मांसपेश और हड्डियां मजबूत होती है
जिम ट्रेनर जॉन सत्याबाबू का कहना है कि तीस की उम्र के बाद मांसपेशियों का क्षरण शुरू हो जाना आम बात है। इसे रोकने में टारगेट मसल्स बिल्डिंग बहुत कारगर है । यही नहीं इससे हड्डियां भी स्वस्थ रहती हैं और बोन डेंसिटी बेहतर बनती है। भविष्य में गठिया जैसी बीमारी की आशंका कम हो जाती है।
जिम ट्रेनर जॉन सत्याबाबू का कहना है कि तीस की उम्र के बाद मांसपेशियों का क्षरण शुरू हो जाना आम बात है। इसे रोकने में टारगेट मसल्स बिल्डिंग बहुत कारगर है । यही नहीं इससे हड्डियां भी स्वस्थ रहती हैं और बोन डेंसिटी बेहतर बनती है। भविष्य में गठिया जैसी बीमारी की आशंका कम हो जाती है।
चर्बी कम होती है एक्सपर्ट का कहना है कि डाइटिंग करने से शरीर के किसी हिस्से की चर्बी घट जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती। वहीं टारगेटेड मसल बिल्डिंग में आप तय कर सकते हैं कि शरीर के किस हिस्से की चर्बी कम करनी है। फि र उस हिस्से को टारगेट करते हुए वर्कआउट करें। इससे न केवल वहां की चर्बी घटेगी बल्कि मांसपेशियां भी बेहतर बनेगी।
मिलती है एनर्जी मूड भी रहता है फ्रेश टारगेटेड मसल बिल्डिंग से एडॉर्र्फिंस का स्राव होता है। यह शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ा देते हैं। जैसे जैसे युवा वर्क आउट की तीव्रता को बढ़ाते हैं। वैसे- वैसे एडॉर्र्फिंस की मात्रा भी बढ़ती जाती है। एडॉर्र्फिंस का एक और लाभ यह होता है कि हमारे बिगडे़ मूड को यह बेहतर कर देती हैं।
मेटाबॉलिज्म में होगा सुधार टारगेटेड मसल बिल्डिंग से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है इससे खाना पचाना आसान हो जाता है और अधिक मात्रा में चर्बी घटती है । इसके अलावा अधिकांश लोग गलत पोश्चर की आदत का शिकार हो चुके हैं। लंबे समय तक गलत पोश्चर अपनाने के कारण शरीर के किसी खास भाग पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है जिसका नतीजा होता है किसी जोड़ या मांसपेशी में लगातार रहने वाला दर्द। इसके चलते शरीर का संतुलन बनाने में भी परेशानी आती है। टारगेटेड मसल बिल्डिंग से मांसपेशी मजबूत होती है। इसलिए शरीर का संतुलन आसानी से बनाए रखा जा सकता है। यह एक्सरसाइज शरीर की चुस्ती फु र्ती बनाए रखने में भी मददगार होती है।