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टेरर फंडिंग का गढ़ बनता जा रहा विंध्य, पाकिस्तानी कॉल को भारतीय नंबर में बदलकर की जाती थी धोखाधड़ी

locationसतनाPublished: Jul 29, 2019 04:03:34 pm

Submitted by:

suresh mishra

अब खुफिया एजेंसियों के राडार पर विंध्य

terror funding kaise ki jati hai sidhi saurabh shukla ats arrest in up

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सतना। टेरर फंडिंग के लिए विगत कई सालों से विंध्य पाकिस्तानी हैंडलरों के लिए काफी मुफीद साबित हो रहा है। यहां आसानी से इस कारोबार से जुडऩे के लिए एजेंट लालच में फंस जाते हैं। जम्मू कश्मीर में सेना की खुफिया जानकारी लीक होने का मामला पकड़ में आने के बाद जिस तरीके से टेरर फंडिंग में सतना निवासी बलराम का नाम सामने आया था, उसके बाद से विंध्य खुफिया एजेंसियों के राडार पर आ चुका है। सतना जिले के रामनगर और रामपुर बाघेलान इस मामले में संवेदनशील भी माने गए हैं। यहां के कई युवा इस तरह के कारोबार में संदिग्ध भी माने जाते रहे हैं। हालांकि अभी तक यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि इनकी टेरर फंडिंग में कितनी संलिप्तता है।
सौरभ और रज्जन एक ही नेटवर्क के तो नहीं
जिस तरीके से सौरभ को टेरर फंडिंग में पकड़ा गया है, वही तरीका सतना जिले में टेरर फंडिंग का मास्टर माइंड रज्जन तिवारी का राइट हैंड बलराम अपनाता था। हालांकि इनके तार छत्तीसगढ़ तक जुड़े हुए थे। बिलासपुर में इनके अन्य साथियों की गिरफ्तारी हुई थी। पाकिस्तानियों की मदद में शामिल बलराम के मामले को अगर देखा जाए तो एक पूरी लिंक बनती है, जिसमें सौरभ भी जुड़ता हुआ नजर आता है। हालांकि अभी इस पर स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन तार एक साथ जुड़ते नजर आ रहे हैं।
सतना का रीवा कनेक्शन
खुफिया एजेंसियों की निशानदेही पर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिस तरीके से गिरफ्तारी की है, उनकी मानें तो ये सभी एक चेन से जुड़े हैं जो आतंकी गतिविधियों के लिए फंड इकट्ठा करते हैं। बलराम का नेटवर्क उसके भाई के जरिए सेमरिया तक संचालित था। वहीं गत वर्ष रीवा से टेरर फंडिंग में पकड़ा गया उमा प्रताप सिंह भी सेमरिया थाने के बीड़ा गांव का निवासी था। यूपी एसटीएफ इसे तो गिरफ्तार करने में सफल हो गई थी लेकिन साथी सौरभ शुक्ला को भनक लग गई थी और वह भागने में सफल हो गया था। इस दौरान सौरभ रीवा स्थित बाइपास के किनारे किराए का कमरा लेकर रहता था। सेमरिया नेटवर्क को भी सतना नेटवर्क का एक हिस्सा माना जा रहा। चोरहटा थाने में अपराध क्रमांक 244/18 में भी उमा प्रताप सिंह व उसके दोस्त दीपक सिंह निवासी बीड़ा के खिलाफ टेरर फंडिंग का मामला दर्ज हुआ था।
विक्रम का था सेमरिया संपर्क
जानकारों की मानें तो बलराम का छोटा भाई विक्रम सिंह भी बलराम के टेरर फंडिंग कारोबार का राजदार था। वह बसामन मामा सहित सेमरिया में अपने लिंक से लोगों को जोडऩे का काम करता था। यह पुष्टि तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने भी की थी।
रामनगर और रामपुर बाघेलान में हैं संदेही
सूत्रों की मानें तो टेरर फंडिंग से जुड़े कारोबार में कुछ युवा रामनगर और रामपुर बाघेलान क्षेत्र के भी शामिल हैं। इनके द्वारा भोले भाले ग्रामीणों के खाते इस्तेमाल किए जाते हैं और इसके एवज में वे उन्हें कुछ तय राशि महीने की अदा करते हैं।
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