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गर्भवती और मासूमों की मौत पर मिलीभगत का पर्दा, CMHO-CS कर रहे कागजी खानापूर्ति

locationसतनाPublished: Jan 18, 2019 01:21:10 pm

Submitted by:

suresh mishra

स्वास्थ्य विभाग की हकीकत

Story of Health Department's Reality in satna Madhya Pradesh

Story of Health Department’s Reality in satna Madhya Pradesh

सतना। स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार गर्भवती और शिशुओं की मौत पर पर्दा डालने में जुटे हैं। जांच में लापरवाही उजागर होने के बाद भी संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। सीएमएचओ-सीएस संरक्षण के चलते महज नोटिस जारी कर कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं।
लापरवाह अमले पर कार्रवाई नहीं होने से इलाज में लापरवाही के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। बीते 20 दिन में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें किसी की कोख उजड़ गई तो किसी से मां की ममता छिन गई।
जांच में मिली लापरवाही
पीडि़त परिजनों ने सीएमएचओ, सीएस के पास इलाज में लापरवाही से मौत की शिकायत दर्ज कराई। जांच टीम गठित की गई। टीम ने पाया कि इलाज में लापरवाही की गई। समय रहते चिकित्सा मुहैया कराई जाती तो जान बचाई जा सकती थी। टीम ने कार्रवाई के अभिमत के साथ प्रतिवेदन सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया और सीएस डॉ एसबी सिंह को सौंपा पर महज नोटिस जारी कर फाइल बंद कर दी गई।
मिलीभगत के चलते कार्रवाई नहीं
सीएमएचओ और सीएस मिलीभगत के चलते लापरवाही सामने आने के बाद भी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। इसके विपरीत मामलों को फाइलों में कैद कर दिया गया है। जिम्मेदारों की मिलीभगत का खामियाजा पीडि़तों को जान देकर चुकाना पड़ रहा है। नतीजा, जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर का ग्राफ घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है।
केस-1
बांधा निवासी गर्भवती संगीता नामदेव को 12 जून को दाखिल कराया गया। ड्यूटी में तैनात स्टाफ नर्स ने बिना जांच और उचित प्रबंधन किए गर्भवती को जननी एक्सप्रेस से रीवा रेफर कर दिया गया। रीवा में उपचार के दौरान नवजात की मौत हो गई। टीम ने जांच प्रतिवेदन सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया को कार्रवाई के अभिमत के साथ 26 जून 18 को सौंपा। महज नोटिस जारी कर फाइल बंद कर दी गई।
केस-2
सगमा निवासी गर्भवती गायत्री पति रोहित रैकवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोठी से 10 दिसंबर 17 को जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहां पर नर्सिंग स्टाफ से लेकर चिकित्सकों द्वारा इलाज में लापरवाही बरती गई। इससे मासूम का गर्भ में दम घुट गया। इलाज में लापरवाही का खुलासा होने के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा जांच टीम गठित की गई। लेकिन, एक वर्ष से अधिक की समयावधि बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है।
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