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अंधेरा होते ही थाने में दुबक जाती है एमपी के इस शहर की पुलिस,जाने क्यों

locationसतनाPublished: Jul 17, 2019 12:35:43 am

Submitted by:

Sukhendra Mishra

18 घंटे ड्यूटी करने का दंभ भरने वाली पुलिस की जमीनी हकीकत

अंधेरा होते ही थाने में दुबक जाती है एमपी के इस शहर की पुलिस

अंधेरा होते ही थाने में दुबक जाती है एमपी के इस शहर की पुलिस

सतना. हर दिन 18 घंटे काम करने का दंभ भरने वाली सतना पुलिस के जन सेवा की हकीकत यह है कि दिनभर गली चौराहे में खुली कबाड़ दुकान, शराब दुकान, ढ़ाबा तथा चौराहों में चेकिंग लगाकर आम जनता से वसूली करने वाली पुलिस शाम होते ही थानों तक सिमट जाती है। रात में पुलिस की सुस्त चाल का फायदा अपराधी एवं चोर उचक्के उठा रहे हैं। दिन ढडने के बाद पुलिस या तो नीद में होती है या थानें में बैठ शहर में अपराह होने का इंतजार कर रही होती है। इसकी पोल पत्रिका टीम द्वारा की गई नाइट वाच में हुआ है। पत्रिका रिपोर्टर तीन रात शहर की गली-गली चौराहे चौराहे घुमा लेकिन शहर के किसी भी प्वांइट पर पुलिस सक्रिय नजर नहीं आई। रात गस्त को लेकर पुलिस प्रशासन की इस लापरवाही का परिणाम यह है कि अंधेरा होते ही शहर में अपराधी सक्रिय हो जाते है और पुलिस की सुस्त चाल का फायदा उठाते हुए अपराधों को अंजाम देते हैं।
निजी गार्डो के भरोसे बाजार

सोमवार की रात 10 बजे शहर की सुरक्षा का जायजा लेने सेमरिया चौराहे से कवाड़ी टोला होते हुए बाजार क्षेत्र का रुख किया। सेमरिया चौक में तीसरे दिन भी रात में पुलिस की कोई हलचल नहीं दिखी। कृष्ण नगर रोड़ होते हुए आगे बढ़े तो बाजार की इक्का दुक्का दुकाने खुली थी। सड़कों में वाहनों की रेलम पेल चल रही थी। जगत देव तालाब रोड़ होते हुए हनुमान चोक पहुंचे तो यहां सराफा बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ था। कहीं अंधेरा तो कहीं स्ट्रीट लाइन की दूधिया रोशनी से सड़के जगमग थी। सड़क किराने कई जगह अंधेरे में युवाओं का जमघट था। बाजार क्षेत्र की इन गलियों से निकलना महिलाओं के लिए दहशत भरा हो सकता था। बाजार क्षेत्र में न तो कहीं पुलिस नजर आई और न पुलिस वाहन। कुछ दुकानों के बाहर निजी सुरक्षा गार्ड तैनात दिखे। रात में बाजार की सुरक्षा की जिम्मेदारी डंडा छाप निजी गार्डो के कंधे पर ही होती है।
यहां घटना होने पर ही रात में दिखती है पुलिस
पन्नी लाल चौक में दुकान बंद कर रहे एक व्यापारी से जब रात में सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ली गई तो उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा। पूरा बाजार क्षेत्र भगवान भरोसे हैं। कुछ लोगों ने दुकान की सुरक्षा के लिए निजी चौकीदार तैनात किए हैं। बजार क्षेत्र में रात में पुलिस तभी दिखाई देती है जब कोई घटना हो जाती है। गस्त के नाम पर पुलिस के जवाब चौराहे पर कभी नहीं दिखे।
पुलिस चौराहा भी अनाथ
रात 11 बजे गौशाला चौक, डालीबाबा क्षेत्र की गजियों का जायजा लेते हुए सिटी कोतवाली चौक पहुचे। उम्मीद की की कोतवाली थाने के नाक के नीचे स्थित इस चौराहे पर पुलिस की मूवमेंट जरूर होगी। लेकिन यहां पर भी निराशा ही हाथ लगी। थाने के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था। थाने का एक गेट बंद तथा एक खुला था। झाक कर अंदर देखा तो थाना परिसर में पुलिस वाहनों के सिवाय कुछ भी नहीं था थाने के अंदर एक दो पुलिस कर्मी कुर्सी पर बैठे नजर आए।
एक बाइक चार सवारी
रात 11.30 बजे धवारी स्टेडियम की परिक्रमा लगाते हुए स्थितियों का जायजा लिया। थोड़ी बहुत हलचल के बीच शहर लगभग शो चुका था। सड़कों में एक्का दुक्का वाहन चल रहे थे। कालोनियों का भ्रमण कर धवारी चौराहे के एक कोने में खड़े हो गए। इस दौरान 15 मिनट में चौराहे से 8 बाइके गुजरी इनमें से किसी में तीन तो किसी में चार युवा सवार नजर आए। एक बाइक मे सवार तीन युवा धवरी स्टेडियम की परिक्रमा लगाकर शोर मचाते हुए सिविल लाइन की ओर निकल गए। वह कौन है देर रात सड़क में क्या कर रहे है। इसकी निगरानी के लिए कलेक्ट्रेट जैसे प्रमुख चौराहे पर भी पुलिस की कोई मूवमेट नहीं दिखी।

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