बताया गया कि कंपनी को पहले 22 दिसंबर से 29 दिसंबर के मध्यम शूटिंग करने की अनुमति मुख्य वन संरक्षक रीवा की ओर से दी गई थी। कंपनी ने 19 दिसंबर से 22 दिसंबर के मध्यम शूटिंग की अनुमति चाही। जिस पर पूर्व में जारी अनुमति को संशोधित करते हुए नया आदेश जारी किया गया। चिडिय़ाघर और व्हाइट टाइगर सफारी में इस तरह व्यवसायिक फिल्मांकन के लिए एक दिन का 40 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है। प्रोफेशनल फिल्म शूटिंग का यह पहला घटनाक्रम रहा है। इसके पहले यूट्यूब और अन्य टेलीफिल्मों की शूटिंग होती रही है। जर्मन से आए डायरेक्टर ने कहा है कि प्राकृतिक वातावरण में व्हाइट टाइगर के संरक्षण के यह बेहतर स्थल है। इसे देखने के लिए दूसरे देशों से भी लोग आएंगे।
बताया जा रहा कि फिल्म निर्माता कंपनी को आनंद विहार एस-5 कोच में शूटिंग करने की अनुमति मिली थी। इसके लिए कोच भी बुक किया गया था, लेकिन आनंद विहार ट्रेन अचानक विलंब हो जाने के कारण फिल्म प्रोडेक्शन ने जबलपुर रीवा गाड़ी में फिल्म शूट किए जाने का निर्णय लिया। शूटिंग के लिए सभी लोग शटल में सवार हो गए। रास्तें में भी शूटिंग की और फिर सभी दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
द व्हाइट टाइगर फिल्म में जो शूटिंग मुकुंदपुर में हुई है, उसमें झारखंड के एक बच्चे के मन की जिज्ञासा पूरी करने का फिल्मांकन हुआ है। कहानी में झारखंड के बच्चे को व्हाइट टाइगर के बारे में जानकारी मिलती है तो पहले लोगों से जानकारी लेता है तो पता चलता है कि रीवा से पूरी दुनिया में व्हाइट टाइगर भेजे गए हैं तो वह रीवा पहुंचने की ठान लेता है। ट्रेन से वह प्रयागराज पहुंचता है, इसके बाद रीवा आता है। यहां से मुकुंदपुर पहुंचकर बाघ को देखता है और गौरव की अनुभूमि करता है। बताया गया है कि एक आठ वर्ष और दूसरे 16 वर्ष के बच्चे पर यह कहानी फिल्माई गई है। बाद में डायरेक्टर तय करेंगी की कौन से कहानी फिल्म का हिस्सा होगी।
व्हाइट टाइगर पर आधारित यह फिल्म कई भाषाओं में रिलीज होगी। वाइल्ड लाइफ को लेकर भी एक बड़ा संदेश देने की तैयारी की गई है। हिन्दी और अंग्रेजी के साथ ही विदेश की कुछ भाषाओं पर भी रिलीज करने की तैयारी है। फिल्म से जुड़े लोगों ने कहा है कि जब तक निर्माण पूरा नहीं हो जाता, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।