्र लाइसेंसों में 267 लाइसेंस नियम विरुद्ध मिले थे।
एनआइए को की गई शिकायत में याचिकाकर्ता का नाम
इस पूरे शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में ज्यादातर गड़बडिय़ां एक ही लिपिक के कार्यकाल की हैं। इस मामले में एनआईए को हुई शिकायत में संबंधित शस्त्र शाखा लिपिक और याचिकाकर्ता के नाम का भी उल्लेख है। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि फर्जीवाड़े की दोनों जांचों में याचिकाकर्ता का भी शस्त्र लाइसेंस नियम विरुद्ध पाया गया। पहली जांच में 59 नंबर पर याचिकाकर्ता के शस्त्र को नियम विरुद्ध तरीके से क्षेत्र वृद्धि मप्र से बढ़ाकर उप्र, महाराष्ट्र के लिए 26/12/11 को किया गया, जबकि क्षेत्र वृद्धि का अधिकार मप्र से बाहर राज्य शासन को है। इसी प्रकार कारतूस संख्या 20-50 दर्ज की गई, जिसके लिए आवेदक पात्र नहीं था।
इस पूरे शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में ज्यादातर गड़बडिय़ां एक ही लिपिक के कार्यकाल की हैं। इस मामले में एनआईए को हुई शिकायत में संबंधित शस्त्र शाखा लिपिक और याचिकाकर्ता के नाम का भी उल्लेख है। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि फर्जीवाड़े की दोनों जांचों में याचिकाकर्ता का भी शस्त्र लाइसेंस नियम विरुद्ध पाया गया। पहली जांच में 59 नंबर पर याचिकाकर्ता के शस्त्र को नियम विरुद्ध तरीके से क्षेत्र वृद्धि मप्र से बढ़ाकर उप्र, महाराष्ट्र के लिए 26/12/11 को किया गया, जबकि क्षेत्र वृद्धि का अधिकार मप्र से बाहर राज्य शासन को है। इसी प्रकार कारतूस संख्या 20-50 दर्ज की गई, जिसके लिए आवेदक पात्र नहीं था।
अब पत्र बदलने नया खेल
एसटीएफ को उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए उसके आदेश और कमिश्नर के आदेश की जानकारी देने के बाद खुद को गलत जानकारी से बचाने के लिये पुरानी जानकारी वाला पत्र बदलने की तैयारी की जी रही है। इसके लिये नए सिरे से नोटशीट तैयार हो रही है। अनूप शुक्ला पिता युगुल किशोर निवासी धवारी गली नं. 1 की याचिका डब्लूपी 13414/2014 के निर्णय का हवाला देते हुए तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मोहनलाल मीणा की ओर से गठित जांच कमेटी जिसकी अध्यक्षता अपर कलेक्टर सुरेश कुमार ने की थी को निरस्त करने की जानकारी तैयार की जा रही है। इसमें बताया गया कि कमिश्रर रीवा के आदेश क्रमांक 351 के तहत जिला मजिस्ट्रेट सतना ने जांच कमेटी 9/7/2014 को निरस्त कर दी। जिस कारण उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता। चौंकाने वाली बात यह है कि यह जानकारी नोटशीट में 28 मार्च को 27 मार्च की बैकडेट पर लिखे जाने की तैयारी है।
एसटीएफ को उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए उसके आदेश और कमिश्नर के आदेश की जानकारी देने के बाद खुद को गलत जानकारी से बचाने के लिये पुरानी जानकारी वाला पत्र बदलने की तैयारी की जी रही है। इसके लिये नए सिरे से नोटशीट तैयार हो रही है। अनूप शुक्ला पिता युगुल किशोर निवासी धवारी गली नं. 1 की याचिका डब्लूपी 13414/2014 के निर्णय का हवाला देते हुए तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मोहनलाल मीणा की ओर से गठित जांच कमेटी जिसकी अध्यक्षता अपर कलेक्टर सुरेश कुमार ने की थी को निरस्त करने की जानकारी तैयार की जा रही है। इसमें बताया गया कि कमिश्रर रीवा के आदेश क्रमांक 351 के तहत जिला मजिस्ट्रेट सतना ने जांच कमेटी 9/7/2014 को निरस्त कर दी। जिस कारण उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता। चौंकाने वाली बात यह है कि यह जानकारी नोटशीट में 28 मार्च को 27 मार्च की बैकडेट पर लिखे जाने की तैयारी है।
यह तथ्य क्यों छिपाया बड़ा सवाल
नोटशीट में शस्त्र शाखा की ओर से कलेक्टर को तो यह बताया जा रहा है कि न्यायालय के आदेश पर पहली कमेटी भंग कर दी थी, लेकिन शस्त्र शाखा ने यह तथ्य छिपा लिया जिसमें जिला दण्डाधिकारी ने बाद में एक नई कमेटी गठित की थी, जो तत्कालीन अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित की गई और इसके जांच अधिकारी डिप्टी कलेक्टर सपना त्रिपाठी और दिलीप पाण्डेय रहे। इस टीम ने 267 शस्त्र लाइसेसों में फर्जीवाड़ा पकड़ा।
नोटशीट में शस्त्र शाखा की ओर से कलेक्टर को तो यह बताया जा रहा है कि न्यायालय के आदेश पर पहली कमेटी भंग कर दी थी, लेकिन शस्त्र शाखा ने यह तथ्य छिपा लिया जिसमें जिला दण्डाधिकारी ने बाद में एक नई कमेटी गठित की थी, जो तत्कालीन अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित की गई और इसके जांच अधिकारी डिप्टी कलेक्टर सपना त्रिपाठी और दिलीप पाण्डेय रहे। इस टीम ने 267 शस्त्र लाइसेसों में फर्जीवाड़ा पकड़ा।