प्रदेश में आम की परंपरागत खेती होने और उसके लिए उपयुक्त बाजार नहीं मिलने से 75 प्रतिशत का उपयोग नहीं हो पा रहा है। एपीडा ने खुद स्वीकार किया है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार में केवल प्रदेश का 25 प्रतिशत आम खप पाता है। अगर प्रसंस्करण इकाइयां लग जाएं तो किसानों को फायदा मिलेगा।
एक आम की कीमत पौने तीन लाख रुपए
1-जबलपुर में संकल्प सिंह परिहार ने दुनिया का सबसे महंगा मियाजकी किस्म का आम उगाया है। दावा है कि एक किलो आम की कीमत 2.70 लाख रुपए तक है। यह जापान मूल की प्रजाति का आम है।
2-आलीराजपुर में कट्ठीवाड़ा का आम नूरजहां भी खास है। अफगानिस्तान मूल की किस्म के इस आम का वजन चार किलो तक होता है। एक आम एक हजार रुपए में बिकता है। लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड में भी इसकी खूबियां दर्ज हैं।
सुंदरजा और तोतापरी की बात ही अलग
विंध्य के सुंदरजा और बैतूल के तोतापरी की मांग दुनियाभर में है। अरब, कुवैत, दुबई सहित मध्य पूर्व एशिया के कई देशों तक इनकी मांग और पहुंच है। सुंदरजा विंध्य के कैमोर वैली में पाया जाता है।
मौसम की मार और रोग का साया
अनुमान के मुताबिक प्रदेश में आम का रकबा 50 हजार हेक्टेयर से अधिक है। उत्पादकता अच्छी होने से उत्पादन साढ़े सात लाख टन पहुंच गया है। इस साल गर्मी और रोग का भी असर हुआ है।
दुर्लभ किस्मों को मिला ठिकाना
प्रदेश की धरती में देश और दुनिया की दुर्लभ किस्म के आमों को भी ठिकाना मिला है। इनमें नूरजहां, मियाजकी, अफगानिस्तान की खास प्रजाति अम्रपुरी भी शामिल है। धार जिले के आम उत्पादक किसान जगदीश और रामेश्वर अगलेचा बंधुओं ने इसे अपना जुनून बना लिया है। वे विराट आम नेपाल, हिमसागर, मालदा आम हिमाचल प्रदेश, फजली आम प्रयागराज, लंगड़ा व दशहरी, रामकली लखनऊ, सम्राट परी आम गुजरात, अमृता मल्लिका आम पंचवटी, बांबे ग्रीन कोकिला, हल्दीघाटी, काला पहाड़, आम्रपाली, सिंदूर, पराग, मलगोवा, रत्नागिरी, सिरौली, चारोली, खट्टा गोला और भी अन्य किस्मों के आम का उत्पादन कर रहे हैं।
इनसे है शान
मध्यप्रदेश की जलवायु फलों के लिए अनुकूल है। अल्फांसो को लेकर भले महाराष्ट्र या दक्षिण भारत के राज्यों की चर्चा होती हो पर मध्यप्रदेश भी पीछे नहीं है। अच्छे स्वाद और मिठास वाले अल्फांसो यहां भी तैयार हो रहे हैं। इसके साथ ही सुंदरजा, बांबे ग्रीन, उत्तरप्रदेश के मूल वाली लंगड़ा, दशहरी, चौंसा, मल्लिका, फजली, आम्रपाली जैसी प्रजातियां भी अच्छा उत्पादन दे रही हैं।