script11 जुलाई के बाद 4 महीने नहीं सुनाई देगी शहनाइयों की गूंज, चातुर्मास लगने से शुभ कार्यों पर लगेगा ब्रेक | Shubh Muhurat July 2019: Wedding will not be 4 months after 11th July | Patrika News

11 जुलाई के बाद 4 महीने नहीं सुनाई देगी शहनाइयों की गूंज, चातुर्मास लगने से शुभ कार्यों पर लगेगा ब्रेक

locationसतनाPublished: Jul 03, 2019 12:30:48 pm

Submitted by:

suresh mishra

चार माह एक ही स्थान पर रहेंगे साधु-संत, मंदिरों में होंगे पूजा पाठ के कार्यक्रम

Shubh Muhurat July 2019

Shubh Muhurat July 2019

पन्ना। शादी की शहनाई पर 11 जुलाई के बाद चार माह के लिए ब्रेक लग जाएगा। 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी का अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर चले जाएंगे। इससे चार माह वैवाहिक सहित अन्य मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। चार माह बाद आठ नवंबर को देवोत्थानी एकादशी पर फिर से शहनाइयां बजनी शुरू हो जाएंगी। अभी शहर में हर दिन शहनाई की गूंज सुनाई दे रही है। शादियों की वजह से बाजार में भी रौनक है।
पं. नंदलाल महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में विवाह आदि शुभ कार्य लग्नों को देखकर होते हैं। वर्ष 2018 में नवंबर, दिसंबर तथा वर्ष 2019 में जनवरी में सावे काफी कम थे लेकिन गर्मियों में इसके उलट वैवाहिक शुभ लग्न वाली तिथियां व्यापक रहीं और शहर में इन दिनों पाणिग्रहण संस्कारों की धूम रही। 11 जुलाई को विवाह कार्य नवंबर माह तक के लिए थम जाएंगे। हालांकि 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी अबूझ सावे सहित इस बीच पडऩे वाले अन्य स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में मांगलिक कार्य हो सकेंगे।
पं. रामप्रसाद तिवारी ने बताया कि 10 जुलाई को भड़ल्या नवमी का अबूझ मुहूर्त आएगा। धार्मिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं। ऐसे में वैवाहिक कार्यक्रमों पर रोक रहती है। चातुर्मास के चार महीनों में साधू, संत एक स्थान पर रहकर भगवान की उपासना और स्वाध्याय करते हैं।
बैक्टीरिया, कीड़े-मकोड़े, जीव जंतु की बढ़ जाती है संख्या
धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी चातुर्मास में परहेज करने और संयम अपनाने का महत्व है। इस समय बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है। इस कारण बैक्टीरिया, कीड़े-मकोड़े, जीव जंतु आदि की संख्या बढ़ जाती है। इनसे बचने के लिए खाने-पीने में परहेज किया जाता है।
क्या है चातुर्मास
चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से शुरू होकर चार महीने तक चलते हैं। हिंदू धर्म में मान्?यता है कि इन 4 महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। शास्?त्रों में बताया गया है कि इस वक्त भगवान क्षीर सागर अनंत शैय्या पर शयन करते हैं। इसलिए इन चार महीनों में शुभ कार्य संपन्न नहीं होते। उसके बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर प्रभु निद्रा से जागते हैं। इस एकादशी को देवउठानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है।
जैन धर्म की मान्यता
जैन और बौद्ध धर्म में चातुर्मास का बड़ा ही महत्व होता है। साधु संत इस दौरान एक ही स्थान पर रहकर साधना और पूजा पाठ करते हैं। जैन धर्म को अहिंसा के मार्ग पर चलने वाला धर्म माना गया है। इनके सिद्धांतों के अनुसार, बारिश के मौसम में कई प्रकार के कीड़े, सूक्ष्म जीव सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में मनुष्य के अधिक चलने-फिरने से जीव हत्?या का पाप लग सकता है। यही वजह है साधु-संत एक ही स्थान पर रूकते हैं। सागर में चातुर्मास में आचार्यश्री निभर्य सागर महाराज का चौमासा होगा। आचार्यश्री के सानिध्य में इस दौरान वर्णी भवन मोराजी में पंच कल्याणक का भी आयोजन किया जा रहा है।
इन नियमों का करें पालन
– चातुर्मास में फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत ही शुभ माना जाता है। इन 4 महीनों में अधिकतर समय तक मौन रहना चाहिए। हो सके तो दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।
– इस दौरान मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित है। झूठ न बोलें। पलंग पर नहीं सोना चाहिए। शहद या अन्य किसी प्रकार के रस का प्रयोग न करें। बैगन, मूली और परवल न खाएं।
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