अब रीवा क्लस्टर का साथ: हाल ही में रीवा क्लस्टर का साथ निगम को मिला है। अब वहां कचरे से बिजली बन सकेगी। इसके लिए क्लस्टर टीम ने 90 डस्टबिन, 20 ऑटो ट्रिपर और 3 काम्पेक्टर शहर में लगा रखे हैं। ताकि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन कर तय स्थान पर कचरे को ले जाया जा सके।
डस्टबिन, होर्डिंग और पेटिंग पर खर्च
डस्टबिन, होर्डिंग और पेटिंग पर खर्च
गत कई वर्ष में सैकड़ों डस्टबिन, होर्डिंग व वॉल पेंटिंग, वाहन डीजल सहित मस्टर कर्मियों के वेतन सहित प्रतियोगिताओं के नाम पर 50 लाख से ज्यादा का बजट निगम प्रशासन द्वारा वहन किया गया। ताकि शहर में जनजागरुकता फैलाने के साथ सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके। पर यह मंशा आशा के अनुरूप कामयाब नहीं हो पाई।
ऐसी है हकीकत
25 ऑटो ट्रिपर व दो काम्पेक्टर पुराने
20 ऑटो ट्रिपर व तीन काम्पेक्टर क्लस्टर के
452 मस्टर सफाईकर्मी
221 परमानेंट सफाईकर्मी
०2 मोबाइल टॉयलेट
200 नग डस्टबिन, हाथ रिक्शा ये उपकरण खरीदे
बताया गया, समस्त 45 वार्डों से कचरा उठाने के लिए निगम द्वारा दो खेप में ऑटो ट्रिपर की खरीदी की गई। पहली खेप में 58 लाख की लागत से 10 ऑटो ट्रिपर, दूसरी खेप में 15 नग ऑटो ट्रिपर 80 लाख की लागत से खरीदे गए। 50 लाख के फंड से 2 काम्पेक्टर भी निगम के हाथ आए। जबकि 2 नग मोबाइल टॉयलेट की खरीदी भी लगभग 25 लाख रुपए में की गई। निगम प्रशासन द्वारा दूसरी खेप में खरीदे गए 15 ऑटो ट्रिपर अमानक साबित हुए थे।
25 ऑटो ट्रिपर व दो काम्पेक्टर पुराने
20 ऑटो ट्रिपर व तीन काम्पेक्टर क्लस्टर के
452 मस्टर सफाईकर्मी
221 परमानेंट सफाईकर्मी
०2 मोबाइल टॉयलेट
200 नग डस्टबिन, हाथ रिक्शा ये उपकरण खरीदे
बताया गया, समस्त 45 वार्डों से कचरा उठाने के लिए निगम द्वारा दो खेप में ऑटो ट्रिपर की खरीदी की गई। पहली खेप में 58 लाख की लागत से 10 ऑटो ट्रिपर, दूसरी खेप में 15 नग ऑटो ट्रिपर 80 लाख की लागत से खरीदे गए। 50 लाख के फंड से 2 काम्पेक्टर भी निगम के हाथ आए। जबकि 2 नग मोबाइल टॉयलेट की खरीदी भी लगभग 25 लाख रुपए में की गई। निगम प्रशासन द्वारा दूसरी खेप में खरीदे गए 15 ऑटो ट्रिपर अमानक साबित हुए थे।
कचरा निस्तारण प्लांट हो गया बंद
नगर के अंदर से निकलने वाले कचरे को ठिकाने लगाने के लिए निगम प्रशासन ने 2013 में लगभग ढाई करोड़ की लागत से बायोवेस्ट मैनेजमेंट कचरा रिसाइकिलिंग प्लांट लगवाया था। यहां कचरे का निस्तारण कर खाद बनाई जाती थी। अब यह प्लांट भी बंद कर दिया गया है। सैकड़ों टन खाद भी डंप है। इस हैवी मशीन का निगम क्या करेगा? इस पर फिलहाल शहर सरकार नहीं निर्णय नहीं ले सकी है। यदि जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो मशीनें खराब होने की आशंका है।
नगर के अंदर से निकलने वाले कचरे को ठिकाने लगाने के लिए निगम प्रशासन ने 2013 में लगभग ढाई करोड़ की लागत से बायोवेस्ट मैनेजमेंट कचरा रिसाइकिलिंग प्लांट लगवाया था। यहां कचरे का निस्तारण कर खाद बनाई जाती थी। अब यह प्लांट भी बंद कर दिया गया है। सैकड़ों टन खाद भी डंप है। इस हैवी मशीन का निगम क्या करेगा? इस पर फिलहाल शहर सरकार नहीं निर्णय नहीं ले सकी है। यदि जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो मशीनें खराब होने की आशंका है।
इस माह के अंत में आएगी टीम: स्वच्छता के मामले पर आखिर सतना कितने पानी में है? इसका आकलन करने के लिए केंद्र की 3 सदस्यीय टीम को 25 जनवरी के आसपास निरीक्षण करने आना था। हालांकि टीम अब तक नहीं आ सकी है। निगम कर्मचारियों की मानें तो इस माह के अंत तक ही आने की संभावना जताई जा रही है।