इस कमेटी ने वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं सहित इनमें घायलों की संख्या व मृतकों में 50 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य तय किया है। इसके मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने पुलिस अधीक्षक को अक्टूबर माह से दुर्घनाओं में कमी लाने का लक्ष्य तय करते हुए इस माह में 10 फीसदी की कमी लाने कहा गया है।
बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के निर्देश के पालन में अक्टूबर माह में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या, दुर्घटना में मृत्यु की संख्या एवं घायलों की संख्या में 10 फीसदी की कमी लाई जाए। इसके लिए संबंधित नोडल विभागों एवं समाज के विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षण संस्थाओं के साथ समन्वित सहोयोग से प्रयास करने कहा गया है।
थाना स्तर पर तय करें कार्य योजना
थाना क्षेत्रों में दुर्घटनाजन्य स्थानों एवं क्षेत्रों की पहचान कर उसके अनुरूप दुर्घटना में मृत्युदर व दुर्घटना में कमी लाने के लिए दीर्घ अवधि एवं अल्प अवधि की नीति एवं कार्ययोजना बनाई जाए। इसके साथ ही जिले में हेलमेट, सीट बेल्ट, मादक पदार्थ का सेवन कर पाए जाने वाले वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
थाना क्षेत्रों में दुर्घटनाजन्य स्थानों एवं क्षेत्रों की पहचान कर उसके अनुरूप दुर्घटना में मृत्युदर व दुर्घटना में कमी लाने के लिए दीर्घ अवधि एवं अल्प अवधि की नीति एवं कार्ययोजना बनाई जाए। इसके साथ ही जिले में हेलमेट, सीट बेल्ट, मादक पदार्थ का सेवन कर पाए जाने वाले वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
रोड इंजीनियरिंग में सुधार के निर्देश
पीएचक्यू ने कहा कि यातायात संबंधी रोड इंजीनियरिंग में सुधार के लिये भी आवश्यक कदम उठाए जाएं। पाया गया है कि रोड निर्माण में खामियां, यातायात संकेतकों का न होना, दुर्घटना संभावित स्थलों में आवश्यक उपाय न होने से दुर्घटनाओं में इजाफा होता है। इन खामियों को भी दूर करने कहा गया है।
पीएचक्यू ने कहा कि यातायात संबंधी रोड इंजीनियरिंग में सुधार के लिये भी आवश्यक कदम उठाए जाएं। पाया गया है कि रोड निर्माण में खामियां, यातायात संकेतकों का न होना, दुर्घटना संभावित स्थलों में आवश्यक उपाय न होने से दुर्घटनाओं में इजाफा होता है। इन खामियों को भी दूर करने कहा गया है।
यह है स्थिति
पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि अक्टूबर 2018 में सतना जिले में 129 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इसमें 28 लोगों की मौत हुई थी। घायलों की संख्या 111 रही। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के निर्देशानुसार अक्टूबर 2019 में 10 फीसदी कमी लाने के लिए जो लक्ष्य तय किए गए हैं उनमें सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाते हुए सड़क हादसे की संख्या 116 तक लाने कहा गया है तो मृतकों की संख्या घटा कर 25 तथा घायलों की संख्या 100 करने का लक्ष्य दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि अक्टूबर 2018 में सतना जिले में 129 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इसमें 28 लोगों की मौत हुई थी। घायलों की संख्या 111 रही। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के निर्देशानुसार अक्टूबर 2019 में 10 फीसदी कमी लाने के लिए जो लक्ष्य तय किए गए हैं उनमें सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाते हुए सड़क हादसे की संख्या 116 तक लाने कहा गया है तो मृतकों की संख्या घटा कर 25 तथा घायलों की संख्या 100 करने का लक्ष्य दिया गया है।
नेशनल हाइवे-सात पर कई तकनीकी त्रुटियां
इधर, मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी को पत्र लिख निर्माणाधीन रीवा-लखनादौन नेशनल हाइवे-7 पर कई तकनीकी त्रुटियां और घटिया निर्माण की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। बताया कि रीवा से जबलपुर के बीच निर्माण की कार्ययोजना तैयार करने में तकनीकी त्रुटियां की गई हैं। इससे मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाएं घट रही हैं। निर्माण एजेंसी घटिया निर्माण कर ड्रीम प्रोजेक्ट को बर्बाद कर रही है। उन्होंने जांच के लिए कई बिंदु भी गिनाए हैं। बताया कि मार्ग की सरफेस इवेनेस का परीक्षण बम्प इंटीग्रेटर से कराया जाए। मार्ग के निर्माण के दौरान सीसी ज्वाइंट्स में स्फाइलिंग ऑफ ज्वाइंट्स का परीक्षण तकनीकी रूप से कराया जाए। पुल-पुलियों से सड़कों के बीच ज्वाइंट्स का परीक्षण कराया जाए। निर्माण के दौरान न तो सेफ्टी नियमों का पालन किया जा रहा है और न ही डायवर्सन का निर्माण तकनीकी रूप से किया जा रहा है। कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
इधर, मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी को पत्र लिख निर्माणाधीन रीवा-लखनादौन नेशनल हाइवे-7 पर कई तकनीकी त्रुटियां और घटिया निर्माण की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। बताया कि रीवा से जबलपुर के बीच निर्माण की कार्ययोजना तैयार करने में तकनीकी त्रुटियां की गई हैं। इससे मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाएं घट रही हैं। निर्माण एजेंसी घटिया निर्माण कर ड्रीम प्रोजेक्ट को बर्बाद कर रही है। उन्होंने जांच के लिए कई बिंदु भी गिनाए हैं। बताया कि मार्ग की सरफेस इवेनेस का परीक्षण बम्प इंटीग्रेटर से कराया जाए। मार्ग के निर्माण के दौरान सीसी ज्वाइंट्स में स्फाइलिंग ऑफ ज्वाइंट्स का परीक्षण तकनीकी रूप से कराया जाए। पुल-पुलियों से सड़कों के बीच ज्वाइंट्स का परीक्षण कराया जाए। निर्माण के दौरान न तो सेफ्टी नियमों का पालन किया जा रहा है और न ही डायवर्सन का निर्माण तकनीकी रूप से किया जा रहा है। कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।