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महिलाओं को बैंकिंग का पाठ पढ़ा कर पैरों पर खड़ा कराने वाली सीमा-ममता होंगी सम्मानित

locationसतनाPublished: Sep 18, 2018 11:47:37 am

Submitted by:

suresh mishra

रामजी महाजन पुरस्कार पाने वाली महिलाओं की कहानी

Story of women Gaining Ramji Mahajan Award

Story of women Gaining Ramji Mahajan Award

सतना। विकास की राह से दूर रहने वाली गरीब अनपढ़ महिलाओं को बैंकिंग का पाठ पढ़ाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करवाने वालीं जिले की दो महिलाओं का चयन राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिए किया गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री इन्हें सम्मानित करेंगे। समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली सीमा सेन और ममता विश्वकर्मा को रामजी महाजन पुरस्कार 2016 दिया जाएगा। सीएम इन्हें एक लाख रुपए नकद तथा प्रशस्ति पत्र सौंपेंगे।
प्रदेश से 17 लोग होंगे सम्मानित
रामजी महाजन पुरस्कार से सतना की दो महिलाओं सहित कुल 15 लोगों को सम्मानित किया जाएगा। इनमें मुन्ना सिंह दांगी सागर, विजय घाटोड छिंदवाड़ा, मुन्नीलाल यादव टीकमगढ़, ज्वाला प्रसाद विश्वकर्मा भोपाल, बृजेश चौहान सीहोर, मुख्त्यार सिंह यादव ग्वालियर, हेमलाल महाजन बुरहानपुर, धनसिंह चंदेल भोपाल, जमुना यादव सागर, राममूर्ति राजपूत छतरपुर, मनीषा चौरसिया टीकमगढ़, सीमा सेन सतना, प्रेमलता सैनी भोपाल, ममता विश्वकर्मा सतना, मंजू चौधरी बैतूल शामिल हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले पुरस्कार के लिए कृष्ण गोपाल कश्यप गुना और सावित्रीबाई फुले पुरस्कार के लिए मंजू सराठे भोपाल का चयन किया गया है।
महिलाओं को किया साक्षर, बचत की डाली आदत
जिले के सुदूर तराई इलाके में रहने वाली सीमा सेन ने समाज की महिलाओं को मूलधारा में लाने के लिए काफी काम किया है। मझगवां तहसील के पिंडरा गांव निवासी सीमा ने गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को चिह्नित कर उनकी महिलाओं को एकत्र किया। फिर उन्हें साक्षर बनाया। इसके बाद इन महिलाओं का समूह बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करने की ठानी। इनके स्व सहायता समूह गठित कर बैंकिंग प्रक्रिया से जोड़ा।
बचत की आदत डलवाई
छोटी-छोटी बचत से इन्हें बचत की आदत डलवाई और कुछ ही साल में उन्हें पूरी तरह अपने रोजगार पर स्थापित कर दिया। कुछ अन्य महिलाओं को अलग-अलग क्षेत्र में स्वरोजगार से जोड़ा। इस समय सीमा चाइल्ड लाइन सेवा से जुड़ी हुई हैं। कमोबेश यही कहानी अमरपाटन की ममता विश्वकर्मा की है। इनके पति रामभुवन विश्वकर्मा ने बताया कि ममता ने आधा सैकड़ा से ज्यादा स्वसहायता समूह बनवाए। रोजगार का प्रशिक्षण दिलाया। माइक्रोफाइनेंस के तहत सिलाई मशीन दिलवा कर अपने रोजगार से जोड़ा।

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