जानकारी में यह सामने आया है कि बलराम सिंह और रज्जन तिवारी नेटवर्क अपने टेरर फंङ्क्षडग के कारोबार में सरकारी सिस्टम से जुड़े अमले को भी शामिल करता है। इनके सहारे ग्रामीणों के दस्तावेज हासिल कर ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों में खाते खुलवाए जाते हैं और इन खातों से टेरर फंडिंग का कारोबार संचालित किया जाता है। इसके अलावा जिन युवकों के खाते मिलीभगत में उपयोग में किए जाते हैं उन्हें अच्छा कमीशन भी दिया जाता है। जिस तरीके से पूर्र्र्वंं में सतना में बलराम नेटवर्क का खुलासा हुआ था उसमें बजरंग दल के पदाधिकारी आशीष राठौर का नाम सामने आया था। इस नेटवर्क में भाजपा के कुछ अन्य लोगों का नाम राजधानी में सामने आया था।
सोहावल चौकी में हुई पूछताछ
बताया गया है कि आंतकी नेटवर्क से जुड़े टेरर फंडिंग नेटवर्क के इन पांच युवकों को सोहावल चौकी में ले जाकर गहन पूछताछ की गई है। यह पूछताछ आईजी और डीआईजी की मौजूदगी में हुई है। इसके बाद इन्हें किसी गोपनीय स्थान में ले जाया गया है।
बताया गया है कि आंतकी नेटवर्क से जुड़े टेरर फंडिंग नेटवर्क के इन पांच युवकों को सोहावल चौकी में ले जाकर गहन पूछताछ की गई है। यह पूछताछ आईजी और डीआईजी की मौजूदगी में हुई है। इसके बाद इन्हें किसी गोपनीय स्थान में ले जाया गया है।
बलराम का नेटवर्क शामिल
बुधवार को जिन पांच युवकों को उठाया गया है जानकारी के अनुसार पकड़े गए युवकों में अधिकतर बलराम नेटवर्क से ही हैं। माना जा रहा है कि इनमें बलराम भी शामिल हो सकता है। इसके अलावा रामनगर के भी कुछ युवकों को उठाए जाने की खबर है। एक युवक पोंडी का बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है और कुछ भी बोलने से बचती नजर आ रही है।
बुधवार को जिन पांच युवकों को उठाया गया है जानकारी के अनुसार पकड़े गए युवकों में अधिकतर बलराम नेटवर्क से ही हैं। माना जा रहा है कि इनमें बलराम भी शामिल हो सकता है। इसके अलावा रामनगर के भी कुछ युवकों को उठाए जाने की खबर है। एक युवक पोंडी का बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है और कुछ भी बोलने से बचती नजर आ रही है।
… तो क्या फिर सिर उठा लिया बलराम नेटवर्क
जिस तरीके से सतना पुलिस को सफलता मिली है और आतंकियों के मददगार के रूप में पांच लोग उठाए गए हैं माना जा रहा कि बलराम नेटवर्क एक बार फिर सिर उठा चुका है। खुफिया सूत्रों की मानें तो रामनगर में अभी भी टेरर फंडिंग का बड़ा नेटवर्क है और कई युवा इस कारोबार में गहरे तक घुसे हैं।
जिस तरीके से सतना पुलिस को सफलता मिली है और आतंकियों के मददगार के रूप में पांच लोग उठाए गए हैं माना जा रहा कि बलराम नेटवर्क एक बार फिर सिर उठा चुका है। खुफिया सूत्रों की मानें तो रामनगर में अभी भी टेरर फंडिंग का बड़ा नेटवर्क है और कई युवा इस कारोबार में गहरे तक घुसे हैं।
विक्रम भी था संदेही
टेरर फंडिंग के मामले में बलराम का भाई विक्रम भी संदेही माना गया था। कहा जा रहा था कि बलराम नेटवर्क के रीवा लिंक को वो हैंडल करता था। क्योंकि बसामन मामा और सेमरिया में उसका काफी आना जाना हुआ करता था। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने विक्रम को अपने राडार से बाहर कर दिया था लेकिन इसके बाद रीवा में भी साइबर निगरानी बढ़ाई गई थी जिसके बाद सौरभ और उसके साथी पकड़ में आए थे।
