वर्ष 2014 में हुई शिकायत पर सतना कलेक्टर को शस्त्रलाइसेंस फर्जीवाड़े की जांच करने के निर्देश संभागायुक्त रीवा ने दिए थे। इस निर्देश के चार माह बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी थी। उसी दौरान प्रभारी कलेक्टर के रूप में अभिजीत अग्रवाल ने कार्यभार संभाला था और शिकायत के आधार पर जांच करवाते हुए प्रारंभिक तौर पर 95 लाइसेंसों में फर्जीवाड़ा पकड़ा था। इसके बाद कलेक्टर मोहनलाल मीना ने इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच के लिए दो संयुक्त कलेक्टर सुनील दुबे और एलएल यादव के नेतृत्व में एक समिति गठित कर विस्तृत जांच के निर्देश दिए। इसके बाद जांच में दोषियों के रहनुमाओं की ओर से आपत्ति खड़ी की गई। इस पर जांच कमेटी पुन: गठित की गई। तत्कालीन एडीएम सुरेश कुमार के नेतृत्व में जांच की गई और उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को प्रस्तुत कर दी।
फर्जीवाड़े के मुख्य किरदार के करीबियों को जांच की जानकारी पहुंच गई है। इसके साथ ही वे संबंधित शस्त्र शाखा में पहुंच कर संबंधित शाखा लिपिकों पर दबाव बनाना शुरू कर चुके हैं। उनके द्वारा कहा जा रहा कि एसटीएफ को जवाब भेज दिया जाए कि हाईकोर्ट में मामला गया था, वहां से इस पर जो आदेश दिए गए थे उसके बाद जांच का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि संबंधित लिपिकों को इस संबंध में पहले से ही आगाह कर दिया गया है कि वे इस मामले की कोई भी भ्रामक जानकारी न दें अन्यथा की स्थिति में वे स्वयं भी दोषी बन सकते हैं। बहरहाल जिस तरीके से इस मामले में विलंब किया जा रहा है उससे भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। फर्जीवाड़े से जुड़े लोग मीडिया पर भी दबाव बनाने की कोशिश की थी और मामले को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक ले गए थे पर वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी। मामला विधानसभा में भी उठाया गया था।
जांच की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जांच से जुड़े दस्तावेज जिला कोषालय में सुरक्षित रखवाए गए हैं। मामले की जांच अधिकारी तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर सपना त्रिपाठी को बनाया गया था। उन्होंने शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े की जांच करने के साथ ही इससे संबंधित नस्तियों की छायाप्रतियां जिला कोषालय में सुरक्षित रखवाई थी, ताकि अगर कभी इनमें कोई हेरफेर की जाए तो उसका कोषालय में रखे दस्तावेजों से मिलान किया जा सके।
विधि विरुद्ध लाइसेंसों के अधिकार क्षेत्र को बढ़वा लिया गया। विधि विरुद्ध तरीके से स्वीकृत शस्त्र लाइसेंसों पर अतिरिक्त शस्त्र धारण करने की अनुमति ले ली गई। दूसरे प्रांत और जिलों से जारी लाइसेंसों का लाइसेंस प्राधिकारी एवं अपराध अनुसंधान भोपाल की एनओसी प्राप्त किए बिना जिले में पंजीयन या नवीनीकरण करवाया गया था। नियम विरुद्ध तरीके से स्वीकृत लाइसेंसों पर मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में सीमावृद्धि करवाई गई थी और इसके प्रस्ताव भी शासन को नहीं भेजे गए थे। इसके अलावा भी कई अनियमितताएं मिली थीं जो आम्र्स एक्ट के विरुद्ध थीं। इसमें तो सतना के एसपी बंगले के पते पर उत्तर प्रदेश के निवासियों के शस्त्र लाइसेंस बनाए गए थे। कुछ में विहित प्रावधान पूरे किए बिना शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिए गए थे।