फेयरवेल की तैयारी
पहली बार कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स जितने अधिक कॉलेज जाने के लिए उत्साहित हैं उससे कहीं अधिक फेयरवेल पार्टी के लिए क्रेजी हैं। उनका मानना है कि हर स्टूडेंट्स के लिए कॉलेज की पहली फेयरवेल पार्टी बेहद मायने रखती है। क्योंकि, इसमें आप खुद को इंड्रोड्यूस करते हैं। पहली बार कॉलेज जाने वाली श्रुति सेन कहती हैं कि फेयरवेल पार्टी में सीनियर्स से अच्छे रिलेशन बनते हैं। कॉलेज के माहौल को भी समझने को मिलता है। सबसे बड़ी बात आपको इंप्रेशन जमाने का मौका मिलता है।
पहली बार कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स जितने अधिक कॉलेज जाने के लिए उत्साहित हैं उससे कहीं अधिक फेयरवेल पार्टी के लिए क्रेजी हैं। उनका मानना है कि हर स्टूडेंट्स के लिए कॉलेज की पहली फेयरवेल पार्टी बेहद मायने रखती है। क्योंकि, इसमें आप खुद को इंड्रोड्यूस करते हैं। पहली बार कॉलेज जाने वाली श्रुति सेन कहती हैं कि फेयरवेल पार्टी में सीनियर्स से अच्छे रिलेशन बनते हैं। कॉलेज के माहौल को भी समझने को मिलता है। सबसे बड़ी बात आपको इंप्रेशन जमाने का मौका मिलता है।
नो रोक-टोक, ओनली फ्रीडम पहली बार कॉलेज जाने वाले शिवम तिवारी कहते हैं कि स्कूल में स्टूडेंट्स हर वक्त बंधे रहते हैं। क्लास, लंच टाइम और फिर क्लास तक सिमट जाते हैं। कॉलेज में एेसा नहीं। कॉलेज में तो आजादी होती है। अपने सब्जेक्ट की क्लास अटेंड करों, फ्री होने पर दोस्तों के साथ गॉशिप और मस्ती करने को मिलता है। कॉलेज में तो ड्रेसकोड की भी अनिवार्यता नहीं होती। यानी अब हम कभी-कभी सिविल यूनिफॉर्म पहन कर भी जा सक ते हैं। कॉलेज परिसर में बैठकर ग्रुप डिस्कशन और स्टडी भी करने को मिलता है। अब एेसा लगता है कि हम बड़े और समझदार भी हो गए हैं।