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तीन दिन से भूखे-प्यासे टॉवर पर चढ़े रहे किसान, प्रशासन ने नहीं ली सुध

locationसतनाPublished: Sep 18, 2018 06:52:31 pm

Submitted by:

suresh mishra

तीन दिन से भूखे-प्यासे टॉवर पर चढ़े रहे किसान, प्रशासन ने नहीं ली सुध

three farmers climbs on the electric tower since three days

three farmers climbs on the electric tower since three days

सतना। मैहर तहसील के ग्राम गोराइया में पावर ग्रिड के लाइनों से प्रभावित कृषकों द्वारा धरना दिया जा रहा है। गोराइया में बने विद्युत टॉवर पर तीन कृषक तीन दिनों से अन्न जल को त्यागकर टॉवर पर चढ़े हुए है। किसानों का कहना है कि जब तक प्रशासन आकर निर्धारित गाइड लाइन से मुआवजा भुगतान नहीं करवा देगी। तब तक किसान नीचे नहीं उतरेंगे। बता दें कि, मैहर एवं रामनगर में पॉवर ग्रिड ट्रांसमिशन लिमिटेड कंपनी द्वारा विंध्यांचल विद्युत लाइन का निर्माण करवाया जा रहा है। कार्य के दौरान प्रभावित भूमि, पेड़, कूप, मकान, फसल आदि का नियमत: भुगतान नहीं किया गया। जबकि मुख्यसचिव मध्यप्रदेश द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को गाइड लाइन प्रेषित की गई है।
क्या है गाइड लाइन
गाइड लाइन के प्रथम बिंदु टॉवर निर्माण में उपयोग ली जाने वाली भूमि का बाजार मूल्य का 85त्न राशि निर्धारित की गई है। किसानों द्वारा प्रशासन से धरना ज्ञापन के माध्यम से यह जानकारी मांगी गई है कि आखिर टॉवर निर्माण में उपयोग ली जाने वाली भूमि का रकवा राजस्व विभाग से लिखित में चाहा गया है। दो वर्ष से आज तक लिखित में आदेश प्रशासन द्वारा नहीं दिया गया है।
12 लाख प्रति टॉवर तीन हजार प्रति वर्ग मीटर
इसके पूर्व में निर्माण की गई सतना-चमराडोल लाइन में 12 लाख प्रति टॉवर तीन हजार प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से वितरण चार-पांच गांवों में किया गया था। शेष आज दिनांक तक नहीं किया गया। जबकि तत्कालीन कलेक्टर संतोष मिश्रा के कार्यकाल में सभी किसानों के जमीन का मूल्यांकन कर आर्डर शीट में जारी किया गया था। लेकिन किसानों का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया।
कलेक्टर का आदेश भी दरकिनार
गत दिवस पूर्व प्रशासन और कृषक कंपनी के मध्य बैठक कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर मुकेश शुक्ला के अध्यक्षता में की गई थी और पुरानी लाइन के कृषकों का पूर्ण रूपेण भुगतान करा दिया जाएगा। लेकिन आज तक नहीं किया गया। जिससे किसान दुखी होकर टॉवर में चढ़ गए। जिसमे हेतराम सिंह, बट्टी लाल सिंह, बाबू सिंह तीन दिवस से चढ़े हुए है। प्रशासन द्वारा मुआवजा भुगतान न करते हुए राष्ट्रीय हित का कार्य बताकर जबरदस्ती खेत में टॉवर तार लगा दिए जाते है।
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