ठीक ही कहा गया है कि अगर किसी में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो किस्मत भी उसका साथ देती है। ऐसा ही कुछ शहर के मदन सिंह के साथ भी हुआ है। उन्होंने राइस मिल मशीन फैक्ट्री में काम करने वाले सामान्य कर्मचारी के रूप में स्वयं का कारखाना लगाया और उद्यमी बन गया।
दरअसल, सतना शहर के मदन सिंह स्नातक तक पढऩे के बाद स्थानीय स्तर पर राइस मिल मशीन निर्माण कंपनी में तकनीशियन के रूप में काम करने लगे थे। लगभग दो साल काम करने के बाद मन में विचार आया कि क्यों न स्वयं का कारखाना लगाया जाए? लेकिन, पैसा नहीं था। लिहाजा, वे काम करते रहे। लंबे समय तक काम करने के बाद एकत्रित जमा पूंजी से बदखर में प्लॉट खरीदा। उसके बाद छोटा कारखाना डाला। फिर वे धीरे-धीरे काम करना शुरू किए और अब वे करीब दो करोड़ का टर्न ओवर प्रतिवर्ष कर रहे हैं।
ऐस हुई शुरुआत
एक राइस मील मशीन निर्माण फैक्टरी में नौकरी करते-करते उनके मन में भी मशीन बनाकर बेचने तथा खुद को स्थापित करने का ख्याल आया लेकिन कारखाना स्थापित करने में लगने वाली पूंजी के बारे में सोचकर अपना विचार त्यागकर नौकरी में ही लगे रहे। कई वर्षों तक नौकरी करने के पश्चात उन्होंने अपनी बचत की हुई जमा पूंजी से पहले बदखर में जमीन खरीदी और उसमें एक छोटा सा कारखाना प्रारंभ किया। पूंजी की कमी के कारण उनका यह कारखाना ठीक ढंग से नहीं चल पा रहा था ऐसे में राज्य सरकार की मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना मदन सिंह के लिए वरदान बनकर सामने आई और उन्हें एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित कर दिया।
एक राइस मील मशीन निर्माण फैक्टरी में नौकरी करते-करते उनके मन में भी मशीन बनाकर बेचने तथा खुद को स्थापित करने का ख्याल आया लेकिन कारखाना स्थापित करने में लगने वाली पूंजी के बारे में सोचकर अपना विचार त्यागकर नौकरी में ही लगे रहे। कई वर्षों तक नौकरी करने के पश्चात उन्होंने अपनी बचत की हुई जमा पूंजी से पहले बदखर में जमीन खरीदी और उसमें एक छोटा सा कारखाना प्रारंभ किया। पूंजी की कमी के कारण उनका यह कारखाना ठीक ढंग से नहीं चल पा रहा था ऐसे में राज्य सरकार की मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना मदन सिंह के लिए वरदान बनकर सामने आई और उन्हें एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित कर दिया।
लोन ले बढ़ाया काम
कारखाना डालते वक्त पूंजी का अभाव था। लिहाजा, वे बेहतर ढंग से काम नहीं कर पा रहे थे। उसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की जानकारी लेने जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र पहुंचे। वहां से प्रोजेक्ट बनाकर बैंक में जमा किया। टीएफसी की बैठक में बैंक ऑफ बड़ोदा ने प्रोजेक्ट के लिए लोन की स्वीकृति दे दी। उसने 24.७६ लाख रुपए का टर्म लोन व 50 लाख रुपए की कार्यशील पूंंजी स्वीकृत कर दी। मदन ने इससे कारखाने में बड़ी मशीनें लाकर लगा लिए। उसके बाद वे सफलता की ओर बढ़ गए।
कारखाना डालते वक्त पूंजी का अभाव था। लिहाजा, वे बेहतर ढंग से काम नहीं कर पा रहे थे। उसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की जानकारी लेने जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र पहुंचे। वहां से प्रोजेक्ट बनाकर बैंक में जमा किया। टीएफसी की बैठक में बैंक ऑफ बड़ोदा ने प्रोजेक्ट के लिए लोन की स्वीकृति दे दी। उसने 24.७६ लाख रुपए का टर्म लोन व 50 लाख रुपए की कार्यशील पूंंजी स्वीकृत कर दी। मदन ने इससे कारखाने में बड़ी मशीनें लाकर लगा लिए। उसके बाद वे सफलता की ओर बढ़ गए।
नौकरी से अच्छा है खुद का व्यवसाय
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का लाभ लेकर सफल और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे मदन सिंह का कहना है कि युवाओं को नौकरी के पीछे नहीं भागकर उद्यमशील बनना चाहिए। स्वयं का उद्योग स्थापित कर रोजगार के साधन तलाशने चाहिए। इनके द्वारा बनाई गई राइस फ्लोर मशीनों की सप्लाई मप्र के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार, उप्र व नेपाल में भी हो रही है। उनके कारखाने में 15 कर्मचारी काम करते हैं। मांग के अनुसार कारखाना रात-दिन काम कर रहा है।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का लाभ लेकर सफल और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे मदन सिंह का कहना है कि युवाओं को नौकरी के पीछे नहीं भागकर उद्यमशील बनना चाहिए। स्वयं का उद्योग स्थापित कर रोजगार के साधन तलाशने चाहिए। इनके द्वारा बनाई गई राइस फ्लोर मशीनों की सप्लाई मप्र के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार, उप्र व नेपाल में भी हो रही है। उनके कारखाने में 15 कर्मचारी काम करते हैं। मांग के अनुसार कारखाना रात-दिन काम कर रहा है।