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हाल-ए-जिला अस्पताल: 11 दिन में 116 महिलाओं को बिना इलाज के छोड़ा सरकारी पलंग

locationसतनाPublished: Jun 12, 2019 05:20:59 pm

Submitted by:

suresh mishra

– पांच में से तीन सर्जन छुट्टी पर, प्रसूताओं को नर्सिंग होम में करानी पड़ रही सर्जरी- 33 फीसदी पहुंच गई ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बीते महीनेभर में

Story of district hospital satna

Story of district hospital satna

सतना। सरकार ने सुविधाएं दीं और उपचार के लिए महंगी वेतन पर चिकित्सकों की तैनाती भी कर दी, लेकिन इसका लाभ आमजनता को नहीं मिल पा रहा है। जिला अस्पताल के गायनी विभाग में तैनात पांच में से तीन चिकित्सकों को छुट्टी दे दी गई। इसका नतीजा यह निकला कि गरीब अस्पताल में दाखिल होने के बाद भी अपनी सर्जरी नहीं करा पा रहे हैं।
यहां से ग्यारह दिनों में 116 महिलाएं बिना प्रसव के ही निजी नर्सिंग होम में जाने के लिए मजबूर हुईं और वर्तमान में 38 में से केवल 5 पलंग पर ही मरीज भर्ती हैं। जिला अस्पताल में पांच गायनी सर्जन डॉ रेखा त्रिपाठी, डॉ माया पाण्डेय, डॉ सुनील पाण्डेय, डॉ आरके तिवारी, डॉ मंजू सिंह पदस्थ हैं। 3 सर्जन डॉ सुनील पाण्डेय, डॉ आरके तिवारी और डॉ मंजू सिंह अवकाश पर हैं। हाईरिस्क प्रेग्नेंसी के अधिकांश मामले निजी नर्सिंग होम जा रहे हैं।
मुश्किल से सर्जरी
जिला अस्पताल गायनी रोग विभाग के रिकार्ड की मानें तो रोजाना औसतन 8 से 10 सर्जरी होती थी, लेकिन चिकित्सकों के अवकाश में जाने के बाद मुश्किल से तीन सर्जरी हो पा रही हैं। वार्ड में अधिकतम तीन से पांच प्रसूताएं ही दाखिल रहती हैं।
गरीब परेशान
चिकित्सकों के अवकाश से सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के पीडि़तों को हो रही है। जो कि निजी नर्सिग होम में चालीस से पचास हजार रुपए की शुल्क देने में सक्षम नहीं है। जब उन्हें जिला अस्पताल में चिकित्सकों के मौजूद नहीं होने की जानकारी लगती है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
सख्ती बेअसर
प्रबंधन द्वारा गायनी विभाग के पांच चिकित्सकों के अवकाश निरस्त कर दिए गए हैं। प्रबंधन द्वारा चिकित्सकों के घर भी अवकाश निरस्त की सूचना भेजी गई है। लेकिन कोई भी चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं लौटा है। प्रबंधन की सख्ती भी चिकित्सकों पर बेअसर साबित हो रही है।
वीरान हो गया वार्ड
जिला अस्पताल के जिस वार्ड में एक माह पहले तक अंदर दाखिल होना मुश्किल होता था। पीडि़तों को पलंग तो दूर जमीन के लिए मारामारी करनी पड़ती थी। स्ट्रेचर में पीडि़त वेटिंग में रहते थे। तब घंटों मशक्कत और जुगाड़ के बाद पलंग मिल पाता था। वह गायनी वार्ड वीरान हो गया है। वार्ड के 38 में से 33 पलंग खाली पड़े हुए हैं।
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