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ऐसे चढ़ाएं सूर्य को जल और बोलें 2 में से सिर्फ 1 मंत्र, फिर पढ़ें कैसे बदल जाता है दुर्भाग्य

locationसतनाPublished: Jun 11, 2019 06:06:20 pm

Submitted by:

suresh mishra

रोजाना अलसुबह नित्यकिृया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान करें। फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करें।

surya ko jal dete samay ka mantra surya ko jal dene ka labh

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सतना। हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष में भगवान सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। इसी कारण सूर्य की पूजा से कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो सकते हैं। वहीं जातक का आने वाला कल शुभदायी हो जाता है। भगवान सूर्य को मनाने का सबसे सरल और कारगर उपाय है कि रोजाना अलसुबह नित्यकिृया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान करें। फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करें। जो लोग ये छोटा सा कार्य हर रोज करते हैं, वे घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। सूर्य की कृपा से घर में खुशहाली आती है। अधूर कार्य जल्द पूर्ण होते है। यहां मैहर के ज्योतिर्विद पं. मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार सूर्य को जल चढ़ाने की विधि और सूर्य के सरल मंत्र बताए गए है। जिसके माध्यम से आप सूर्य भगवान को प्रसन्न कर सकते है।
इस तरह करें दिन की शुरुआत
– सबसे पहले अलसुबह सूर्योदय में उठें। फिर स्नान करें।
– नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल भी डालें। और साफ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद सूर्यदेव के सामने आसन बिछाएं।
– आसन पर खड़े होकर तांबे के बर्तन में पवित्र जल भरें।
– उस जल में थोड़ी सी मिश्री भी मिलाएं। मान्यता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के मंगल दोष दूर होते हैं।
– जब सूर्य से नारंगी किरणें निकली रही हों यानी सूर्योदय के समय दोनों हाथों से तांबे के लोटे से जल ऐसे चढ़ाएं कि सूर्य जल की धारा में दिखाई दे।
– जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र भी बोलना चाहिए।

1. सूर्य अघ्र्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर:।।
? सूर्याय नम:, ? आदित्याय नम:, ? नमो भास्कराय नम:।
अघ्र्य समर्पयामि।।

2. सूर्य ध्यान मंत्र
ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।।
केयूरवान्मकर कुंडलवान किरीटी।
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम।
तमोहरि सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम।।
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। इसी कारण सूर्य की पूजा से कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो सकते हैं। भोर में नित्यकिृया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान करें फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य चढ़ाएं। रोजाना इस विधि से पूजा करने के बाद कुंडली से सभी ग्रह दशाएं दूर हो जाती हैं।
पं मोहनलाल द्विवेदी, ज्योतिर्विद मैहर
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