स्थानीय लोग और साधु-संतों की मानें तो भरत घाट में एक बड़े नाले का गंदा पानी मंदाकिनी गंगा को अपवित्र कर रहा है। इस नाले में कई होटल और घरों का सीवर मिलता है। इसी पानी का उपयोग स्नान और आचमन में किया जाता है। इसकी जानकारी वहां के स्थानीय जिम्मेदारों को है। लेकिन, कोई कुछ बोलता नहीं है।
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चार साल पहले संतों ने खोला था मोर्चा
मंदाकिनी गंगा को अविरल और प्रदूषण मुक्त करने के लिए चित्रकूटधाम के मठ मंदिरों से निकल कर संत-महात्माओं ने चार साल पहले भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। तब सड़क पर बैठे संतों को मनाने के लिए मुख्यमंत्री खुद चित्रकूट पहुंचे थे। उन्होंने संतों से मंदाकिनी को स्वच्छ, अविरल बनाने के लिए सीवरलाइन का कार्य पूरा कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन, वादा कोरा निकला। आज भी करोड़ों रुपए खर्च कर सीवर लाइन की शुरुआत नहीं हो सकी।
पानी में बह जाएंगे 6 करोड़
मंदाकिनी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए प्रथम चरण में स्फटिकशिला से लेकर रामघाट तक सीवर लाइन डाली गई। एमपीएस और एसटीपी प्लांट बनाए गए, जिस पर 6 करोड़ रुपए से अधिक का बजट खर्च किया गया। पहले चरण का काम पूरा होने के बाद नगर परिषद चित्रकूट और पीएचई अफसरों के बीच सहमति नहीं बन पाई। इस कारण सीवर लाइन चालू नहीं हो पा रही। अब ऐसा लग रहा जैसे करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट में पानी फिर जाएगा।
2018 की घोषणाएं निकलीं कोरी
चित्रकूट क्षेत्र के विकास के लिए 2018 में मिनी स्मार्ट सिटी की घोषणा हुई। उस दौरान करोड़ों रुपए की लागत से होने वाले विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया था। चित्रकूट में मंदाकिनी को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए सीवर लाइन डालने का वादा किया था। लेकिन, 2018 की ये घोषणाएं कोरी निकलीं।