दो हजार रुपए ट्रॉली
स्थानीय स्तर पर जर्रा पहाड़ से निकलने वाली बालू का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। इस कारण चंद लोगों को शामिल करते हुए पूरा अवैध कारोबार चलता है। प्रति ट्रैक्टर 2000 से 2500 की दर से स्थानीय स्तर पर बिक्री की जाती है।
स्थानीय स्तर पर जर्रा पहाड़ से निकलने वाली बालू का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। इस कारण चंद लोगों को शामिल करते हुए पूरा अवैध कारोबार चलता है। प्रति ट्रैक्टर 2000 से 2500 की दर से स्थानीय स्तर पर बिक्री की जाती है।
वन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। बालू का कारोबार केवल बड़े अधिकारियों के निरीक्षण के समय रुकता है। इसके अलावा हमेशा बेधड़क चलता रहता है। इसके लिए अवैध कारोबारी हर माह मोटी रकम अधिकारियों को पहुंचाते हैं। जिसका असर रहता है कि कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
इस मामले में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। बालू का कारोबार केवल बड़े अधिकारियों के निरीक्षण के समय रुकता है। इसके अलावा हमेशा बेधड़क चलता रहता है। इसके लिए अवैध कारोबारी हर माह मोटी रकम अधिकारियों को पहुंचाते हैं। जिसका असर रहता है कि कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
सखौहा क्षेत्र में कार्रवाई
गत दिनों विभाग की उडऩदस्ता टीम ने परसमनिया के सखौहा क्षेत्र में दबिश दी। जहां पत्थर पटिया का खनन करते हुए आधा दर्जन लोगों को पकड़े जाने की सूचना है। विभाग पूरे मामले को गुपचुप रखना चाहता है। लिहाजा अधिकारी बताने से भी बच रहे हैं। लेकिन, यहां भी खेल हुआ है, उडऩदस्ता टीम ने केवल मजदूरों को पकड़ा है। खदान चालने वालों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं भुरभुरा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन होता है। लेकिन, वन विभाग की टीम उधर झांकने तक नहीं गई।
गत दिनों विभाग की उडऩदस्ता टीम ने परसमनिया के सखौहा क्षेत्र में दबिश दी। जहां पत्थर पटिया का खनन करते हुए आधा दर्जन लोगों को पकड़े जाने की सूचना है। विभाग पूरे मामले को गुपचुप रखना चाहता है। लिहाजा अधिकारी बताने से भी बच रहे हैं। लेकिन, यहां भी खेल हुआ है, उडऩदस्ता टीम ने केवल मजदूरों को पकड़ा है। खदान चालने वालों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं भुरभुरा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन होता है। लेकिन, वन विभाग की टीम उधर झांकने तक नहीं गई।