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आश्चर्य : यहां नदी नहीं पहाड़ से निकलती है रेत, जानिए कैसे

locationसतनाPublished: Mar 16, 2019 07:03:21 pm

Submitted by:

Balmukund Dwivedi

पटिया व बालू के अवैध खनन के लिए भी बदनाम परसमनिया, वन क्षेत्र में जर्रा पहाड़ पर दिनरात होता खनन

Surprise: the sand rises from the mountain

Surprise: the sand rises from the mountain

सतना. परसमनिया में उलचा-उलची का मामला सामने आने के बाद वन क्षेत्र में अवैध खनन स्पष्ट हो चुका है। पुलिस, संभागीय उडऩदस्ता व रेंज प्रभारी की रिपोर्ट में भी मामला सामने आ गया। लेकिन, परसमनिया क्षेत्र पत्थर बालू के अवैध कारोबार के लिए भी बदनाम हैं। जहां पटिया-पत्थर के अवैध खनन की तरह बालू का अवैध कारोबार चलता है। जर्रा पहाड़ क्षेत्र में धड़ल्ले से ये कारोबार चलता है। हैरान करने वाली बात यह है कि जर्रा पहाड़ पूरी तरह से वन क्षेत्र में आता है, उसके बाद भी बेखौफ कारोबारी अवैध कार्य को अंजाम दे रहे हैं। दरअसल, जर्रा पहाड़ से कोई नदी नहीं निकली है, जिससे बालू निकाला जाता हो। बल्कि पहाड़ का पत्थर भुरभुरा है, जिसे तोडऩे से वो बालू जैसे बनता है। स्थानीय क्षेत्र में इसका उपयोग बालू के रूप में किया जाता है। ये जानकार हैरानी होगी कि पीएम आवास जैसी योजना तक में इस बालू का उपयोग हो रहा है।
दो हजार रुपए ट्रॉली
स्थानीय स्तर पर जर्रा पहाड़ से निकलने वाली बालू का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। इस कारण चंद लोगों को शामिल करते हुए पूरा अवैध कारोबार चलता है। प्रति ट्रैक्टर 2000 से 2500 की दर से स्थानीय स्तर पर बिक्री की जाती है।
वन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। बालू का कारोबार केवल बड़े अधिकारियों के निरीक्षण के समय रुकता है। इसके अलावा हमेशा बेधड़क चलता रहता है। इसके लिए अवैध कारोबारी हर माह मोटी रकम अधिकारियों को पहुंचाते हैं। जिसका असर रहता है कि कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
सखौहा क्षेत्र में कार्रवाई
गत दिनों विभाग की उडऩदस्ता टीम ने परसमनिया के सखौहा क्षेत्र में दबिश दी। जहां पत्थर पटिया का खनन करते हुए आधा दर्जन लोगों को पकड़े जाने की सूचना है। विभाग पूरे मामले को गुपचुप रखना चाहता है। लिहाजा अधिकारी बताने से भी बच रहे हैं। लेकिन, यहां भी खेल हुआ है, उडऩदस्ता टीम ने केवल मजदूरों को पकड़ा है। खदान चालने वालों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं भुरभुरा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन होता है। लेकिन, वन विभाग की टीम उधर झांकने तक नहीं गई।

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