एक राइस मील मशीन निर्माण फैक्टरी में नौकरी करते-करते उनके मन में भी मशीन बनाकर बेचने तथा खुद को स्थापित करने का ख्याल आया लेकिन कारखाना स्थापित करने में लगने वाली पूंजी के बारे में सोचकर अपना विचार त्यागकर नौकरी में ही लगे रहे। कई वर्षों तक नौकरी करने के पश्चात उन्होंने अपनी बचत की हुई जमा पूंजी से पहले बदखर में जमीन खरीदी और उसमें एक छोटा सा कारखाना प्रारंभ किया। पूंजी की कमी के कारण उनका यह कारखाना ठीक ढंग से नहीं चल पा रहा था ऐसे में राज्य सरकार की मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना मदन सिंह के लिए वरदान बनकर सामने आई और उन्हें एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित कर दिया।
कारखाना डालते वक्त पूंजी का अभाव था। लिहाजा, वे बेहतर ढंग से काम नहीं कर पा रहे थे। उसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की जानकारी लेने जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र पहुंचे। वहां से प्रोजेक्ट बनाकर बैंक में जमा किया। टीएफसी की बैठक में बैंक ऑफ बड़ोदा ने प्रोजेक्ट के लिए लोन की स्वीकृति दे दी। उसने 24.७६ लाख रुपए का टर्म लोन व 50 लाख रुपए की कार्यशील पूंंजी स्वीकृत कर दी। मदन ने इससे कारखाने में बड़ी मशीनें लाकर लगा लिए। उसके बाद वे सफलता की ओर बढ़ गए।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का लाभ लेकर सफल और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे मदन सिंह का कहना है कि युवाओं को नौकरी के पीछे नहीं भागकर उद्यमशील बनना चाहिए। स्वयं का उद्योग स्थापित कर रोजगार के साधन तलाशने चाहिए। इनके द्वारा बनाई गई राइस फ्लोर मशीनों की सप्लाई मप्र के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार, उप्र व नेपाल में भी हो रही है। उनके कारखाने में 15 कर्मचारी काम करते हैं। मांग के अनुसार कारखाना रात-दिन काम कर रहा है।