दो कहानियों को जोड़ती सपनों की आशा मां नाटक के बाद लेखक विजयदान देथा की कहानी पर आधारति नाटक सपनों की आशा का मंचन हुआ। इसका निर्देशन मेघना पंचाल द्वारा किया गया। नाटक दो कहानियों सपना और आशा अमरधन पर आधारित रहा। करीब आधे घंटे के इस नाटक में सपना की कहानी ऐसे गरीब शख्स के इर्द-गिर्द घूमती है जो राजकुमारी से विवाह करने का सपना देखने के साथ उसे पूरा करने की कोशिश भी करता है। सपना साकार होने के बाद उसे लगता है कि वह फिर से तंग हाल और बंजारों जैसी जिंदगी जीने को अभिशप्त होगा। इसी संशय के साथ नाटक खत्म हो जाता है।