टेरर फंडिंग के मामले में बलराम का भाई विक्रम भी संदेही माना गया था। कहा जा रहा था कि बलराम नेटवर्क के रीवा लिंक को वो हैंडल करता था। क्योंकि बसामन मामा और सेमरिया में उसका काफी आना जाना हुआ करता था। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने विक्रम को अपने राडार से बाहर कर दिया था लेकिन इसके बाद रीवा में भी साइबर निगरानी बढ़ाई गई थी जिसके बाद सौरभ और उसके साथी पकड़ में आए थे।
केपी का नाम काफी चर्चा में रहा
बलराम नेटवर्क के खुलासे के बाद सतना के एक और युवक केपी का नाम इस मामले में काफी चर्चा में आया था और उसके पास से बड़े पैमाने पर बैंक से जुड़े ऐसे कागजात पाए गए थे जो बैंक के अलावा कहीं और नहीं होने चाहिए। हालांकि उस दौरान सतना पुलिस ने उसे उठाया भी था और तत्कालीन सीएसपी सीताराम यादव के साथ उसकी फोटो काफी चर्चा में भी आई थी। हालांकि इस दौरान सतना पुलिस इसके टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े होने की जांच की बात कही थी लेकिन बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
बलराम नेटवर्क के खुलासे के बाद सतना के एक और युवक केपी का नाम इस मामले में काफी चर्चा में आया था और उसके पास से बड़े पैमाने पर बैंक से जुड़े ऐसे कागजात पाए गए थे जो बैंक के अलावा कहीं और नहीं होने चाहिए। हालांकि उस दौरान सतना पुलिस ने उसे उठाया भी था और तत्कालीन सीएसपी सीताराम यादव के साथ उसकी फोटो काफी चर्चा में भी आई थी। हालांकि इस दौरान सतना पुलिस इसके टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े होने की जांच की बात कही थी लेकिन बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
रामनगर, रामपुर हैं संदिग्ध स्थल
उल्लेखनीय है कि जब बलराम नेटवर्क का खुलासा हुआ था तब यह जानकारी सामने आई थी कि रामनगर और रामपुर बाघेलान में टेरर फंडिंग नेटवर्क से कई युवक जुड़े हुए हैं। ये व्यापक पैमाने पर दूसरों के सिम और खातों के सहारे लाटरी और एटीएम फ्राड करके राशि जुटाते और आतंकी आकाओं के बताए खाता नंबरों पर भेज देते। इनका स्थानीय हैण्डलर और टेरर फंडिंग का मास्टर माइंड रज्जन तिवारी था जो पहले भी यूपी एटीएस की गिरफ्त में आ चुका था। पिछले महीने सीधी के सौरभ शुक्ला को यूपी एटीएस ने प्रयागराज से गिरफ्तार किया था। उसकी तलाश एटीएस को करीब एक साल से थी। उस पर इनाम भी घोषित किया गया था। सौरभ सीधी के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक का बेटा है।
उल्लेखनीय है कि जब बलराम नेटवर्क का खुलासा हुआ था तब यह जानकारी सामने आई थी कि रामनगर और रामपुर बाघेलान में टेरर फंडिंग नेटवर्क से कई युवक जुड़े हुए हैं। ये व्यापक पैमाने पर दूसरों के सिम और खातों के सहारे लाटरी और एटीएम फ्राड करके राशि जुटाते और आतंकी आकाओं के बताए खाता नंबरों पर भेज देते। इनका स्थानीय हैण्डलर और टेरर फंडिंग का मास्टर माइंड रज्जन तिवारी था जो पहले भी यूपी एटीएस की गिरफ्त में आ चुका था। पिछले महीने सीधी के सौरभ शुक्ला को यूपी एटीएस ने प्रयागराज से गिरफ्तार किया था। उसकी तलाश एटीएस को करीब एक साल से थी। उस पर इनाम भी घोषित किया गया था। सौरभ सीधी के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक का बेटा है।